लखनऊ: पुलिस हिरासत में हत्या के मामले में आरोपी बीकेटी थाने के तत्कालीन सिपाही गुलाब चन्द्र, अनिल कुमार मिश्र, नरेंद्र सिंह, हेड कॉन्स्टेबल राम प्रसाद प्रेमी, उदय नारायण, सिपाही राम प्रभाव शुक्ला, अवध नाथ चौहान और सिपाही मुल्लूराम को सजा सुनाई गई है. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष जज सोमप्रभा ने सभी को दोषी करार दिया है. मामले के अन्य आरोपी अरशद अली और अब्दुल रहमान की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी.
कोर्ट ने सिपाही गुलाब चंद्र, राम प्रभाव शुक्ला और अवध नाथ चौहान को आजीवन कारावास के साथ साथ 29 हजार रुपए का अर्थ दंड सुनाया. वहीं हेड कॉन्स्टेबल राम प्रसाद प्रेमी, उदय नारायण, सिपाही अनिल कुमार मिश्र, नरेंद्र सिंह और मुल्लू राम को पांच-पांच साल की कैद और दो-दो हजार रुपए अर्थ दंड की सजा सुनाया है.
सरकारी वकील नवीन त्रिपाठी ने बताया कि मामले की रिपोर्ट 24 अगस्त 2000 को बीकेटी थाने में दर्ज कराई थी. जिसमें पीड़ित के परिजन ने बताया कि 23 अगस्त को आरोपी सिपाही राम प्रभाव शुक्ला, अवध नाथ चौहान, चन्द्र किरण राठौर और गुलाब चंद्र उनके यहां आए. उनके साथ रामपुर बेहटा निवासी बाबू पासी भी थे. और एक मुकदमे की जानकारी देते हुए वादी के छोटे भाई वीरेंद्र सिंह को अपने साथ ले गए. और उसे आरोपी राम प्रभाव शुक्ला के सरकारी आवास पर रखा. इस दौरान आरोपियों ने वीरेंद्र के जमकर मारपीट की.
एफआईआर के मुताबिक आरोपी राम प्रभाव ने वादी के भाई को छोड़ने के बदले में पांच हजार की रिश्वत मांगी थी. आरोप था कि वादी ने एक हजार रुपये तत्काल दे दिए और बांकी के चार हजार अगले दिन देने का वादा किया. कहा गया कि जब अगले दिन वादी शेष पैसे देने के लिए गया तो उसे पता चला कि उसके भाई की लॉकअप में मृत्यु हो गई. थाने पर उसे बताया गया कि मृतक ने आत्महत्या कर ली.
वहीं मृतक के भाई ने आरोप लगाया गया कि पुलिस वालों ने वादी के भाई को हवालात के रोशनदान से लटकाकर हत्या कर दी. और साजिश रचकर आत्महत्या का रूप दे दिया गया.