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रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजे ऊर्जा संकट से उभर रहा उत्तराखंड, सर्दियों में सामान्य हो रहे हालात - UTTARAKHAND ENERGY DEPARTMENT

रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्तराखंड भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है, लेकिन अब कई साल बाद उत्तराखंड ऊर्जा संकट से उभर रहा है.

Uttarakhand energy crisis
ऊर्जा संकट से उभर रहा उत्तराखंड (PHOTO-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 12, 2025, 11:45 AM IST

देहरादून: पूरी दुनिया में होने वाले घटनाक्रम ना केवल उस क्षेत्र को प्रभावित करते हैं, बल्कि दुनिया का हर देश किसी न किसी रूप में एक दूसरे से जुड़ा होने के कारण इसे महसूस करता है. दुनिया के लिए 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध ऐसी ही एक बड़ी घटना है, जिसने वैश्विक स्तर पर हलचल पैदा कर दी है. खासतौर पर ऊर्जा सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारत के छोटे से राज्य उत्तराखंड को भी इसके चलते ऊर्जा संकट से गुजरना पड़ा, लेकिन अब भारत सरकार की तमाम प्रयासों के बाद उत्तराखंड में कई सालों बाद स्थिति सामान्य हो रही है.

रूस यूक्रेन युद्ध से ऊर्जा संकट: रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गैस निर्यातक है और यूरोप के साथ ही एशिया के कई देश रूस से लिक्विड नेचुरल गैस (LNG) आयात करते हैं. भारत भी उन्हीं में से एक है. हालांकि भारत अपनी प्राकृतिक गैस की जरूरतों को कतर, ऑस्ट्रेलिया और नार्वे से भी पूरा करता है. रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद यूरोप के तमाम देशों के साथ-साथ भारत को भी ईंधन की जरूरतों को पूरा करने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी. खास तौर पर प्राकृतिक गैस समेत तमाम गैस आधारित बिजली संयंत्र प्रभावित हुए.

रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजे ऊर्जा संकट से उभर रहा उत्तराखंड (video-ETV Bharat)

भारत में 2024 में गैस की मांग वृद्धि दर 8.5 रही: इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस की एक रिपोर्ट बताती है कि देश में 24.9 गीगावाट गैस आधारित बिजली संयंत्र या तो बंद होने की स्थिति में रहे या फिर अपनी क्षमता के अनुरूप उत्पादन नहीं कर पाए. देश में 24190 मेगावाट क्षमता के संयंत्र गैस आधारित हैं, जबकि 2024 में भारत में गैस की मांग वृद्धि दर 7 प्रतिशत से बढ़कर 8.5 रही है.

सर्दी के मौसम में बिजली की उपलब्धता बेहतर: ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि पिछले 2 सालों से सर्दी के मौसम में बिजली की डिमांड के लिहाज से राज्य पर काफी दबाव रहा है, लेकिन इस सर्दी के मौसम में बिजली की उपलब्धता बेहतर है और लोगों को आसानी से डिमांड के हिसाब से बिजली दी जा रही है.

उत्तराखंड के गैस आधारित दो बिजली संयंत्र बंद हुए थे: उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में गैस आधारित दो बिजली संयंत्र हैं. यह दोनों ही निजी क्षेत्र में काम करते हैं, लेकिन राज्य सरकार से इनका अनुबंध होने के कारण यहां उत्पादन होने वाली बिजली राज्य को ही मिलती है. रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते यह दोनों ही प्लांट पूरी तरह से बंद हो गए थे और रूस से प्राकृतिक गैस की आपूर्ति न होने के कारण इसमें बिजली उत्पादन नहीं हो पा रहा था.

प्राकृतिक गैस की आपूर्ति हो रही बेहतर: ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि भारत सरकार ने इस स्थिति में सुधार करते हुए अब प्राकृतिक गैस की आपूर्ति को बेहतर किया है, जिसके कारण यह प्रोजेक्ट शुरू हुए हैं. इसके अलावा राज्य सरकार के अपने प्रोजेक्ट भी प्रभावित हुए थे. उन्होंने कहा कि राज्य की तरफ से थर्मल पावर के जरिए जो बिजली ली जाती थी. वह भी प्रभावित हुई है, जिससे ऊर्जा के क्षेत्र में डिमांड पूरी करने की दिक्कत आई थी.

यूपीसीएल ने करीब 12% बढ़ोतरी का दिया प्रस्ताव : उत्तराखंड में निजी क्षेत्र के दो प्लांट मौजूद हैं और यह दोनों ही प्लांट काशीपुर में लगाए गए हैं. इसमें एक प्लांट करीब 400 मेगा वाट का है, जबकि दूसरा प्लांट 225 मेगावाट का है. इस तरह से देखा जाए तो करीब 500 से 600 मेगावाट बिजली की कम उपलब्धता हो पा रही थी, जिससे ऊर्जा के क्षेत्र में परेशानियां बढ़ी थी. इस साल उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड नए विद्युत दरों के टैरिफ में बढ़ोतरी करवाने की तैयारी कर रहा है. यूपीसीएल ने करीब 12% बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है, जोकि UJVNL और पिटकुल भी बिजली दरों में बढ़ोतरी चाहते हैं. कुल मिलाकर करीब 29 प्रतिशत बिजली की दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव आया है. हालांकि अभी इस पर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग अंतिम निर्णय लेगा.

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देहरादून: पूरी दुनिया में होने वाले घटनाक्रम ना केवल उस क्षेत्र को प्रभावित करते हैं, बल्कि दुनिया का हर देश किसी न किसी रूप में एक दूसरे से जुड़ा होने के कारण इसे महसूस करता है. दुनिया के लिए 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध ऐसी ही एक बड़ी घटना है, जिसने वैश्विक स्तर पर हलचल पैदा कर दी है. खासतौर पर ऊर्जा सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारत के छोटे से राज्य उत्तराखंड को भी इसके चलते ऊर्जा संकट से गुजरना पड़ा, लेकिन अब भारत सरकार की तमाम प्रयासों के बाद उत्तराखंड में कई सालों बाद स्थिति सामान्य हो रही है.

रूस यूक्रेन युद्ध से ऊर्जा संकट: रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गैस निर्यातक है और यूरोप के साथ ही एशिया के कई देश रूस से लिक्विड नेचुरल गैस (LNG) आयात करते हैं. भारत भी उन्हीं में से एक है. हालांकि भारत अपनी प्राकृतिक गैस की जरूरतों को कतर, ऑस्ट्रेलिया और नार्वे से भी पूरा करता है. रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद यूरोप के तमाम देशों के साथ-साथ भारत को भी ईंधन की जरूरतों को पूरा करने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी. खास तौर पर प्राकृतिक गैस समेत तमाम गैस आधारित बिजली संयंत्र प्रभावित हुए.

रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजे ऊर्जा संकट से उभर रहा उत्तराखंड (video-ETV Bharat)

भारत में 2024 में गैस की मांग वृद्धि दर 8.5 रही: इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस की एक रिपोर्ट बताती है कि देश में 24.9 गीगावाट गैस आधारित बिजली संयंत्र या तो बंद होने की स्थिति में रहे या फिर अपनी क्षमता के अनुरूप उत्पादन नहीं कर पाए. देश में 24190 मेगावाट क्षमता के संयंत्र गैस आधारित हैं, जबकि 2024 में भारत में गैस की मांग वृद्धि दर 7 प्रतिशत से बढ़कर 8.5 रही है.

सर्दी के मौसम में बिजली की उपलब्धता बेहतर: ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि पिछले 2 सालों से सर्दी के मौसम में बिजली की डिमांड के लिहाज से राज्य पर काफी दबाव रहा है, लेकिन इस सर्दी के मौसम में बिजली की उपलब्धता बेहतर है और लोगों को आसानी से डिमांड के हिसाब से बिजली दी जा रही है.

उत्तराखंड के गैस आधारित दो बिजली संयंत्र बंद हुए थे: उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में गैस आधारित दो बिजली संयंत्र हैं. यह दोनों ही निजी क्षेत्र में काम करते हैं, लेकिन राज्य सरकार से इनका अनुबंध होने के कारण यहां उत्पादन होने वाली बिजली राज्य को ही मिलती है. रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते यह दोनों ही प्लांट पूरी तरह से बंद हो गए थे और रूस से प्राकृतिक गैस की आपूर्ति न होने के कारण इसमें बिजली उत्पादन नहीं हो पा रहा था.

प्राकृतिक गैस की आपूर्ति हो रही बेहतर: ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि भारत सरकार ने इस स्थिति में सुधार करते हुए अब प्राकृतिक गैस की आपूर्ति को बेहतर किया है, जिसके कारण यह प्रोजेक्ट शुरू हुए हैं. इसके अलावा राज्य सरकार के अपने प्रोजेक्ट भी प्रभावित हुए थे. उन्होंने कहा कि राज्य की तरफ से थर्मल पावर के जरिए जो बिजली ली जाती थी. वह भी प्रभावित हुई है, जिससे ऊर्जा के क्षेत्र में डिमांड पूरी करने की दिक्कत आई थी.

यूपीसीएल ने करीब 12% बढ़ोतरी का दिया प्रस्ताव : उत्तराखंड में निजी क्षेत्र के दो प्लांट मौजूद हैं और यह दोनों ही प्लांट काशीपुर में लगाए गए हैं. इसमें एक प्लांट करीब 400 मेगा वाट का है, जबकि दूसरा प्लांट 225 मेगावाट का है. इस तरह से देखा जाए तो करीब 500 से 600 मेगावाट बिजली की कम उपलब्धता हो पा रही थी, जिससे ऊर्जा के क्षेत्र में परेशानियां बढ़ी थी. इस साल उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड नए विद्युत दरों के टैरिफ में बढ़ोतरी करवाने की तैयारी कर रहा है. यूपीसीएल ने करीब 12% बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है, जोकि UJVNL और पिटकुल भी बिजली दरों में बढ़ोतरी चाहते हैं. कुल मिलाकर करीब 29 प्रतिशत बिजली की दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव आया है. हालांकि अभी इस पर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग अंतिम निर्णय लेगा.

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