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उन्नाव में धूल फांक रहीं 80 एंबुलेंस, नीलामी में देरी ने बढ़ाई परेशानी, सीएमएस बोले- लिख चुके हैं पत्र - UNNAO NEWS

उन्नाव में विभिन्न अस्पतालों में खड़ी हैं कंडम घोषित एंबुलेंस. नीलामी की प्रक्रिया वर्षों से है अधूरी.

एंबुलेंस जर्जर हालत में
एंबुलेंस जर्जर हालत में (Photo Credit : ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 29, 2024, 1:25 PM IST

उन्नाव : कभी आपातकालीन सेवाओं में मरीजों की जान बचाने वाली एंबुलेंस आज खुद अपने 'इलाज' की प्रतीक्षा कर रहीं हैं. जिले के विभिन्न अस्पतालों में खड़ी लगभग 80 एंबुलेंस कंडम घोषित हो चुकी हैं. उनकी नीलामी प्रक्रिया वर्षों से अधूरी है. ये एंबुलेंस अब अस्पताल परिसरों में जगह घेरे हुए खड़ी हैं और धीरे-धीरे कबाड़ में तब्दील होती जा रही हैं.

एंबुलेंस जर्जर हालत में (Video Credit : ETV Bharat)


कंडम एंबुलेंसों की स्थिति : जिला अस्पताल से लेकर सरकारी अस्पतालों तक, ये एंबुलेंस बेजान खड़ी हैं. 108 नंबर की 37 और 102 नंबर की 43 एंबुलेंस वर्तमान में आपातकालीन सेवाओं में सक्रिय हैं, लेकिन कंडम हो चुकी एंबुलेंस अस्पताल परिसरों में नीलामी के इंतजार में खराब हो रहीं हैं. नीलामी में देरी के कारण सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है.

जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. मिर्जा अली रिजवी के अनुसार, कंडम एंबुलेंसों की वजह से अस्पताल परिसर में जगह कम हो गई है. इन एंबुलेंसों के आसपास घास और गंदगी पनप रही है, जिससे मच्छर और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. उन्होंने इस समस्या को लेकर उन्नाव सीएमओ को पत्र लिखकर अवगत कराया था. हालांकि, पत्र भेजे हुए काफी समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

स्वास्थ्य मंत्री की निधि से खरीदी गई एंबुलेंस भी शामिल : इन कंडम एंबुलेंसों में वे भी शामिल हैं, जो पूर्व में उन्नाव से सांसद रहे और वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की सांसद निधि से खरीदी गई थीं. ये एंबुलेंस किसी समय जरूरतमंद मरीजों की जान बचाने के लिए काम आई, लेकिन अब ये पूरी तरह से खराब हो चुकी हैं.

राजस्व का नुकसान और सवालों के घेरे में जिम्मेदार अधिकारी : नीलामी की प्रक्रिया में देरी से सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान हो रहा है. एंबुलेंस लंबे समय तक खड़ी रहने के कारण अब अधिक खराब हो चुकी हैं, जिससे उनकी संभावित नीलामी कीमत पर भी असर पड़ेगा. अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि अगर जल्द ही नीलामी प्रक्रिया शुरू नहीं की गई, तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है.

समस्या का समाधान कब? : यह सवाल उठ रहा है कि आखिर कब जिम्मेदार अधिकारी इन एंबुलेंसों की नीलामी की प्रक्रिया को अंतिम रूप देंगे. समय के साथ इन एंबुलेंसों की हालत और खराब हो रही है, जिससे न केवल सरकारी धन का नुकसान हो रहा है, बल्कि अस्पताल परिसरों में अव्यवस्था भी बढ़ रही है.

अस्पताल प्रशासन की अपील : डॉ. मिर्जा अली रिजवी ने संबंधित अधिकारियों से अपील की है कि जल्द से जल्द इन एंबुलेंसों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू की जाए. उन्होंने बताया कि इन एंबुलेंसों के खड़े रहने से अस्पताल परिसर में गंदगी फैल रही है, जिससे मच्छर और बीमारियों का खतरा बढ़ा है.

उन्नाव की कंडम एंबुलेंसों का मुद्दा सिर्फ अस्पताल परिसरों की सफाई या जगह की समस्या तक सीमित नहीं है. यह सरकार के राजस्व और प्रशासनिक जिम्मेदारियों से भी जुड़ा मामला है. जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है.

यह भी पढ़ें: यूपी में अंग्रेजों के जमाने का 150 साल पुराना पुल ढहा, दो पिलरों के बीच का हिस्सा गंगा में गिरा

यह भी पढ़ें: उन्नाव में सड़क हादसे में प्रतिदिन 3 मौतें, जिला प्रशासन को नहीं मिला कोई 'नेक दिल इंसान', अब किसे करे सम्मानित

उन्नाव : कभी आपातकालीन सेवाओं में मरीजों की जान बचाने वाली एंबुलेंस आज खुद अपने 'इलाज' की प्रतीक्षा कर रहीं हैं. जिले के विभिन्न अस्पतालों में खड़ी लगभग 80 एंबुलेंस कंडम घोषित हो चुकी हैं. उनकी नीलामी प्रक्रिया वर्षों से अधूरी है. ये एंबुलेंस अब अस्पताल परिसरों में जगह घेरे हुए खड़ी हैं और धीरे-धीरे कबाड़ में तब्दील होती जा रही हैं.

एंबुलेंस जर्जर हालत में (Video Credit : ETV Bharat)


कंडम एंबुलेंसों की स्थिति : जिला अस्पताल से लेकर सरकारी अस्पतालों तक, ये एंबुलेंस बेजान खड़ी हैं. 108 नंबर की 37 और 102 नंबर की 43 एंबुलेंस वर्तमान में आपातकालीन सेवाओं में सक्रिय हैं, लेकिन कंडम हो चुकी एंबुलेंस अस्पताल परिसरों में नीलामी के इंतजार में खराब हो रहीं हैं. नीलामी में देरी के कारण सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है.

जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. मिर्जा अली रिजवी के अनुसार, कंडम एंबुलेंसों की वजह से अस्पताल परिसर में जगह कम हो गई है. इन एंबुलेंसों के आसपास घास और गंदगी पनप रही है, जिससे मच्छर और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. उन्होंने इस समस्या को लेकर उन्नाव सीएमओ को पत्र लिखकर अवगत कराया था. हालांकि, पत्र भेजे हुए काफी समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

स्वास्थ्य मंत्री की निधि से खरीदी गई एंबुलेंस भी शामिल : इन कंडम एंबुलेंसों में वे भी शामिल हैं, जो पूर्व में उन्नाव से सांसद रहे और वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की सांसद निधि से खरीदी गई थीं. ये एंबुलेंस किसी समय जरूरतमंद मरीजों की जान बचाने के लिए काम आई, लेकिन अब ये पूरी तरह से खराब हो चुकी हैं.

राजस्व का नुकसान और सवालों के घेरे में जिम्मेदार अधिकारी : नीलामी की प्रक्रिया में देरी से सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान हो रहा है. एंबुलेंस लंबे समय तक खड़ी रहने के कारण अब अधिक खराब हो चुकी हैं, जिससे उनकी संभावित नीलामी कीमत पर भी असर पड़ेगा. अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि अगर जल्द ही नीलामी प्रक्रिया शुरू नहीं की गई, तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है.

समस्या का समाधान कब? : यह सवाल उठ रहा है कि आखिर कब जिम्मेदार अधिकारी इन एंबुलेंसों की नीलामी की प्रक्रिया को अंतिम रूप देंगे. समय के साथ इन एंबुलेंसों की हालत और खराब हो रही है, जिससे न केवल सरकारी धन का नुकसान हो रहा है, बल्कि अस्पताल परिसरों में अव्यवस्था भी बढ़ रही है.

अस्पताल प्रशासन की अपील : डॉ. मिर्जा अली रिजवी ने संबंधित अधिकारियों से अपील की है कि जल्द से जल्द इन एंबुलेंसों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू की जाए. उन्होंने बताया कि इन एंबुलेंसों के खड़े रहने से अस्पताल परिसर में गंदगी फैल रही है, जिससे मच्छर और बीमारियों का खतरा बढ़ा है.

उन्नाव की कंडम एंबुलेंसों का मुद्दा सिर्फ अस्पताल परिसरों की सफाई या जगह की समस्या तक सीमित नहीं है. यह सरकार के राजस्व और प्रशासनिक जिम्मेदारियों से भी जुड़ा मामला है. जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है.

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