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कॉर्बेट में अवैध निर्माण और पेड़ कटान मामला, सीबीआई के बाद ईडी की एंट्री, 8 अफसरों की मांगी गई वित्तीय जानकारी

Pakhro illegal logging case कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो में अवैध कटान मामले पर अब सीबीआई के बाद ईडी (Enforcement Directorate) ने भी एंट्री कर ली है. दरअसल वन विभाग के आठ अधिकारियों की वित्तीय जानकारियां ED द्वारा मांगी गई है. जिससे अब वन विभाग के यह आठ अधिकारी ईडी की जांच के दायरे में आ गए हैं.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 20, 2024, 9:20 PM IST

Updated : Jan 22, 2024, 3:53 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में भारतीय वन सेवा (Indian forest service) के अधिकारियों की वित्तीय जानकारियां ED (Enforcement Directorate) द्वारा मांगी गई है. वन विभाग के ऐसे कुल आठ अधिकारी हैं, जो ईडी की जांच के दायरे में आते दिखाई दे रहे हैं. वन मुख्यालय से ED ने इन अफसरों के आयकर रिटर्न डिटेल्स से लेकर दूसरी कुछ वित्तीय जानकारियों को मांगा है. हालांकि अभी तक ED को विभाग द्वारा ये जानकारियां नहीं दी गई हैं.

जिन अधिकारियों की ED ने वित्तीय जानकारियां मांगी है, उनमें 5 IFS (indian Forest Service) अधिकारी है, जबकि बाकी रेंजर और SDO स्तर के अफसर हैं. यह सभी वह अधिकारी हैं, जिनका DG Forest की जांच में नाम सामने आया था और इन्हें कॉर्बेट में अवैध रूप से पेड़ काटने या निर्माण के अलावा गलत निर्णय लेने के लिए दोषी पाया गया था.

ED ने IFS अधिकारी सुशांत पटनायक की वित्तीय जानकारी मांगी है, सुशांत पटनायक पर्यावरण बोर्ड में तैनात हैं. IFS अधिकारी राहुल की भी जानकारी साझा करने के लिए कहा गया है. राहुल अभी वन मुख्यालय में तैनात हैं. साथ ही IFS अधिकारी जेएस सुहाग की जानकारी मांगी है. जेएस सुहाग रिटायर हो चुके थे और लंबी बीमारी के बाद उनका देहांत भी हो चुका है. सुहाग उस समय चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन पद पर तैनात थे. इसके अलावा किशन चंद और अखिलेश तिवारी की वित्तीय जानकारियों को भी मांगा गया है. ये दोनों अफसर DFO रैंक में थे और ये भी सेवानिवृत हो चुके हैं.

खास बात यह है कि ED द्वारा इन अधिकारियों की जानकारियां मांगी तो गई हैं, लेकिन अब तक यह जानकारी जांच एजेंसी को नहीं दी गई है. दरअसल एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट की एसिस्ट सूची में forest department का नाम नहीं है. लिहाजा वन विभाग ने अब शासन को पत्र लिखकर इन अधिकारियों की ED (Enforcement Directorate) द्वारा मांगी जा रही सूचनाओं के बारे में बताया है और इस पर विभाग द्वारा क्या कार्रवाई की जाए. इसके निर्देश मांगे गए हैं.

ये भी पढ़ें: कॉर्बेट पाखरो टाइगर सफारी प्रकरण पर सीबीआई जांच को तैयार सरकार, अवैध निर्माण-पेड़ कटान पर जांच के घेरे में अफसर!

जाहिर है कि अब शासन द्वारा इस पर विभाग को दिशा निर्देश जारी करने हैं, हालांकि मनी लांड्रिंग एक्ट के आर्टिकल 54 के तहत विभिन्न विभागों के अधिकारियों को एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट के साथ सहयोग और सहायता के लिए अनिवार्य या बाध्य किया गया है, लेकिन जो विभाग या अधिकारी इस आर्टिकल के तहत सूची इसमें शामिल है, उसमें वन विभाग नहीं है. मनी लांड्रिंग एक्ट के आर्टिकल 54 के इसी नियम का जिक्र करते हुए शासन से वन विभाग ने निर्देश मांगे हैं.

ये भी पढ़ें: Corbett Illegal Construction: पाखरो सफारी पर CEC ने सबमिट की रिपोर्ट, तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत जिम्मेदार

देहरादून: उत्तराखंड में भारतीय वन सेवा (Indian forest service) के अधिकारियों की वित्तीय जानकारियां ED (Enforcement Directorate) द्वारा मांगी गई है. वन विभाग के ऐसे कुल आठ अधिकारी हैं, जो ईडी की जांच के दायरे में आते दिखाई दे रहे हैं. वन मुख्यालय से ED ने इन अफसरों के आयकर रिटर्न डिटेल्स से लेकर दूसरी कुछ वित्तीय जानकारियों को मांगा है. हालांकि अभी तक ED को विभाग द्वारा ये जानकारियां नहीं दी गई हैं.

जिन अधिकारियों की ED ने वित्तीय जानकारियां मांगी है, उनमें 5 IFS (indian Forest Service) अधिकारी है, जबकि बाकी रेंजर और SDO स्तर के अफसर हैं. यह सभी वह अधिकारी हैं, जिनका DG Forest की जांच में नाम सामने आया था और इन्हें कॉर्बेट में अवैध रूप से पेड़ काटने या निर्माण के अलावा गलत निर्णय लेने के लिए दोषी पाया गया था.

ED ने IFS अधिकारी सुशांत पटनायक की वित्तीय जानकारी मांगी है, सुशांत पटनायक पर्यावरण बोर्ड में तैनात हैं. IFS अधिकारी राहुल की भी जानकारी साझा करने के लिए कहा गया है. राहुल अभी वन मुख्यालय में तैनात हैं. साथ ही IFS अधिकारी जेएस सुहाग की जानकारी मांगी है. जेएस सुहाग रिटायर हो चुके थे और लंबी बीमारी के बाद उनका देहांत भी हो चुका है. सुहाग उस समय चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन पद पर तैनात थे. इसके अलावा किशन चंद और अखिलेश तिवारी की वित्तीय जानकारियों को भी मांगा गया है. ये दोनों अफसर DFO रैंक में थे और ये भी सेवानिवृत हो चुके हैं.

खास बात यह है कि ED द्वारा इन अधिकारियों की जानकारियां मांगी तो गई हैं, लेकिन अब तक यह जानकारी जांच एजेंसी को नहीं दी गई है. दरअसल एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट की एसिस्ट सूची में forest department का नाम नहीं है. लिहाजा वन विभाग ने अब शासन को पत्र लिखकर इन अधिकारियों की ED (Enforcement Directorate) द्वारा मांगी जा रही सूचनाओं के बारे में बताया है और इस पर विभाग द्वारा क्या कार्रवाई की जाए. इसके निर्देश मांगे गए हैं.

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जाहिर है कि अब शासन द्वारा इस पर विभाग को दिशा निर्देश जारी करने हैं, हालांकि मनी लांड्रिंग एक्ट के आर्टिकल 54 के तहत विभिन्न विभागों के अधिकारियों को एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट के साथ सहयोग और सहायता के लिए अनिवार्य या बाध्य किया गया है, लेकिन जो विभाग या अधिकारी इस आर्टिकल के तहत सूची इसमें शामिल है, उसमें वन विभाग नहीं है. मनी लांड्रिंग एक्ट के आर्टिकल 54 के इसी नियम का जिक्र करते हुए शासन से वन विभाग ने निर्देश मांगे हैं.

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Last Updated : Jan 22, 2024, 3:53 PM IST
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