लखनऊ : कोलकाता में हुए महिला रेजिडेंट डॉक्टर रेप-मर्डर मामले में देश भर में प्रदर्शन हो रहा है. डॉक्टर सड़क पर उतर आए हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के सदस्यों के चिकित्सकीय सेवाएं शुरू कर देने के बावजूद पूरे प्रदेश में मरीजों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. चिकित्सा संस्थानों व मेडिकल कॉलेजों में रेजिडेंट्स चिकित्सकों की हड़ताल दसवें दिन भी जारी रही. दसवें दिन इमरजेंसी सेवा उपलब्ध रही, लेकिन, बहुत सारे मरीज केजीएमयू ट्राॅमा सेंटर में दिखाने के लिए पहुंचे, जिनको ओपीडी में दिखाने के लिए कहा गया. वहीं, ओपीडी न चलने के कारण ट्राॅमा सेंटर के बाहर कई मरीज स्ट्रेचर पर दिनभर पड़े रहे. वहीं गुरुवार देर रात केजीएमयू, लोहिया व पीजीआई के रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म करने का ऐलान किया.
इस घटना के दसवें दिन भी केजीएमयू, पीजीआई और लोहिया में प्रदर्शन का असर देखने को मिला. जबकि, जिला अस्पताल में इसका असर कम हो गया है. जिला अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपने उच्च अधिकारी को लिखित ज्ञापन सौंपा था. इसके बाद गुरुवार से आधे से अधिक डॉक्टर ड्यूटी पर वापस आ गए. वहीं, अब सुप्रीम कोर्ट ने भी यह साफ तौर पर कहा है कि अगर कोई डॉक्टर अस्पताल में नहीं आ रहा है तो उसे गैर हाजिर माना जाएगा.
बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. पवन कुमार अरुण ने बताया कि पिछले दिनों रेजिडेंट डॉक्टरों ने लिखित ज्ञापन दिया था. उनके ज्ञापन को संज्ञान लिया गया है और सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद बनाने के लिए पूरी व्यवस्था की गई है. अस्पताल प्रशासन भी इस चीज को लेकर चिंतित है. तमाम तैयारी की जा रही है. कोशिश की जा रही है कि रेजिडेंट महिला डॉक्टर को समय से अस्पताल से छुट्टी दे दी जाए, ताकि वह सही समय पर अपने घर पहुंच सकें. एक्स्ट्रा ड्यूटी किसी की भी नहीं लगाई जा रही है. रही बात महिला रेजिडेंट डॉक्टर की उनके लिए भी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है.
वहीं, सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि यह घटना बहुत ही निंदनीय है. अस्पताल में सुरक्षा को बढ़ा दिया जाए. कर्मचारियों को भी सख्त निर्देश दिया गया है कि रात के समय अच्छे से ड्यूटी करें. इसके अलावा हमारे अस्पताल में जो भी रेजिडेंट डॉक्टर ट्रेनिंग के लिए आती है, संबंधित कॉलेज को यह अवगत कराया गया है कि उन्हें छोड़ने और ले जाने की जिम्मेदारी लें.
'नहीं मिल रहा इलाज' : बहराइच से अपने पति का इलाज करने के लिए आई सोनिया यादव ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि उनके पति एक संक्रामक रोग से पीड़ित हैं. जिसकी वजह से उन्हें काफी समस्या हो रही है और अब उनकी हालत काफी ज्यादा गंभीर है. बहराइच से केजीएमयू ट्राॅमा सेंटर लेकर आए हैं, लेकिन, यहां पर इमरजेंसी में दिखाने पर पता चला कि मरीज को ओपीडी से संबंधित विभाग में भर्ती किया जाएगा. इसके अलावा कर्मचारियों ने बताया कि ट्राॅमा सेंटर में उनका इलाज नहीं हो पाएगा. पहले ओपीडी में जाना पड़ेगा वहां पर डॉक्टर को दिखाकर संक्रामक रोग विभाग में ही भर्ती किया जाएगा. ऐसे में मरीज को लेकर कहां जाएं, कुछ समझ नहीं आ रहा. सोनिया ने बातचीत के दौरान कहा कि डॉक्टर का प्रदर्शन चल रहा है. इस बात की जानकारी हमें मिली है. लेकिन, इसमें मरीज की क्या गलती है कि उन्हें इलाज नहीं मिल पा रहा.
बेड खाली न होने के कारण नहीं किया भर्ती : लखीमपुर खीरी से केजीएमयू ट्राॅमा सेंटर में इलाज कराने के लिए पहुंची करिश्मा ने बताया कि उनके भाई की तबीयत पिछले कई दिनों से खराब चल रही थी. लखीमपुर खीरी में ही पहले सरकारी अस्पताल और फिर उसके बाद प्राइवेट अस्पताल में क्लास चल रही थी. उनके पेट में काफी दर्द और तकलीफ थी. गैस एसिडिटी के अलावा उन्हें टूल पास नहीं हो रहा था. जिसकी वजह से पेट फूलता चला गया और अब समझ नहीं आ रहा कि आखिर हुआ क्या है. इतनी समस्या कैसे हो गई. वहीं दिखाने के लिए ट्राॅमा सेंटर पहुंचे हालत गंभीर है. चार घंटे बीत गए हैं. लेकिन, अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. बताया जा रहा है कि बेड खाली नहीं होने के कारण भर्ती नहीं किया जा रहा है. इसके अलावा कोई भी एंबुलेंस में भी देखने नहीं आया.
जगदीशपुर मोहम्मद लाईक ने बताया कि बेटे की उम्र दो साल है. बच्चे को दिमागी बुखार है. पिछले कुछ दिनों से उसे बुखार छोड़ ही नहीं रहा है. सुल्तानपुर में जिला अस्पताल में दिखाया तो उन्होंने ट्राॅमा सेंटर रेफर कर दिया और बताया कि बुखार बहुत अधिक है. बच्चे को दिमागी बुखार है. केजीएमयू ट्राॅमा सेंटर दिखाने के लिए पहुंचे तो यहां पर पता चला कि ओपीडी बंद है और इमरजेंसी में भर्ती नहीं किया जा रहा है. उन्होंने दो टैबलेट दवाई दी और फिर कहा कि बच्चों को घर ले जाएं और दिक्कत होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में दिखा लें, जबकि सुल्तानपुर के जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने देखा तो उन्होंने बताया कि बच्चे की हालत गंभीर है. बच्चे को दिमागी बुखार है. इसके इलाज के लिए केजीएमयू ट्राॅमा सेंटर में ले जाएं.
बड़े संस्थानों से लौटाए गए मरीज : बता दें कि कोलकाता में हुए रेजिडेंट डॉक्टर रेप-मर्डर मामले को देखते हुए देशभर में चिकित्सक सड़क पर उतर आए हैं और जमकर प्रदर्शन कर रहे हैं. ओपीडी सेवाएं बाधित रहीं. एसजीपीजीआई, केजीएमयू, लोहिया संस्थान जैसे बड़े संस्थानों में डॉक्टर ने कार्य बहिष्कार किया. इसके अलावा जिला अस्पतालों में भी इसका असर देखने को मिला. सभी अस्पतालों से हजारों की संख्या में मरीज बगैर इलाज के लौटे. बता दें कि राजधानी लखनऊ के सभी अस्पतालों में आधे से अधिक मरीज प्रदेश के दूसरे जिलों से इलाज करने के लिए आते हैं. बड़े संस्थानों में ओपीडी सेवाएं बाधित होने के कारण हजारों मरीज बगैर डॉक्टर के परामर्श के ही लौट गए. इनमें बहुत सारे ऐसे मरीज थे. जिनका बीते 17 अगस्त की तारीख में ऑपरेशन होना था.
केजीएमयू, लोहिया व पीजीआई के डॉक्टरों ने खत्म की हड़ताल : रेजिडेंट डॉक्टरों ने गुरुवार शाम को हड़ताल खत्म करने का ऐलान किया. शुक्रवार को ओपीडी में मरीजों को सामान्य दिनों की भांति इलाज मिलेगा. भर्ती मरीजों को भी राहत मिलेगी. हड़ताल खत्म होने से केजीएमयू, पीजीआई और लोहिया संस्थान में आने वाले को राहत मिलने की उम्मीद है.