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Rajasthan: जयपुर के हाथी गांव में हथिनी की मौत, कई दिनों से बीमार थी 'बोनमाला'

जयपुर के हाथी गांव में एक हथिनी की मौत हो गई. वह कई दिनों से बीमार चल रही थी.

Elephant died in Jaipur
हाथी गांव में एक हथिनी की मौत (Photo Etv Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 2 hours ago

जयपुर: जयपुर के आमेर कुंडा स्थित हाथी गांव से वन्यजीव प्रेमियों के लिए दुखद खबर सामने आई है. हाथी गांव में एक बार फिर से हथिनी की मौत का मामला सामने आया है. दीपावली की रात को हथिनी नंबर 133 बोनमाला की मौत हो गई. दीपावली पर हाथी गांव में गम का माहौल बन गया. 58 वर्षीय बोनमाला कई दिनों से बीमार चल रही थी. वरिष्ठ वन्यजीव पशु चिकित्सकों की ओर से उसका इलाज किया जा रहा था. बचाने के लिए काफी प्रयास किए गए, लेकिन दीपावली की रात को हथिनी ने दम तोड़ दिया. शुक्रवार को उसके शव का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवा कर अंतिम संस्कार किया जाएगा.

सहायक वन संरक्षक जितेंद्र चौधरी के बताया कि हाथियों के संरक्षण को लेकर हाथी गांव बसाया गया था. दीपावली की रात हथिनी नंबर 133 बोनमाला की मौत हो गई. हथिनी की उम्र करीब 58 वर्ष बताई जा रही है. वह लंबे समय से बीमार चल रही थी. वरिष्ठ वन्यजीव पशु चिकित्सक डॉ. अरविंद माथुर की मॉनिटरिंग में हथिनी का इलाज किया जा रहा था. हथिनी को बचाने के लिए पशु चिकित्सकों ने काफी प्रयास किया, लेकिन दीपावली की रात को हथिनी ने दम तोड़ दिया. शुक्रवार को हथिनी का पोस्टमार्टम करने के बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा.

पढ़ें: कार्डियक अरेस्ट से हुई थी हाथी गांव में हथिनी चुनचुन माला की मौत, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा

घटती जा रही हाथियों की संख्या: हथिनी की मौत से दीपावली के दिन हाथी गांव में गम का माहौल बन गया. हाथी गांव में पहले 120 से अधिक हाथी हुआ करते थे, लेकिन लगातार हाथियों की संख्या घटती जा रही है. हाथी गांव में अब हाथियों की संख्या करीब 74 रह गई है. कई हाथियों की मौत हो गई, तो वहीं कई हाथियों को दूसरी जगह भेज दिया गया है. ऐसे में पूरे सिस्टम को रिव्यू करने की जरूरत है.

पहले भी हो चुकी हथिनी की मौत: करीब 4 महीने पहले 18 नंबर हथनी रूपा की मौत हो गई थी. हथिनी बीमार चल रही थी. 31 मई को सुबह आमेर की ठाठर कॉलोनी में टहलते हुए हथिनी रूपा गश खाकर नीचे गिर गई थी. हथिनी के गिरने से एक मकान की दीवार भी टूट गई थी. इससे हथनी घायल भी हो गई थी. इसके बाद से ही लगातार हथिनी का इलाज चल रहा था. उपचार के बावजूद भी हथिनी को बचाया नहीं जा सका. इलाज के दौरान हथिनी ने दम तोड़ दिया था. इससे पहले भी कई हाथियों की मौत हो चुकी है.

दुनिया भर से पर्यटक आते हैं हाथी गांव: हाथियों को प्राकृतिक और प्रदूषण मुक्त माहौल देने के लिए जयपुर के आमेर में हाथी गांव बसाया गया था. आमेर का हाथी गांव विश्व प्रसिद्ध है. दुनिया भर के पर्यटक हाथी सफारी का लुत्फ उठाने के लिए हाथी गांव पहुंचते हैं. हाथी गांव में एक के बाद एक हाथियों की मौत के मामले सामने आ रहे हैं. हाथियों के स्वास्थ्य को लेकर वन विभाग की ओर से भी कई प्रयास किया जाते हैं. साल में दो बार हाथी गांव में हाथियों के लिए मेडिकल कैंप भी लगाया जाता है. पशु चिकित्सकों की ओर से हाथी महावतों और हाथी पालकों को हाथियों के स्वास्थ्य को लेकर जागरूक जाता है. इसके साथ ही हाथियों के खान-पान और स्वास्थ्य संबंधित जानकारियां भी दी जाती है.

वर्ष 2010 में बसाया गया था हाथी गांव: हाथी पालक आसिफ खान ने बताया कि हाथियों के लिए वर्ष 2010 में हाथी गांव बसाया गया था. 120 बीघा में आमेर इलाके में हाथी गांव बसाया गया. हाथी गांव में हाथियों के लिए दो तालाब बनाए गए थे. हाथियों के लिए थान के साथ अन्य सुविधाएं भी दी गई है.

जयपुर: जयपुर के आमेर कुंडा स्थित हाथी गांव से वन्यजीव प्रेमियों के लिए दुखद खबर सामने आई है. हाथी गांव में एक बार फिर से हथिनी की मौत का मामला सामने आया है. दीपावली की रात को हथिनी नंबर 133 बोनमाला की मौत हो गई. दीपावली पर हाथी गांव में गम का माहौल बन गया. 58 वर्षीय बोनमाला कई दिनों से बीमार चल रही थी. वरिष्ठ वन्यजीव पशु चिकित्सकों की ओर से उसका इलाज किया जा रहा था. बचाने के लिए काफी प्रयास किए गए, लेकिन दीपावली की रात को हथिनी ने दम तोड़ दिया. शुक्रवार को उसके शव का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवा कर अंतिम संस्कार किया जाएगा.

सहायक वन संरक्षक जितेंद्र चौधरी के बताया कि हाथियों के संरक्षण को लेकर हाथी गांव बसाया गया था. दीपावली की रात हथिनी नंबर 133 बोनमाला की मौत हो गई. हथिनी की उम्र करीब 58 वर्ष बताई जा रही है. वह लंबे समय से बीमार चल रही थी. वरिष्ठ वन्यजीव पशु चिकित्सक डॉ. अरविंद माथुर की मॉनिटरिंग में हथिनी का इलाज किया जा रहा था. हथिनी को बचाने के लिए पशु चिकित्सकों ने काफी प्रयास किया, लेकिन दीपावली की रात को हथिनी ने दम तोड़ दिया. शुक्रवार को हथिनी का पोस्टमार्टम करने के बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा.

पढ़ें: कार्डियक अरेस्ट से हुई थी हाथी गांव में हथिनी चुनचुन माला की मौत, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा

घटती जा रही हाथियों की संख्या: हथिनी की मौत से दीपावली के दिन हाथी गांव में गम का माहौल बन गया. हाथी गांव में पहले 120 से अधिक हाथी हुआ करते थे, लेकिन लगातार हाथियों की संख्या घटती जा रही है. हाथी गांव में अब हाथियों की संख्या करीब 74 रह गई है. कई हाथियों की मौत हो गई, तो वहीं कई हाथियों को दूसरी जगह भेज दिया गया है. ऐसे में पूरे सिस्टम को रिव्यू करने की जरूरत है.

पहले भी हो चुकी हथिनी की मौत: करीब 4 महीने पहले 18 नंबर हथनी रूपा की मौत हो गई थी. हथिनी बीमार चल रही थी. 31 मई को सुबह आमेर की ठाठर कॉलोनी में टहलते हुए हथिनी रूपा गश खाकर नीचे गिर गई थी. हथिनी के गिरने से एक मकान की दीवार भी टूट गई थी. इससे हथनी घायल भी हो गई थी. इसके बाद से ही लगातार हथिनी का इलाज चल रहा था. उपचार के बावजूद भी हथिनी को बचाया नहीं जा सका. इलाज के दौरान हथिनी ने दम तोड़ दिया था. इससे पहले भी कई हाथियों की मौत हो चुकी है.

दुनिया भर से पर्यटक आते हैं हाथी गांव: हाथियों को प्राकृतिक और प्रदूषण मुक्त माहौल देने के लिए जयपुर के आमेर में हाथी गांव बसाया गया था. आमेर का हाथी गांव विश्व प्रसिद्ध है. दुनिया भर के पर्यटक हाथी सफारी का लुत्फ उठाने के लिए हाथी गांव पहुंचते हैं. हाथी गांव में एक के बाद एक हाथियों की मौत के मामले सामने आ रहे हैं. हाथियों के स्वास्थ्य को लेकर वन विभाग की ओर से भी कई प्रयास किया जाते हैं. साल में दो बार हाथी गांव में हाथियों के लिए मेडिकल कैंप भी लगाया जाता है. पशु चिकित्सकों की ओर से हाथी महावतों और हाथी पालकों को हाथियों के स्वास्थ्य को लेकर जागरूक जाता है. इसके साथ ही हाथियों के खान-पान और स्वास्थ्य संबंधित जानकारियां भी दी जाती है.

वर्ष 2010 में बसाया गया था हाथी गांव: हाथी पालक आसिफ खान ने बताया कि हाथियों के लिए वर्ष 2010 में हाथी गांव बसाया गया था. 120 बीघा में आमेर इलाके में हाथी गांव बसाया गया. हाथी गांव में हाथियों के लिए दो तालाब बनाए गए थे. हाथियों के लिए थान के साथ अन्य सुविधाएं भी दी गई है.

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