देहरादूनः मेडिकल साइंस के साथ-साथ देश में आयुर्वेद विज्ञान ने भी पिछले कुछ सालों में अपनी जगह मजबूत बनाई है. आयुर्वेद के क्षेत्र में होने वाले शोध और अध्ययन में उत्तराखंड राज्य ने अपनी अग्रणी भूमिका निभाई है. यही वजह है कि अब उत्तराखंड में भी ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के तर्ज पर ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद की स्थापना की तैयारी की जा रही है.
उत्तराखंड आयुष सचिव विजय कुमार जोगदंडे ने बताया कि प्रदेश में लगातार आयुर्वेद के क्षेत्र में हो रहे विकास और लोगों के रिस्पांस को देखते हुए उत्तराखंड में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद के केंद्रीय संस्थान की स्थापना को जरूरी समझा जा रहा है. उन्होंने कहा कि हरिद्वार में मौजूद ऋषिकुल महाविद्यालय को ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद के रूप में विकसित किए जाने को लेकर राज्य सरकार विचार कर रही है.
आयुष सचिव ने कहा, आयुर्वेद संस्थान को लेकर भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जा चुका है. हालांकि, अभी भारत सरकार से मंजूरी का इंतजार है. लेकिन ऋषिकुल महाविद्यालय इस तरह के बड़े संस्थान की स्थापना के लिए एक बेहतर विकल्प है. उन्होंने बताया कि ऋषिकुल महाविद्यालय में आयुर्वेदिक अस्पताल भी मौजूद है. वहां पर यदि केंद्रीय संस्थान के रूप में विस्तारीकरण की जरूरत पड़ती है तो भूमि भी उपलब्ध कराई जाएगी. लिहाजा, भारत सरकार से मंजूरी मिलते ही इस दिशा में आगे कदम बढ़ाया जाएगा.
आयुर्वेदिक क्षेत्र में सभी जिलों में हो रहा है काम: प्रदेश में आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली पर जानकारी देते हुए आयुष सचिव विजय कुमार जोगदंडे ने बताया कि आयुर्वेद विभाग के अंतर्गत जिलों में मौजूद सभी राजकीय चिकित्सालयों को पहले चरण में नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स (NABH) के तहत चिन्हित कर उनके सर्टिफिकेशन की कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने बताया कि प्रदेश में 66 ऐसे आयुर्वेदिक चिकित्सालय हैं जिन्हें एनएबीएच के तहत चिन्हित किया जा चुका है. वहीं 115 अस्पतालों में कार्रवाई जारी है. यही नहीं, निजी अस्पतालों को भी एनएबीएच के दायरे में लाया जाए, ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं.
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