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16 वेदियों में पिंडदान से पितरों को होती है मोक्ष की प्राप्ति, साक्षात भगवान विष्णु देते हैं आशीर्वाद - Pitru paksha 2024

Pitru Paksha Mela In Gaya: विश्व विख्यात पितृपक्ष मेला बिहार के गया जी धाम में चल रहा है. पितृपक्ष मेले के सातवें दिन तक करीब 5 लाख तीर्थ यात्री गयाजी धाम को आ चुके हैं और अपने पितरों की निमित्त पिंडदान का कर्मकांड कर रहे हैं. आठवें दिन मोक्षस्थली विष्णु धाम में विभिन्न वेेदियो पर पिंडदान का विधान है.

Pitru Paksha Mela In Gaya
गया में पितृपक्ष मेले का आठवां दिन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 24, 2024, 6:43 AM IST

गया: आज गया में पितृपक्ष मेले का आठवां दिन है. अश्विन कृष्ण षष्ठी से आश्विन कृष्ण अष्टमी तक विष्णु पद मंदिर के 16 वेदी नामक मंडप में पिंडदान का विधान है. यहां पिंडदान के बाद तीर्थ यात्री भगवान विष्णु के अलौकिक चरण चिह्न का दर्शन करते हैं. 16 वेदियों में पिंडदान से पितर को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. मान्यता है कि पितृ देवता के रूप में भगवान नारायण साक्षात मौजूद हैं और पितर को मोक्ष का आशीर्वाद देते हैं.

आश्विन कृष्ण षष्ठी से अष्टमी तक पिंडदान का विधान: आश्विन कृष्ण षष्ठी से आश्विन कृष्ण अष्टमी तक विष्णु पद मंदिर के 16 वेदी नामक मंडप में 14 स्थान पर और पास के मंडप में दो स्थानों पर पिंडदान होता है. इस तरह कुल 16 वेदी नामक मंडप में 16 पिंड वेदियों पर पिंडदान का कर्मकांड होता है. पिंडदान के बाद तीर्थ यात्री भगवान विष्णु के चरण चिह्न का दर्शन करते हैं. मान्यता है कि यहां भगवान नारायण पितृ देवता के रूप में साक्षात मौजूद हैं. 16 वेदियो में पिंडदान से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. पितृ देवता के रूप में भगवान नारायण पितर को मोक्ष का आशीर्वाद देते हैं. फलत: पूर्वजों को स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती है.

Pitru Paksha Mela In Gaya
गयाजी में पिंडदान करते लोग (ETV Bharat)

पूर्वजों को स्वर्ग में मिलता है स्थान: पुराण शास्त्रों में वर्णित है कि जो व्यक्ति पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण कर्मकांड के लिए गयाजी धाम यानी की मोक्ष नगरी विष्णु धाम को जाता है. वहां पिंडदान श्राद्ध और तर्पण कर्मकांड से उनके पूर्वजों को स्वर्ग में स्थान मिलता है. पितृ पक्ष के आठवें दिन 16 वेदियों में पिंडदान करने का विधान है. तीर्थ यात्री यहां आकर भगवान विष्णु सहित विभिन्न भगवानों के नाम से रहे 16 वेदियों का स्मरण करना चाहिए और इसके बाद ही पिंडदान का कर्मकांड करना चाहिए. 16 वेदियो में पिंडदान से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है और वे स्वर्ग लोक को प्राप्त होते हैं.

Pitru Paksha Mela In Gaya
पितृ देवता के रूप में विष्णु जी देते हैं आशीर्वाद (ETV Bharat)

यह हैं विष्णुपद की 16 वेदियां: विष्णु पद के 16 वेेदियो में कार्तिक पद, दक्षिणाग्नि पद, गार्हपत्यानी पद, आवहनोमग्निपद, संध्याग्नि पद, आवसंध्याग्निपथ, सूर्य पद, चंद्र पद, गणेश पद, उधीचीपद, कण्वपद, मातंगपद, कौचपद, इंद्र पद, अगस्त्य पद और कश्यप पद हैं. इन पिंड वेदियों पर पिंडदानी पहुंचकर पिंडदान का कर्मकांड करते हैं.

Pitru Paksha Mela In Gaya
16 वेदियों में पिंडदान से पितरों को मिलता है मोक्ष (ETV Bharat)

धार्मिक विधान के अनुसार करें पिंडदान: वहीं, पिंडदानी को पितृपक्ष के दौरान पूरे विधि विधान से पितरों के मोक्ष के निमित्त पिंडदान का कर्मकांड करना चाहिए. पितृपक्ष अवधि तक लहसुन, प्याज, सत्तू, मसूर की दाल का सेवन वर्जित माना गया है. गया श्राद्ध त्रैपाक्षिक यानि की पितृ पक्ष की पूरी अवधि तक, 8 दिन, 5 दिन, 3 दिन और 1 दिन का भी होता है. धार्मिक विधि विधान और नियमों के अनुसार पिंड दान करना चाहिए.

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आश्विन कृष्ण षष्ठी से अष्टमी तक पिंडदान का विधान: आश्विन कृष्ण षष्ठी से आश्विन कृष्ण अष्टमी तक विष्णु पद मंदिर के 16 वेदी नामक मंडप में 14 स्थान पर और पास के मंडप में दो स्थानों पर पिंडदान होता है. इस तरह कुल 16 वेदी नामक मंडप में 16 पिंड वेदियों पर पिंडदान का कर्मकांड होता है. पिंडदान के बाद तीर्थ यात्री भगवान विष्णु के चरण चिह्न का दर्शन करते हैं. मान्यता है कि यहां भगवान नारायण पितृ देवता के रूप में साक्षात मौजूद हैं. 16 वेदियो में पिंडदान से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. पितृ देवता के रूप में भगवान नारायण पितर को मोक्ष का आशीर्वाद देते हैं. फलत: पूर्वजों को स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती है.

Pitru Paksha Mela In Gaya
गयाजी में पिंडदान करते लोग (ETV Bharat)

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Pitru Paksha Mela In Gaya
पितृ देवता के रूप में विष्णु जी देते हैं आशीर्वाद (ETV Bharat)

यह हैं विष्णुपद की 16 वेदियां: विष्णु पद के 16 वेेदियो में कार्तिक पद, दक्षिणाग्नि पद, गार्हपत्यानी पद, आवहनोमग्निपद, संध्याग्नि पद, आवसंध्याग्निपथ, सूर्य पद, चंद्र पद, गणेश पद, उधीचीपद, कण्वपद, मातंगपद, कौचपद, इंद्र पद, अगस्त्य पद और कश्यप पद हैं. इन पिंड वेदियों पर पिंडदानी पहुंचकर पिंडदान का कर्मकांड करते हैं.

Pitru Paksha Mela In Gaya
16 वेदियों में पिंडदान से पितरों को मिलता है मोक्ष (ETV Bharat)

धार्मिक विधान के अनुसार करें पिंडदान: वहीं, पिंडदानी को पितृपक्ष के दौरान पूरे विधि विधान से पितरों के मोक्ष के निमित्त पिंडदान का कर्मकांड करना चाहिए. पितृपक्ष अवधि तक लहसुन, प्याज, सत्तू, मसूर की दाल का सेवन वर्जित माना गया है. गया श्राद्ध त्रैपाक्षिक यानि की पितृ पक्ष की पूरी अवधि तक, 8 दिन, 5 दिन, 3 दिन और 1 दिन का भी होता है. धार्मिक विधि विधान और नियमों के अनुसार पिंड दान करना चाहिए.

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