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यमुना की सफाई का दिख रहा असर, बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड कि स्थिति अब भी चिंताजनक

Yamuna Cleanning : यमुना नदी की सफाई को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार लगातार काम करने का दावा करती रही है और काम हो भी रहा है. लेकिन काम का असर बहुत कम नजर आ रहा है. क्योंकि यमुना का बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड अब भी बहुत कम है .

यमुना की सफाई का असर लेकिन स्थिति अब भी चिंताजनक
यमुना की सफाई का असर लेकिन स्थिति अब भी चिंताजनक
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 31, 2024, 2:18 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली और केंद्र सरकार की ओर से लगातार यमुना को साफ करने के दावे पिछले कई सालों से किया जा रहे है. जिनका असर अब धरातल पर दिखाई दे रहा है. लेकिन अभी भी ज्यादातर जगहों पर यमुना प्रदूषित ही नजर आ रही है. एक्सपर्ट के अनुसार यमुना की सफाई के लिए जो काम सरकार की ओर से किया जा रहा है, वह नाकाफी है.दिल्ली में लगभग सूखने के कगार पर आ चुकी यमुना में पानी की मात्रा को बनाए रखने की इस समय सबसे ज्यादा जरूरत है.यहां नालों को ट्रैप करने का काम भी धीमी गति से काफी समय से चल रहा है.

यमुना एक्सपर्ट के अनुसार यमुना हाई लेवल कमेटी की आठवीं रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है.जिसमें यमुना की सफाई के लिए किए गए कामों का पूरा ब्यौरा पेश किया गया है.यमुना में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीडीओ) भी केवल पल्ला गांव में तय मामले के अंदर है. जबकि अन्य जगहों पर यह तय मानकों से काफी अधिक है. वहीं डिसोल्वड ऑक्सीजन (डीओ) केवल एक जगह ही मानकों के अनुरूप है. बता दें कि डिजॉल्वड ऑक्सीजन पानी में मौजूद ऑक्सीजन के स्तर को कहा जाता है. ये (डीओ) नदी के पानी में जीवन की मौजूदगी का प्रतीक है, जबकि कुछ जगह पर तो यमुना में डिजॉल्वड ऑक्सीजन का स्तर शून्य से भी कम दर्ज किया गया है.

दिसंबर 2022 की तुलना में दिसंबर 2023 में असगरपुर में यमुना के प्रदूषण के स्तर में 30% सुधार हुआ है और दिसंबर 2022 में यहां बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड का स्तर 73 एमजी प्रति लीटर था. जो दिसंबर 2023 में कम होकर 51 एमजी प्रति लीटर रह गया है. वहीं आईएसबीटी में भी 24% कम हुआ है. जबकि पानी में बीओडी का स्तर 3 एमजी प्रति लीटर या इससे कम होना चाहिए .

ये भी पढें : जाडे़ में सूखने की कगार पर दिल्ली की यमुना नदी, झेलनी पड़ सकती है पानी की किल्लत

लोकेशन बीडीओ का स्तर पहले बीडीओ का स्तर अब
पल्ला 2.2 2.0
वजीराबाद 9 8
आईएसबीटी ब्रिज 46 35
निजामुद्दीन ब्रिज 53 40
ओखला बैराज 68 43
आईटीओ ब्रिज 42 29

ये भी पढें : मकर संक्रांति पर स्नान का महत्व, यमुना में दिखा झाग ही झाग

नई दिल्ली: दिल्ली और केंद्र सरकार की ओर से लगातार यमुना को साफ करने के दावे पिछले कई सालों से किया जा रहे है. जिनका असर अब धरातल पर दिखाई दे रहा है. लेकिन अभी भी ज्यादातर जगहों पर यमुना प्रदूषित ही नजर आ रही है. एक्सपर्ट के अनुसार यमुना की सफाई के लिए जो काम सरकार की ओर से किया जा रहा है, वह नाकाफी है.दिल्ली में लगभग सूखने के कगार पर आ चुकी यमुना में पानी की मात्रा को बनाए रखने की इस समय सबसे ज्यादा जरूरत है.यहां नालों को ट्रैप करने का काम भी धीमी गति से काफी समय से चल रहा है.

यमुना एक्सपर्ट के अनुसार यमुना हाई लेवल कमेटी की आठवीं रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है.जिसमें यमुना की सफाई के लिए किए गए कामों का पूरा ब्यौरा पेश किया गया है.यमुना में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीडीओ) भी केवल पल्ला गांव में तय मामले के अंदर है. जबकि अन्य जगहों पर यह तय मानकों से काफी अधिक है. वहीं डिसोल्वड ऑक्सीजन (डीओ) केवल एक जगह ही मानकों के अनुरूप है. बता दें कि डिजॉल्वड ऑक्सीजन पानी में मौजूद ऑक्सीजन के स्तर को कहा जाता है. ये (डीओ) नदी के पानी में जीवन की मौजूदगी का प्रतीक है, जबकि कुछ जगह पर तो यमुना में डिजॉल्वड ऑक्सीजन का स्तर शून्य से भी कम दर्ज किया गया है.

दिसंबर 2022 की तुलना में दिसंबर 2023 में असगरपुर में यमुना के प्रदूषण के स्तर में 30% सुधार हुआ है और दिसंबर 2022 में यहां बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड का स्तर 73 एमजी प्रति लीटर था. जो दिसंबर 2023 में कम होकर 51 एमजी प्रति लीटर रह गया है. वहीं आईएसबीटी में भी 24% कम हुआ है. जबकि पानी में बीओडी का स्तर 3 एमजी प्रति लीटर या इससे कम होना चाहिए .

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लोकेशन बीडीओ का स्तर पहले बीडीओ का स्तर अब
पल्ला 2.2 2.0
वजीराबाद 9 8
आईएसबीटी ब्रिज 46 35
निजामुद्दीन ब्रिज 53 40
ओखला बैराज 68 43
आईटीओ ब्रिज 42 29

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