शिमला: हिमाचल प्रदेश में शिक्षा के स्तर को लेकर राज्य सरकार के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने चिंता जताई है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि आठवीं कक्षा का छात्र दूसरी कक्षा के सिलेबस को पढ़ने में असमर्थ है. एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है. प्रोग्रेसिव ग्रोथ इंडेक्स के माध्यम से जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार हिमाचल 18वें स्थान पर खिसक गया है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि एक समय हिमाचल प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में विस्तार यानी एक्सपेंशन की जरूरत थी, लेकिन अब व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता है.
दरअसल, हिमाचल विधानसभा के मानसून सेशन में जीरो इनरोलमेंट और कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को बंद करने से जुड़ा सवाल पूछा गया था. उस सवाल पर विस्तार से सदन में चर्चा हुई. भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार की गैर मौजूदगी में विधायक राकेश जम्वाल ने सवाल पूछा था कि कितने स्कूलों को बंद किया गया है? शिक्षा मंत्री ने जवाब में अनेक बिंदुओं को छुआ और कहा कि अब समय शिक्षा व्यवस्था और इसके ढांचे को मजबूत करने का है.
20 साल में आधी रह गई प्राइमरी की छात्र संख्या: शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने सदन में कहा कि दो दशक पहले हिमाचल प्रदेश प्राइमरी एजुकेशन के मापदंडों में देश में हमेशा अग्रणी राज्यों में रहा है. अब जो सर्वे आ रहे हैं, वे चिंताजनक हैं. वर्ष 2003 में हिमाचल प्रदेश में पहली से पांचवीं कक्षा में 5.90 लाख छात्र पढ़ते थे. अब इनकी संख्या घटकर आधी रह गई है. इस समय प्राइमरी में कुल 2.99 लाख छात्र हैं. मिडल स्कूलों में दो दशक पहले छात्रों की एनरोलमेंट 3.81 लाख थी, जो अब घटकर 2.05 लाख रह गई है. सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में दो दशक पहले 1.84 लाख छात्र थे. ये अब घटकर 1.36 लाख रह गए हैं.
रोहित ठाकुर ने कहा कि सरकारी स्कूलों से अभिभावकों का मोह भंग हो रहा है. हर साल कई स्कूल व कॉलेज खुलते रहे हैं. पूर्व में 2012-2017 के बीच कांग्रेस सरकार में 50 कॉलेज खोले गए थे. पिछली सरकार ने भी चुनाव के समय 400 नए संस्थान खोले थे. हिमाचल में इस समय 300 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जहां बच्चों की संख्या पांच से कम है.
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