देहरादून (नवीन उनियाल): उत्तराखंड में निकाय चुनाव के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग में आचार संहिता का उल्लंघन करने से जुड़े मामलों पर नोटिस जारी किए थे. ऐसे ही एक मामले में देहरादून जिलाधिकारी को भी नोटिस दिया गया था. जिसका जवाब देहरादून जिलाधिकारी के स्तर पर दे दिया गया. हालांकि देहरादून के जिलाधिकारी संविन बंसल की तरफ से दिए गए जवाब से राज्य निर्वाचन आयोग असंतुष्ट दिखा. शायद यही कारण है कि आयोग ने चेतावनी भरे लहजे में जिलाधिकारी को इस तरह की पुनरावृति भविष्य में न किए जाने की चेतावनी दी है.
डीएम का स्पष्टीकरण: जिलाधिकारी देहरादून की तरफ से यह स्पष्ट किया गया था कि जिले में प्रधानमंत्री के दौरे से लेकर तमाम दूसरे अहम कार्य थे. जबकि संबंधित नायब तहसीलदार चुनाव ड्यूटी से जुड़ा कार्य नहीं कर रहा है. इसी को देखते हुए नायब तहसीलदार राजेंद्र सिंह रावत को ऋषिकेश से देहरादून के लिए स्थानांतरित किया गया.
ईटीवी भारत ने देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल से इस मामले पर फोन पर बात की तो उन्होंने कहा कि इस मामले में निर्वाचन आयोग को जवाब दे दिया गया था. साथ ही ट्रांसफर को स्थगित करने के दिशा निर्देश भी मांगे गए थे.
आयोग की आपत्ति: राज्य निर्वाचन आयोग ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में स्पष्ट किया कि निर्वाचन प्रक्रिया की अवधि के दौरान आदर्श आचार संहिता लागू रहते हुए निर्वाचन क्षेत्र में विभिन्न विभागों में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों के स्थानांतरण और नई नियुक्तियां आदि को नहीं किया जा सकता. यह प्रतिबंध कानून व्यवस्था और निर्वाचन से संबंधित आईएएस, आईपीएस, पीसीएस और पीपीएस संवर्ग के अधिकारियों पर भी लागू रहता है. आचार संहिता के उल्लंघन का निर्धारण किया जाना भी आयोग का क्षेत्राधिकार है.
आयोग ने लगाई फटकार: आयोग ने कहा कि नायब तहसीलदार राजेंद्र सिंह रावत के स्थानांतरण पर तत्काल प्रभाव से रोक के निर्देश दिए गए थे. इनका अनुपालन किया गया. इसकी भी जानकारी आयोग को नहीं दी गई है. ऐसे में यह मामला आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन में आता है और भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति नहीं किए जाने के निर्देश दिए जाते हैं.
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