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जवाहर बाग कांड की आठवीं बरसी; शहीद एसपी की पत्नी की मांग, अब तक नहीं मिला सम्मान, मुख्यमंत्री दें शहीद सेवा मेडल - 8th Jawahar Bagh Massacre - 8TH JAWAHAR BAGH MASSACRE

मथुरा के चर्चित जवाहर बाग कांड की आठवीं बरसी पर रविवार को शहीद एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी को उनकी पत्नी ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि, एक शहीद को जो सम्मान मिलना चाहिए वह अब तक नहीं मिला

Tribute paid to martyrs with tearful eyes
नम आंखों से शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि (PHOTO credit ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 2, 2024, 10:18 PM IST

बरसी पर याद किए गए शहीद एसपी (video credit ETV BHARAT)

मथुरा: मथुरा के बहुचर्चित जवाहर बाग कांड की आठवीं बरसी पर रविवार को शहीद एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी ने शहीद स्मारक पर जाकर श्रद्धांजलि दी. शहीद को नमन आंखों से याद किया. 2 जून 2016 को जवाहर बाग जिला उद्यान विभाग की सरकारी जमीन खाली कराते समय हिंसक घटना हुई थी. जिसमें तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष यादव सहित 29 लोगों की मौत हुई. शहीद एसपी सिटी की पत्नी ने कहा कि, 8 साल बाद भी शहीद को सम्मान नहीं मिला. साथ ही मुख्यमंत्री से मांग किया कि, शहीदों को शहीद सेवा मेडल दिया जाए.

शहीद एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी ने कहा की, नम आंखों से दोनों शहीद अधिकारियों को याद किया, पिछले कई वर्षों से स्मारक स्थल बनाने की मांग चली आ रही थी. इस बार वह पूरी हुई. शहीद की पत्नी ने कहा कि, यहां प्रतिमा स्थापित हो जाती तो अच्छा होता.

बता दें कि, दो जून 2016 को जिला उद्यान विभाग की सरकारी जमीन 270 एकड़ पर कथित सत्याग्रहियों ने अवैध कब्जा कर लिया था. सरकारी जमीन को खाली कराने के लिए जिला प्रशासन ने कई बार कड़ी मशक्कत की लेकिन कामयाबी हासिल नहीं हुई. तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी, थाना अध्यक्ष संतोष यादव पुलिस फोर्स के साथ सरकारी जमीन खाली कराने पहुंचे, लेकिन कथित सत्याग्रहियों ने पुलिस पर फायरिंग और पथराव शुरू कर दिया. जिसमें तत्कालीन एसपी सिटी और थाना अध्यक्ष संतोष यादव की गोली लगने से मौत गई. भीषण हिंसक घटना में कुल 29 लोगों की जान गई.

गाजीपुर के रहने वाले रामवृक्ष यादव अपने साथियों के साथ दिल्ली जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन करने के लिए निकले थे. 12 मार्च को 2013 को गाजीपुर से निकले और 14 मार्च को मथुरा पहुंचे, रात को गई थी इसलिए जिला प्रशासन ने भीड़ को देखते हुए कथित सत्याग्रहियों को दो दिन रुकने की अनुमति जवाहर बाग में दी गई. धीरे धीरे कुछ लोग सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करना शुरु कर दिया. जिसके बाद जिला प्रशासन ने खाली कराने का प्रयास किया लेकिन नाकामयाबी हाथ लगी, कथित सत्ताग्रहियों की संख्या हजारों में थी.


ये भी पढ़ें:श्रीकृष्ण जन्मभूमि ईदगाह विवाद पर चार जून को फिर से होगी सुनवाई

बरसी पर याद किए गए शहीद एसपी (video credit ETV BHARAT)

मथुरा: मथुरा के बहुचर्चित जवाहर बाग कांड की आठवीं बरसी पर रविवार को शहीद एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी ने शहीद स्मारक पर जाकर श्रद्धांजलि दी. शहीद को नमन आंखों से याद किया. 2 जून 2016 को जवाहर बाग जिला उद्यान विभाग की सरकारी जमीन खाली कराते समय हिंसक घटना हुई थी. जिसमें तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष यादव सहित 29 लोगों की मौत हुई. शहीद एसपी सिटी की पत्नी ने कहा कि, 8 साल बाद भी शहीद को सम्मान नहीं मिला. साथ ही मुख्यमंत्री से मांग किया कि, शहीदों को शहीद सेवा मेडल दिया जाए.

शहीद एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी ने कहा की, नम आंखों से दोनों शहीद अधिकारियों को याद किया, पिछले कई वर्षों से स्मारक स्थल बनाने की मांग चली आ रही थी. इस बार वह पूरी हुई. शहीद की पत्नी ने कहा कि, यहां प्रतिमा स्थापित हो जाती तो अच्छा होता.

बता दें कि, दो जून 2016 को जिला उद्यान विभाग की सरकारी जमीन 270 एकड़ पर कथित सत्याग्रहियों ने अवैध कब्जा कर लिया था. सरकारी जमीन को खाली कराने के लिए जिला प्रशासन ने कई बार कड़ी मशक्कत की लेकिन कामयाबी हासिल नहीं हुई. तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी, थाना अध्यक्ष संतोष यादव पुलिस फोर्स के साथ सरकारी जमीन खाली कराने पहुंचे, लेकिन कथित सत्याग्रहियों ने पुलिस पर फायरिंग और पथराव शुरू कर दिया. जिसमें तत्कालीन एसपी सिटी और थाना अध्यक्ष संतोष यादव की गोली लगने से मौत गई. भीषण हिंसक घटना में कुल 29 लोगों की जान गई.

गाजीपुर के रहने वाले रामवृक्ष यादव अपने साथियों के साथ दिल्ली जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन करने के लिए निकले थे. 12 मार्च को 2013 को गाजीपुर से निकले और 14 मार्च को मथुरा पहुंचे, रात को गई थी इसलिए जिला प्रशासन ने भीड़ को देखते हुए कथित सत्याग्रहियों को दो दिन रुकने की अनुमति जवाहर बाग में दी गई. धीरे धीरे कुछ लोग सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करना शुरु कर दिया. जिसके बाद जिला प्रशासन ने खाली कराने का प्रयास किया लेकिन नाकामयाबी हाथ लगी, कथित सत्ताग्रहियों की संख्या हजारों में थी.


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