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छत्तीसगढ़ के लोकसभा चुनाव में थर्ड फ्रंट रहा बेदम, कांग्रेस और बीजेपी की टक्कर में नहीं टिक पाई दूसरी पार्टियां - LOK SABHA ELECTION 2024

छत्तीसगढ़ के लोकसभा चुनाव में थर्ड फ्रंट का इस बार भी कोई असर देखने को नहीं मिलेगा. अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश करने से पहले ही थर्ड फ्रंट के पैर उखड़ गए हैं. बीजेपी और कांग्रेस की सियासी लड़ाई में तीसरे मोर्चे और अन्य दलों की हवा हर बार निकल गई.

LOK SABHA ELECTION 2024
छत्तीसगढ़ में थर्ड फ्रंट टांय टांय फिस्स
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 1, 2024, 8:33 PM IST

Updated : Apr 3, 2024, 10:26 PM IST

छत्तीसगढ़ में थर्ड फ्रंट टांय टांय फिस्स

बिलासपुर/ रायपुर : लोकसभा चुनाव में अबतक का जो सियासी ट्रेंड रहा है उसमें छत्तीसगढ़ में कभी भी थर्ड फ्रंट को कामयाबी नहीं मिली है. यहां तक की थर्ड फ्रंट अबतक बीजेपी और कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती भी नहीं बन पाई है. जोगी कांग्रेस पार्टी का जब जन्म हुआ तो उसने प्रदेश में तीसरा विकल्प बनने की कोशिश जरूर की. जोगी कांग्रेस की वो कोशिश भी नाकाम साबित हुई. बसपा ने जोगी कांग्रेस के साथ गठबंधन भी किया लेकिन वो भी छत्तीसगढ़ में सफल नहीं हुआ.

तीसरे मोर्चे का टूटा छत्तीसगढ़ में दम: लोकसभा चुनाव के परिदृष्य में देखा जाए तो तीसरे मोर्च ने कभी भी बीजेपी और कांग्रेस के वोटों में सेंध नहीं लगाई है. तीसरे दल के रूप में प्रदेश के लोकसभा सीटों पर बसपा लगातार मैदान में उतर रही है. इसे सियासी दुर्भाग्य ही कहा जाएगा या फिर बिना तैयारी के मैदान में उतरने का नतीजा कि वो कभी भी जीत के करीब तक नहीं पहुंच पाई. बसपा कभी भी छत्तीसगढ़ में इतना मजबूत नहीं हो पाई की वो हार और जीत के बीच का फैक्टर भी बन पाए. अजित जोगी की मौत के बाद जोगी कांग्रेस का भी हाल बुरा है. उसके नेता और विधायक अपना घर छोड़ सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट हो चुके हैं.

छत्तीसगढ़ में तीसरा मोर्चा क्यों रहा फेल, आंकड़ों से समझिए: अगर हम साल 2019, 2014, 2009 और 2004 के आम चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह बिल्कुल साफ हो जाता है कि छत्तीसगढ़ में तीसरा मोर्चा या अन्य दूसरे दलों की दाल नहीं गली. इन आम चुनावों में सीधी फाइट बीजेपी और कांग्रेस में देखने को मिली. यही वजह कि तीसरे मोर्चे के दम को छत्तीसगढ़ की जनता अपने फैसले से नकारती आई है. एक नजर नीचे दिए गए आंकड़ों पर डालिए

2004 का लोकसभा चुनाव
2004 का लोकसभा चुनाव
2009 का लोकसभा चुनाव
2009 का लोकसभा चुनाव
2014 का लोकसभा चुनाव
2014 का लोकसभा चुनाव
2019 का लोकसभा चुनाव
2019 का लोकसभा चुनाव

साल 2019 का लोकसभा चुनाव

  • मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच हुआ
  • कांग्रेस को मिली दो सीटें
  • कोरबा से ज्योत्सना महंत और बस्तर से दीपक बैज जीते
  • बीजेपी ने 9 सीटें जीती
  • अन्य दलों को कोई भी सीट हासिल नहीं हुई

2014 लोकसभा चुनाव

  • इस बार भी मेन फाइट बीजेपी और कांग्रेस में रही
  • कांग्रेस को महज एक सीट पर जीत मिली
  • दुर्ग से कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू जीते
  • बीजेपी ने 11 में से 10 सीटों पर जीत दर्ज की
  • अन्य किसी भी पार्टी को कोई सीट नहीं मिली

2009 लोकसभा चुनाव

  1. मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच रहा
  2. कांग्रेस को एक सीट पर मिली जीत
  3. सिर्फ कोरबा सीट कांग्रेस जीत पाई, यहां से चरणदास महंत जीते
  4. बीजेपी ने कुल 10 सीटों पर जीत दर्ज किया
  5. अन्य दल का खाता नहीं खुला

2004 लोकसभा चुनाव

  • कांग्रेस और बीजेपी के बीच टक्कर देखने को मिली
  • बीजेपी ने 10 सीटें हासिल की
  • कांग्रेस को एक सीटें मिली
  • महासमुंद सीट से कांग्रेस के अजीत जोगी जीते
  • राजनांदगांव उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की
  • इस तरह कुल दो सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली
  • दूसरी किसी पार्टी को कोई भी सीट नहीं मिली

लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में छत्तीसगढ़ में वोट शेयर: साल 2014 के आम चुनाव में छत्तीसगढ़ में बीजेपी के वोट परसेंटेज और कांग्रेस के वोट प्रतिशत में करीब 10 फीसदी का अंतर रहा. बीजेपी का वोट प्रतिशत 49.7 फीसदी रहा. जबकि कांग्रेस का वोट प्रतिशत 39.1 फीसदी रहा. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वोट प्रतिशत का फासला बरकरार रहा. बीजेपी का वोट शेयर 50.7 फीसदी रहा. जबकि कांग्रेस का वोट प्रतिशत 40.9 फीसदी रहा.

थर्ड फ्रंट में यदि राष्ट्रीय पार्टियों की भी बात करें तो पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्या चरण शुक्ला ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी लेकर आए थे, इसी तरह लालू प्रसाद यादव की पार्टी भी छत्तीसगढ़ में 2003-4 में सकरीय रही और समाजवादी पार्टी भी इसी समय छत्तीसगढ़ प्रवेश की थी लेकिन इन पार्टियों का भी कोई अस्तित्व नहीं रहा और इस समय 2024 के चुनाव में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस और रूलिंग पार्टी भाजपा के बीच ही मुकाबला देखने को मिलेगा. - भास्कर मिश्रा, राजनीति के जानकार

बिलासपुर के धरती से लोकसभा चुनाव का शंखनाद: कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल लोकसभा चुनाव में हमेशा से आमने सामने रहे हैं. इस बार भी दोनों पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत जीत के लिए झोंक दी है. साल 2019 में भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला हुआ. क्षेत्रीय पार्टियों ने कई सीटों से अपने प्रत्याशी जरुर उतारे लेकिन विजय किसी को नहीं मिली. कई लोगों की तो जमानत तक जब्त हो गई. तीसरी शक्ति के रुप में गोंगपा ने जरूर अपनी शक्ति का अहसास कुछ सीटों पर कराया लेकिन वो नतीजों में कभी तब्दील नहीं हो पाया.

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी(गोंगपा):लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक में गोंगपा अपने प्रत्याशी उतारते रही है. गोंगपा को न तो विधानसभा में सफलता मिली नहीं लोकसभा चुनावों में. अभिवाजित मध्यप्रदेश में जरूर एक बार गोंगपा ने विधानसभा की 17 सीटें जीती थी.

छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जोगी): छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी पार्टी जब बनी तो कुछ विधायक उसके जीतकर विधानसभा पहुंचे. पार्टी ने अपनी ताकत का अहसास करते हुए कभी लोकसभा के मैदान में अपना दम आजमाने की कोशिश नहीं की.

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छत्तीसगढ़ में थर्ड फ्रंट टांय टांय फिस्स

बिलासपुर/ रायपुर : लोकसभा चुनाव में अबतक का जो सियासी ट्रेंड रहा है उसमें छत्तीसगढ़ में कभी भी थर्ड फ्रंट को कामयाबी नहीं मिली है. यहां तक की थर्ड फ्रंट अबतक बीजेपी और कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती भी नहीं बन पाई है. जोगी कांग्रेस पार्टी का जब जन्म हुआ तो उसने प्रदेश में तीसरा विकल्प बनने की कोशिश जरूर की. जोगी कांग्रेस की वो कोशिश भी नाकाम साबित हुई. बसपा ने जोगी कांग्रेस के साथ गठबंधन भी किया लेकिन वो भी छत्तीसगढ़ में सफल नहीं हुआ.

तीसरे मोर्चे का टूटा छत्तीसगढ़ में दम: लोकसभा चुनाव के परिदृष्य में देखा जाए तो तीसरे मोर्च ने कभी भी बीजेपी और कांग्रेस के वोटों में सेंध नहीं लगाई है. तीसरे दल के रूप में प्रदेश के लोकसभा सीटों पर बसपा लगातार मैदान में उतर रही है. इसे सियासी दुर्भाग्य ही कहा जाएगा या फिर बिना तैयारी के मैदान में उतरने का नतीजा कि वो कभी भी जीत के करीब तक नहीं पहुंच पाई. बसपा कभी भी छत्तीसगढ़ में इतना मजबूत नहीं हो पाई की वो हार और जीत के बीच का फैक्टर भी बन पाए. अजित जोगी की मौत के बाद जोगी कांग्रेस का भी हाल बुरा है. उसके नेता और विधायक अपना घर छोड़ सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट हो चुके हैं.

छत्तीसगढ़ में तीसरा मोर्चा क्यों रहा फेल, आंकड़ों से समझिए: अगर हम साल 2019, 2014, 2009 और 2004 के आम चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह बिल्कुल साफ हो जाता है कि छत्तीसगढ़ में तीसरा मोर्चा या अन्य दूसरे दलों की दाल नहीं गली. इन आम चुनावों में सीधी फाइट बीजेपी और कांग्रेस में देखने को मिली. यही वजह कि तीसरे मोर्चे के दम को छत्तीसगढ़ की जनता अपने फैसले से नकारती आई है. एक नजर नीचे दिए गए आंकड़ों पर डालिए

2004 का लोकसभा चुनाव
2004 का लोकसभा चुनाव
2009 का लोकसभा चुनाव
2009 का लोकसभा चुनाव
2014 का लोकसभा चुनाव
2014 का लोकसभा चुनाव
2019 का लोकसभा चुनाव
2019 का लोकसभा चुनाव

साल 2019 का लोकसभा चुनाव

  • मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच हुआ
  • कांग्रेस को मिली दो सीटें
  • कोरबा से ज्योत्सना महंत और बस्तर से दीपक बैज जीते
  • बीजेपी ने 9 सीटें जीती
  • अन्य दलों को कोई भी सीट हासिल नहीं हुई

2014 लोकसभा चुनाव

  • इस बार भी मेन फाइट बीजेपी और कांग्रेस में रही
  • कांग्रेस को महज एक सीट पर जीत मिली
  • दुर्ग से कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू जीते
  • बीजेपी ने 11 में से 10 सीटों पर जीत दर्ज की
  • अन्य किसी भी पार्टी को कोई सीट नहीं मिली

2009 लोकसभा चुनाव

  1. मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच रहा
  2. कांग्रेस को एक सीट पर मिली जीत
  3. सिर्फ कोरबा सीट कांग्रेस जीत पाई, यहां से चरणदास महंत जीते
  4. बीजेपी ने कुल 10 सीटों पर जीत दर्ज किया
  5. अन्य दल का खाता नहीं खुला

2004 लोकसभा चुनाव

  • कांग्रेस और बीजेपी के बीच टक्कर देखने को मिली
  • बीजेपी ने 10 सीटें हासिल की
  • कांग्रेस को एक सीटें मिली
  • महासमुंद सीट से कांग्रेस के अजीत जोगी जीते
  • राजनांदगांव उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की
  • इस तरह कुल दो सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली
  • दूसरी किसी पार्टी को कोई भी सीट नहीं मिली

लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में छत्तीसगढ़ में वोट शेयर: साल 2014 के आम चुनाव में छत्तीसगढ़ में बीजेपी के वोट परसेंटेज और कांग्रेस के वोट प्रतिशत में करीब 10 फीसदी का अंतर रहा. बीजेपी का वोट प्रतिशत 49.7 फीसदी रहा. जबकि कांग्रेस का वोट प्रतिशत 39.1 फीसदी रहा. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वोट प्रतिशत का फासला बरकरार रहा. बीजेपी का वोट शेयर 50.7 फीसदी रहा. जबकि कांग्रेस का वोट प्रतिशत 40.9 फीसदी रहा.

थर्ड फ्रंट में यदि राष्ट्रीय पार्टियों की भी बात करें तो पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्या चरण शुक्ला ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी लेकर आए थे, इसी तरह लालू प्रसाद यादव की पार्टी भी छत्तीसगढ़ में 2003-4 में सकरीय रही और समाजवादी पार्टी भी इसी समय छत्तीसगढ़ प्रवेश की थी लेकिन इन पार्टियों का भी कोई अस्तित्व नहीं रहा और इस समय 2024 के चुनाव में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस और रूलिंग पार्टी भाजपा के बीच ही मुकाबला देखने को मिलेगा. - भास्कर मिश्रा, राजनीति के जानकार

बिलासपुर के धरती से लोकसभा चुनाव का शंखनाद: कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल लोकसभा चुनाव में हमेशा से आमने सामने रहे हैं. इस बार भी दोनों पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत जीत के लिए झोंक दी है. साल 2019 में भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला हुआ. क्षेत्रीय पार्टियों ने कई सीटों से अपने प्रत्याशी जरुर उतारे लेकिन विजय किसी को नहीं मिली. कई लोगों की तो जमानत तक जब्त हो गई. तीसरी शक्ति के रुप में गोंगपा ने जरूर अपनी शक्ति का अहसास कुछ सीटों पर कराया लेकिन वो नतीजों में कभी तब्दील नहीं हो पाया.

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी(गोंगपा):लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक में गोंगपा अपने प्रत्याशी उतारते रही है. गोंगपा को न तो विधानसभा में सफलता मिली नहीं लोकसभा चुनावों में. अभिवाजित मध्यप्रदेश में जरूर एक बार गोंगपा ने विधानसभा की 17 सीटें जीती थी.

छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जोगी): छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी पार्टी जब बनी तो कुछ विधायक उसके जीतकर विधानसभा पहुंचे. पार्टी ने अपनी ताकत का अहसास करते हुए कभी लोकसभा के मैदान में अपना दम आजमाने की कोशिश नहीं की.

बीजेपी बना रही है जनता को मूर्ख, अप्रैल फूल दिवस पर दीपक बैज का बयान बढ़ाएगा सियासी तापमान - LOK SABHA ELECTION 2024
बस्तर में दिखेगा बीजेपी का जलवा, भोजराज के बहाने पार्टी पार्टी दिखाएगी पावर - LOK SABHA ELECTION 2024
शराब का पैसा सोनिया और मनमोहन के दरबार तक जाता था, हम तो जनता की सेवा के लिए निकले हैं:नितिन नबीन - LOK SABHA ELECTION 2024
Last Updated : Apr 3, 2024, 10:26 PM IST
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