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उत्तराखंड में बारिश न होने से जल विद्युत परियोजनाओं में घटा बिजली उत्पादन, गर्मियों के लिए खतरनाक संकेत

Electricity production fell due to less rain in Uttarakhand इस साल सर्दियों में अब तक उत्तराखंड में न तो बारिश हुई है और न ही बर्फबारी. इससे नदियों का जलस्तर घट गया है. इसका सीधा असर जल विद्युत परियोजनाओं के विद्युत उत्पादन पर पड़ा है. उत्तरकाशी में चल रही जल विद्युत परियोजनाओं पर इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ी है. ऐसे में आशंका है कि गर्मियों में हालात बद से बदतर हो सकते हैं.

Electricity production
उत्तराखंड पावर प्रोजेक्ट
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 29, 2024, 1:54 PM IST

Updated : Jan 29, 2024, 3:27 PM IST

उत्तरकाशी: बारिश न होने से भागीरथी नदी सहित सहायक नदियों और जल स्रोतों में वाटर डिस्चार्ज घटता जा रहा है. इसका असर बिजली उत्पादन पर भी पड़ रहा है. मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना सहित लघु जल विद्युत परियोजनाओं से बिजली उत्पादन में कमी आई है. यदि जल्द बारिश और बर्फबारी नहीं हुई तो आने वाले दिनों के साथ गर्मियों में बिजली संकट गहरा सकता है.

पानी कम, बिजली डिम: इस सीजन में बारिश की कमी के चलते भागीरथी नदी के वाटर डिस्चार्ज में भी कमी आई है. स्थिति ये है कि पूर्व में इस दौरान जहां 35 क्यूमेक्स से अधिक वॉटर डिस्चार्ज रहता था, वहीं अब यह 28 से कम हो गया है. इसके चलते एक टर्बाइन चलाने के लिए जरूरी 34 से 35 क्यूमेक्स का डिस्चार्ज भी नहीं मिल पा रहा है. इसके कारण करीब 100 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाली मनेरी भाली परियोजना प्रथम चरण के तिलोथ पावर हाउस से बमुश्किल प्रतिदिन एक मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हो पा रहा है. जबकि यह एक मिलियन यूनिट बिजली से अधिक ही रहता था.

टर्बाइन चलाने लायक भी नहीं आ रहा पानी: वहीं 304 मेगावाट क्षमता की द्वितीय चरण परियोजना के धरासू पावर हाउस में भी एक टर्बाइन चलाने लायक पानी नहीं मिल पा रहा है. इसके चलते जल विद्युत निगम जोशियाड़ा बैराज में जलाशय के भरने पर चौबीस घंटे में 8 से 10 घंटे ही दो टर्बाइन चला पा रहे हैं. जिससे 1.5 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है. कभी यह 7 मिलियन यूनिट तक रहता था.

जल विद्युत परियोजनाओं का उत्पादन गिरा: उधर, बड़कोट तहसील की गंगनानी लघु जल विद्युत परियोजना और बडियाड़ गाड़ लघु जल विद्युत परियोजना में भी बिजली उत्पादन गिरा है. 8 मेगावाट क्षमता की गंगनानी लघु जल विद्युत परियोजना से मात्र 2 मेगावाट और 5 मेगावाट क्षमता की बडियाड़ गाड़ लघु जल विद्युत परियोजना से एक मेगावाट बिजली का ही उत्पादन हो पा रहा है. ऐसे में जल्द बारिश और बर्फबारी नहीं हुई तो आने वाली गर्मियों में बिजली संकट गहरा सकता है.

क्या कहता है यूजेवीएनएल: यूजेवीएनएल देहरादून के पीआरओ विमल डबराल का कहना है कि बारिश न होने से भागीरथी नदी के वॉटर डिस्चार्ज में कमी आ रही है. इससे बिजली उत्पादन में गिरावट जारी है. ऐसा ही रहा तो आने वाले समय दिक्कत होगी.

पिछले कुछ सालों में जल विद्युत परियोजनाओं से लगातार उत्पादन विद्युत उत्पादन गिरा है. आइए आपको बताते हैं पिछले सालों में कितना बिजली उत्पादन गिरा.
वर्ष उत्पादन मिलियन यूनिट में
2019-20 में 54.3 मिलियन यूनिट
2020-21 में 50.1 मिलियन यूनिट
2021-22 में 58.5 मिलियन यूनिट
2022-23 में 46.6 मिलियन यूनिट
2023-24 में 43.5 मिलियन यूनिट
ये भी पढ़ें: हिमालयी ग्लेशियर्स की बिगड़ रही सेहत, तेजी से पिघल रहा गंगोत्री ग्लेशियर, नदियों के अस्तित्व पर खड़ा हो सकता है संकट
ये भी पढ़ें: बिजली कटौती के खिलाफ अधीक्षण अभियंता ऑफिस पर हरीश रावत का धरना, सरकार को दी चेतावनी

उत्तरकाशी: बारिश न होने से भागीरथी नदी सहित सहायक नदियों और जल स्रोतों में वाटर डिस्चार्ज घटता जा रहा है. इसका असर बिजली उत्पादन पर भी पड़ रहा है. मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना सहित लघु जल विद्युत परियोजनाओं से बिजली उत्पादन में कमी आई है. यदि जल्द बारिश और बर्फबारी नहीं हुई तो आने वाले दिनों के साथ गर्मियों में बिजली संकट गहरा सकता है.

पानी कम, बिजली डिम: इस सीजन में बारिश की कमी के चलते भागीरथी नदी के वाटर डिस्चार्ज में भी कमी आई है. स्थिति ये है कि पूर्व में इस दौरान जहां 35 क्यूमेक्स से अधिक वॉटर डिस्चार्ज रहता था, वहीं अब यह 28 से कम हो गया है. इसके चलते एक टर्बाइन चलाने के लिए जरूरी 34 से 35 क्यूमेक्स का डिस्चार्ज भी नहीं मिल पा रहा है. इसके कारण करीब 100 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाली मनेरी भाली परियोजना प्रथम चरण के तिलोथ पावर हाउस से बमुश्किल प्रतिदिन एक मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हो पा रहा है. जबकि यह एक मिलियन यूनिट बिजली से अधिक ही रहता था.

टर्बाइन चलाने लायक भी नहीं आ रहा पानी: वहीं 304 मेगावाट क्षमता की द्वितीय चरण परियोजना के धरासू पावर हाउस में भी एक टर्बाइन चलाने लायक पानी नहीं मिल पा रहा है. इसके चलते जल विद्युत निगम जोशियाड़ा बैराज में जलाशय के भरने पर चौबीस घंटे में 8 से 10 घंटे ही दो टर्बाइन चला पा रहे हैं. जिससे 1.5 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है. कभी यह 7 मिलियन यूनिट तक रहता था.

जल विद्युत परियोजनाओं का उत्पादन गिरा: उधर, बड़कोट तहसील की गंगनानी लघु जल विद्युत परियोजना और बडियाड़ गाड़ लघु जल विद्युत परियोजना में भी बिजली उत्पादन गिरा है. 8 मेगावाट क्षमता की गंगनानी लघु जल विद्युत परियोजना से मात्र 2 मेगावाट और 5 मेगावाट क्षमता की बडियाड़ गाड़ लघु जल विद्युत परियोजना से एक मेगावाट बिजली का ही उत्पादन हो पा रहा है. ऐसे में जल्द बारिश और बर्फबारी नहीं हुई तो आने वाली गर्मियों में बिजली संकट गहरा सकता है.

क्या कहता है यूजेवीएनएल: यूजेवीएनएल देहरादून के पीआरओ विमल डबराल का कहना है कि बारिश न होने से भागीरथी नदी के वॉटर डिस्चार्ज में कमी आ रही है. इससे बिजली उत्पादन में गिरावट जारी है. ऐसा ही रहा तो आने वाले समय दिक्कत होगी.

पिछले कुछ सालों में जल विद्युत परियोजनाओं से लगातार उत्पादन विद्युत उत्पादन गिरा है. आइए आपको बताते हैं पिछले सालों में कितना बिजली उत्पादन गिरा.
वर्ष उत्पादन मिलियन यूनिट में
2019-20 में 54.3 मिलियन यूनिट
2020-21 में 50.1 मिलियन यूनिट
2021-22 में 58.5 मिलियन यूनिट
2022-23 में 46.6 मिलियन यूनिट
2023-24 में 43.5 मिलियन यूनिट
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Last Updated : Jan 29, 2024, 3:27 PM IST
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