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इमरजेंसी कि याद ताजा कर गई बनारस में लॉन्च हुई किताब, प्रसिद्ध समाजशास्त्री ने उस समय के काले सच को किया उजागर - Emergency Raj Ki Antarkatha - EMERGENCY RAJ KI ANTARKATHA

वाराणसी में मंगलवार को 'इमरजेंसी राज की अन्तर्कथा' पुस्तक का लोकार्पण हुआ. कार्यक्रम में पुस्तक के लेखक प्रसिद्ध समाज शास्त्री प्रोफेसर आनंद कुमार ने इमरजेंसी और उसके जुड़े पहलुओं पर प्रकाश डाला.

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इमरजेंसी राज की अन्तर्कथा किताब का लोकार्पण (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 1, 2024, 10:28 PM IST

वाराणसी: इमरजेंसी राज की अन्तर्कथा, पुस्तक का लोकार्पण मंगलवार को वाराणसी में वरिष्ठ नेताओं और मानिंद लोगों की मौजूदगी में किया गया. इस पुस्तक के लोकार्पण कार्यक्रम में आयोजित परिचर्चा में शहर के बुद्धिजीवियों की भी जुटान हुई. पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में पुस्तक के लेखक प्रसिद्ध समाज शास्त्री प्रोफेसर आनंद कुमार ने अपने वक्तव्य में इमरजेंसी और उसके जुड़े पहलुओं पर प्रकाश डाला.

उन्होंने कहा कि इमरजेंसी केवल प्रशासनिक व्यवस्था नहीं बल्कि दमनकारी मानसिकता का घोतक है. इस कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के रूप में भारतीय वसंत कुमार ने कहा कि महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री के युग की लोकतंत्र में आस्था पर सभी का भरोसा था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सहयोगियों की तरफ से उत्पन्न इमरजेंसी की व्यूह रचना की गई, यह स्थापित किया. उन्होंने इमरजेंसी की खिलाफत का नेतृत्व कर रहे जयप्रकाश नारायण का भी स्मरण किया.

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प्रसिद्ध समाज शास्त्री प्रोफेसर आनंद कुमार (Photo Credit- ETV Bharat)

इस पर चर्चा में प्रसिद्ध समाज सेवी और नेत्री एवं लोकतंत्र सेनानी इमरजेंसी राज की सबसे क्रांतिकारी छात्र नेता अंजना प्रकाश ने भी अपना वक्तव्य रखा. उन्होंने अपनी स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि इमरजेंसी वह दौर था, जो आज भी अपनी निरंकुशता और भयावता की याद दिलाता है. उन्होंने कहा कि हमने लोकतंत्र की हत्या का वह दौर देखा है जो आज की पीढ़ी को कभी न देखना पड़े, अन्यथा लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं से सभी का विश्वास उठ जाएगा.

इस परिचर्चा को आगे बढ़ते हुए पूर्व मंत्री और लोकतंत्र सेनानी शतरुद्र प्रकाश ने इमरजेंसी का विस्तार से अर्थ समझाया और कहा कि जो समाज प्रतिक्रिया विहीन होता है, उसे इमरजेंसी जैसी त्रासदी झेलनी पड़ती है. विश्व के अन्य देशों में पाकिस्तान श्रीलंका, युगांडा आदि का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति रहने का स्थान और चयन और अपने सामाजिक और धार्मिक विश्वासों पर प्रतिबंध ही इमरजेंसी होती है.

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वाराणसी में वरिष्ठ नेताओं और मानिंद लोगों की रही मौजूदगी (Photo Credit- ETV Bharat)

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ लोकतंत्र सेनानी और जॉर्ज फर्नांडीज के साथ इमरजेंसी में बंदी रहे विजय नारायण ने की. उन्होंने कहा इस प्रकार की पुस्तक आने वाली पीढ़ी को यह बताती हैं कि हमें हमें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना ही होगा. यही हमारी सच्ची राष्ट्रभक्ति है. कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर आलोक कुमार और धन्यवाद ज्ञापन अशोक गुप्ता ने दिया.

ये भी पढ़ें- नौकरानी से करायी बेटे की शादी; 50 लाख का इंश्योरेंस कराया, 10 लाख मुद्रा लोन लेकर उतार दिया मौत के घाट - Murder for Insurance Claim

वाराणसी: इमरजेंसी राज की अन्तर्कथा, पुस्तक का लोकार्पण मंगलवार को वाराणसी में वरिष्ठ नेताओं और मानिंद लोगों की मौजूदगी में किया गया. इस पुस्तक के लोकार्पण कार्यक्रम में आयोजित परिचर्चा में शहर के बुद्धिजीवियों की भी जुटान हुई. पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में पुस्तक के लेखक प्रसिद्ध समाज शास्त्री प्रोफेसर आनंद कुमार ने अपने वक्तव्य में इमरजेंसी और उसके जुड़े पहलुओं पर प्रकाश डाला.

उन्होंने कहा कि इमरजेंसी केवल प्रशासनिक व्यवस्था नहीं बल्कि दमनकारी मानसिकता का घोतक है. इस कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के रूप में भारतीय वसंत कुमार ने कहा कि महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री के युग की लोकतंत्र में आस्था पर सभी का भरोसा था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सहयोगियों की तरफ से उत्पन्न इमरजेंसी की व्यूह रचना की गई, यह स्थापित किया. उन्होंने इमरजेंसी की खिलाफत का नेतृत्व कर रहे जयप्रकाश नारायण का भी स्मरण किया.

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प्रसिद्ध समाज शास्त्री प्रोफेसर आनंद कुमार (Photo Credit- ETV Bharat)

इस पर चर्चा में प्रसिद्ध समाज सेवी और नेत्री एवं लोकतंत्र सेनानी इमरजेंसी राज की सबसे क्रांतिकारी छात्र नेता अंजना प्रकाश ने भी अपना वक्तव्य रखा. उन्होंने अपनी स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि इमरजेंसी वह दौर था, जो आज भी अपनी निरंकुशता और भयावता की याद दिलाता है. उन्होंने कहा कि हमने लोकतंत्र की हत्या का वह दौर देखा है जो आज की पीढ़ी को कभी न देखना पड़े, अन्यथा लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं से सभी का विश्वास उठ जाएगा.

इस परिचर्चा को आगे बढ़ते हुए पूर्व मंत्री और लोकतंत्र सेनानी शतरुद्र प्रकाश ने इमरजेंसी का विस्तार से अर्थ समझाया और कहा कि जो समाज प्रतिक्रिया विहीन होता है, उसे इमरजेंसी जैसी त्रासदी झेलनी पड़ती है. विश्व के अन्य देशों में पाकिस्तान श्रीलंका, युगांडा आदि का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति रहने का स्थान और चयन और अपने सामाजिक और धार्मिक विश्वासों पर प्रतिबंध ही इमरजेंसी होती है.

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वाराणसी में वरिष्ठ नेताओं और मानिंद लोगों की रही मौजूदगी (Photo Credit- ETV Bharat)

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ लोकतंत्र सेनानी और जॉर्ज फर्नांडीज के साथ इमरजेंसी में बंदी रहे विजय नारायण ने की. उन्होंने कहा इस प्रकार की पुस्तक आने वाली पीढ़ी को यह बताती हैं कि हमें हमें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना ही होगा. यही हमारी सच्ची राष्ट्रभक्ति है. कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर आलोक कुमार और धन्यवाद ज्ञापन अशोक गुप्ता ने दिया.

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