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ऐसा पेड़ा आपने नहीं खाया होगा, जितना शुद्ध उतना ही स्वादिष्ट - BIHAR FAMOUS PEDA

बेंगलुरु से बिहार आए मोहम्मद नासिर का कहना है कि वह जब भी बिहार आते हैं तो यहां का पेड़ा जरूर लेकर घर जाते हैं.

Bihar famous Peda
छपरा के पेड़े की देश-विदेश में डिमांड (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 8, 2024, 4:25 PM IST

छपरा: सारण जिले में कई ऐसे मिठाई के व्यंजन हैं जिसकी पहचान सारण में ही नहीं पूरे बिहार और देश विदेश में है. यहां के अलग-अलग प्रखंडों में अलग-अलग तरह की मिठाई पूरे शुद्धता और स्वादिष्टता के साथ बनाई जाती है. मांझी के ताजपुर की एटम बम मिठाई और एकमा की आमदाढ़ी रेलवे ढाला का स्वादिष्ट पेड़ा देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुकी है.

छपरा के पेड़े की देश-विदेश में डिमांड: आमदाढ़ी रेलवे ढाला का स्वादिष्ट पेड़ा पूर्णता शुद्धता से तैयार किया जाता है. यह शुद्ध दूध से बनाई जाती है. यहां के पेड़ों की चर्चा देश-विदेश में है और बड़ी संख्या में छपरा सिवान रोड से गुजरने वाले लोग इस जगह पर रुककर इस पेड़े को खाना नहीं भूलते हैं. बेंगलुरु के रहने वाले मोहम्मद नासिर जब भी छपरा आते हैं तो पेड़ा खरीदना नहीं भूलते.

छपरा के पेड़े की देश-विदेश में डिमांड (ETV Bharat)

"मैं बेंगलुरु से आया हूं. जब भी मैं आता हूं तो पेड़ा लेकर जाता हूं. मुझे मेरे परिवार के लोगों ने यहीं से पेड़ा खरीदने को कहा है."- मोहम्मद नासिर, बेंगलुरु से आए खरीदार

प्रतिदिन बनाया जाता है 60 किलो पेड़ा: यहां पर प्रतिदिन 50 से 60 किलो पेड़ा बनाया जाता है और इसकी बिक्री कुछ ही घंटे में हो जाती है. सुबह से ही यहां पर बड़ी मात्रा में दूध की आवक शुरू हो जाती है और सभी दूध को इकठ्ठा करने के बाद इसे भट्टी पर खौला कर गाढ़ा किया जाता है. इस प्रक्रिया में लगभग दो घंटे का समय लगता है. उसके बाद इस खौलते हुए दूध को एक मशीन में डाला जाता है.

"बहुत जबरदस्त पेड़ा है. सिवान से जब भी यहां आते हैं तो रुककर पेड़ा खाते हैं. बहुत अच्छा से सर्व किया जाता है. बचपन से ही मैं पेड़ा खा रहा हूं."- अली हुसैन, सिवान से आए खरीदार

ऐसे तैयार होता है शुद्ध पेड़ा: मशीन में घंटों दूध को फेट कर गाढ़ा बनाया जाता है. उसके बाद गाढ़ा दूध भूरे कलर का पेस्ट बन जाता है. उसको थोड़ी देर के लिए खुला रखा जाता है. उसके बाद इसे पेड़े का आकार दिया जाता है. इस पेड़े की दुकान को यहां के एक व्यक्ति अशोक सिंह ने छपरा सिवान हाइवे पर एकमा के आमदाढ़ी रेलवे ढाला के पास आज से 50 से 60 साल पहले खोला था. आज उसके बेटे नितेश कुमार सिंह इस दुकान को चलाते हैं और अपने पिता के द्वारा स्थापित इस दुकान को संभालते हैं.

"यहां का पेड़ा बहुत मशहूर है. जो स्वाद यहां मिलता है वो कहीं नहीं मिलता है."- विकास शर्मा, खरीदार

50-60 साल पहले हुई थी दुकान की शुरुआत: नितेश कुमार सिंह का कहना है कि आज भी उन्होंने अपने पिता के समय जो शुद्धता के साथ पेड़ा बनाया जाता था, उसकी गुणवत्ता को बरकरार रखा है. इस पेड़ा मिठाई की सौंधी खुशबू की इतनी दीवानगी है कि छपरा सिवान रोड से गुजरने वाला प्रत्येक व्यक्ति यहां पर अपने वाहन को जरूर रोकता है और अपने और अपने परिवार के साथ पेड़े का लुत्फ जरूर उठाता है.

लंबे समय तक खराब नहीं होता: यहां के पेड़ों के स्वाद की इतनी चर्चा है कि बेंगलुरु में रहने वाले लोग यहां से आकर पेड़ा खरीद कर बेंगलुरु और अन्य जगह ले जाते हैं. इस पेड़ की खासियत यह है कि यह 10 से 15 दिन तक खराब नहीं होता है. वहीं दुकानदार नितेश कुमार सिंह ने बताया कि यह पेड़ा ₹10 पीस और 360 रुपए किलो बेचा जाता है.

"प्रत्येक दिन 50 से 60 किलो तक पेड़े की बिक्री होती है. इस पेड़े के स्वाद की दीवानगी लोगों के बीच इतनी है कि आमदाढ़ी रेलवे ढाला पेड़े की दुकान के कारण जाना जाता है."- नितेश सिंह, दुकानदार

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छपरा: सारण जिले में कई ऐसे मिठाई के व्यंजन हैं जिसकी पहचान सारण में ही नहीं पूरे बिहार और देश विदेश में है. यहां के अलग-अलग प्रखंडों में अलग-अलग तरह की मिठाई पूरे शुद्धता और स्वादिष्टता के साथ बनाई जाती है. मांझी के ताजपुर की एटम बम मिठाई और एकमा की आमदाढ़ी रेलवे ढाला का स्वादिष्ट पेड़ा देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुकी है.

छपरा के पेड़े की देश-विदेश में डिमांड: आमदाढ़ी रेलवे ढाला का स्वादिष्ट पेड़ा पूर्णता शुद्धता से तैयार किया जाता है. यह शुद्ध दूध से बनाई जाती है. यहां के पेड़ों की चर्चा देश-विदेश में है और बड़ी संख्या में छपरा सिवान रोड से गुजरने वाले लोग इस जगह पर रुककर इस पेड़े को खाना नहीं भूलते हैं. बेंगलुरु के रहने वाले मोहम्मद नासिर जब भी छपरा आते हैं तो पेड़ा खरीदना नहीं भूलते.

छपरा के पेड़े की देश-विदेश में डिमांड (ETV Bharat)

"मैं बेंगलुरु से आया हूं. जब भी मैं आता हूं तो पेड़ा लेकर जाता हूं. मुझे मेरे परिवार के लोगों ने यहीं से पेड़ा खरीदने को कहा है."- मोहम्मद नासिर, बेंगलुरु से आए खरीदार

प्रतिदिन बनाया जाता है 60 किलो पेड़ा: यहां पर प्रतिदिन 50 से 60 किलो पेड़ा बनाया जाता है और इसकी बिक्री कुछ ही घंटे में हो जाती है. सुबह से ही यहां पर बड़ी मात्रा में दूध की आवक शुरू हो जाती है और सभी दूध को इकठ्ठा करने के बाद इसे भट्टी पर खौला कर गाढ़ा किया जाता है. इस प्रक्रिया में लगभग दो घंटे का समय लगता है. उसके बाद इस खौलते हुए दूध को एक मशीन में डाला जाता है.

"बहुत जबरदस्त पेड़ा है. सिवान से जब भी यहां आते हैं तो रुककर पेड़ा खाते हैं. बहुत अच्छा से सर्व किया जाता है. बचपन से ही मैं पेड़ा खा रहा हूं."- अली हुसैन, सिवान से आए खरीदार

ऐसे तैयार होता है शुद्ध पेड़ा: मशीन में घंटों दूध को फेट कर गाढ़ा बनाया जाता है. उसके बाद गाढ़ा दूध भूरे कलर का पेस्ट बन जाता है. उसको थोड़ी देर के लिए खुला रखा जाता है. उसके बाद इसे पेड़े का आकार दिया जाता है. इस पेड़े की दुकान को यहां के एक व्यक्ति अशोक सिंह ने छपरा सिवान हाइवे पर एकमा के आमदाढ़ी रेलवे ढाला के पास आज से 50 से 60 साल पहले खोला था. आज उसके बेटे नितेश कुमार सिंह इस दुकान को चलाते हैं और अपने पिता के द्वारा स्थापित इस दुकान को संभालते हैं.

"यहां का पेड़ा बहुत मशहूर है. जो स्वाद यहां मिलता है वो कहीं नहीं मिलता है."- विकास शर्मा, खरीदार

50-60 साल पहले हुई थी दुकान की शुरुआत: नितेश कुमार सिंह का कहना है कि आज भी उन्होंने अपने पिता के समय जो शुद्धता के साथ पेड़ा बनाया जाता था, उसकी गुणवत्ता को बरकरार रखा है. इस पेड़ा मिठाई की सौंधी खुशबू की इतनी दीवानगी है कि छपरा सिवान रोड से गुजरने वाला प्रत्येक व्यक्ति यहां पर अपने वाहन को जरूर रोकता है और अपने और अपने परिवार के साथ पेड़े का लुत्फ जरूर उठाता है.

लंबे समय तक खराब नहीं होता: यहां के पेड़ों के स्वाद की इतनी चर्चा है कि बेंगलुरु में रहने वाले लोग यहां से आकर पेड़ा खरीद कर बेंगलुरु और अन्य जगह ले जाते हैं. इस पेड़ की खासियत यह है कि यह 10 से 15 दिन तक खराब नहीं होता है. वहीं दुकानदार नितेश कुमार सिंह ने बताया कि यह पेड़ा ₹10 पीस और 360 रुपए किलो बेचा जाता है.

"प्रत्येक दिन 50 से 60 किलो तक पेड़े की बिक्री होती है. इस पेड़े के स्वाद की दीवानगी लोगों के बीच इतनी है कि आमदाढ़ी रेलवे ढाला पेड़े की दुकान के कारण जाना जाता है."- नितेश सिंह, दुकानदार

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