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रांची के गोंदा थाने में ईडी अफसरों का बयान होगा रिकॉर्ड! हेमंत सोरेन ने दर्ज कराई थी नामजद प्राथमिकी - Ranchi police notice to ED officers

Ranchi police notice to ED officers. रांची पुलिस ने ईडी अफसरों को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया है. रांची के गोंदा थाना में ईडी अधिकारियों का बयान रिकॉर्ड किया जाएगा. हेमंत सोरेन ने ईडी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है.

Ranchi police notice to ED officers
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 18, 2024, 1:30 PM IST

Updated : Mar 18, 2024, 2:18 PM IST

रांची: देश में संभव है कि ऐसा पहली बार होगा जब केंद्रीय एजेंसी यानी प्रवर्तन निदेशालय के अफसर को राज्य पुलिस के थाने में जाकर एफआईआर से जुड़े मामले में अपना पक्ष रखना होगा. लैंड स्कैम मामले में 31 जनवरी को गिरफ्तारी से पहले पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने ईडी के एडिशनल डायरेक्टर कपिल राज समेत समेत कई अफसरों के खिलाफ एसटी-एससी थाने में नामदर्ज प्राथमिकी दर्ज कराई थी. उनका आरोप था कि उनकी गैरमौजूदगी में 29 जनवरी 2024 को दिल्ली आवास और झारखंड भवन में कैसे सर्च ऑपरेशन चलाया गया. उनका आरोप था कि ऐसा कर एक आदिवासी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने की कोशिश की गई है.

सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत हुई नोटिस जारी

इस मामले में पुलिस ने ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर देवव्रत झा, अनुपम कुमार, अमन पटेल को सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस जारी कर पक्ष रखने के लिए बुलाया है. दोपहर 12.30 तक ईडी का कोई अधिकारी गोंदा थाना नहीं पहुंचा था. मामले के अनुसंधानकर्ता इंस्पेक्टर नवल सिन्हा हैं. जानकारी के मुताबिक, एडिशनल डायरेक्टर कपिल राज को 21 मार्च को पक्ष रखने के लिए बुलाया गया है. दूसरी तरफ पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के मीडिया सलाहकार रहे अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू से ईडी दफ्तर में पूछताछ चल रही है.

सीआरपीसी की धारा 41 ए में क्या है प्रावधान

दरअसल, किसी के खिलाफ दर्ज शिकायत में सात साल के कम अवधि की सजा का प्रावधान होने पर संबंधित शख्स को गिरफ्तार करने से पहले पुलिस को नोटिस जारी करना होता है. इस धारा के तहत पुलिस बिना नोटिस जारी किए किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकती है. नोटिस के बावजूद पुलिस के समक्ष हाजिर नहीं होने पर पुलिस कोर्ट से वारंट ले सकती है.

पिछले साल रायपुर में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने के लिए जाने के दौरान कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को दिल्ली एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया गया था. उनपर पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी का आरोप लगा था. लेकिन पवन खेड़ा के वकील ने कोर्ट में दलील दी थी कि गिरफ्तारी से पहले पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस जारी नहीं किया था. इसपर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने अंतरिम जमानत देने का आदेश दिया था.

हेमंत सोरेन ने ईडी अफसरों पर दर्ज करवाई थी प्राथमिकी

27 जनवरी 2024 को तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन विशेष विमान से दिल्ली गये थे. हेमंत सोरेन का आरोप था कि जब वह 30 जनवरी को रांची लौटे तो मीडिया में चल रही खबरों से पता चला कि उनकी गैर मौजूदगी में ईडी की टीम ने दिल्ली स्थित आवास पर सर्च ऑपरेशन चलाया था. इससे उनके और उनके परिवार की छवि धूमिल हुई है. जबकि ईडी ने तथाकथित लैंड स्कैम मामले में 29 जनवरी से 31 जनवरी के बीच बयान दर्ज कराने के लिए हेमंत सोरेन से समय मांगा था.

इससे पहले ही सर्च ऑपरेशन चलाया गया. मीडिया में खबरें आईं कि हेमंत के दिल्ली आवास से 36 लाख रुपए और बीएमडब्ल्यू कार के साथ कई दस्तावेज भी बरामद हुए हैं. इसी को आधार बनाकर उन्होंने ईडी अफसरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई थी. खास बात है कि कैश बरामदगी के सवाल पर झामुमो नेताओं ने कहा था कि बरामद पैसे हेमंत सोरेन के नहीं हैं. हालांकि हाईकोर्ट में दर्ज शपथ पत्र में हेमंत सोरेन ने स्वीकार किया है कि वह पैसे पार्टी से मिले चंदा से जुड़े थे.

क्या है पूरा मामला

दरअसल, ईडी ने 27 जनवरी 2024 को हेमंत सोरेन के नाम 10वां समन जारी कर 28 जनवरी तक जवाब देकर 29 जनवरी या 31 जनवरी को पूछताछ के लिए समय और जगह तय करने को कहा था. इसी बीच 27 जनवरी को ही हेमंत सोरेन दिल्ली चले गये थे. 28 जनवरी तक जवाब नहीं मिलने पर 29 जनवरी को ईडी की टीम ने दिल्ली स्थिति उनके तीन ठिकानों पर सर्च ऑपरेशन चलाया था.

इसके बाद से हेमंत सोरेन की कोई जानकारी नहीं मिल रही थी. हालांकि 30 जनवरी को वह अचानक रांची स्थित अपने आवास पर पहुंच गये थे और सहयोगी दल के नेताओं के साथ बैठक करते हुए तस्वीरें भी जारी की थी. इसी दौरान हेमंत सोरेन की ओर से ईमेल भेजकर ईडी को बताया गया कि वह 31 जनवरी को पूछताछ के लिए तैयार हैं. हालांकि अभी तक आधिकारिक रुप से इस बात का खुलासा नहीं हुआ कि हेमंत सोरेन आखिर दिल्ली से रांची कैसे लौटे.

यह भी पढ़ें: हेमंत सोरेन मामले में ईडी अफसरों और मीडिया संस्थानों को रांची पुलिस ने भेजा नोटिस, पूछताछ के लिए बुलाया

यह भी पढ़ें: ईडी अधिकारियों के खिलाफ पीड़क कार्रवाई पर रोक, हाईकोर्ट का आदेश, हेमंत सोरेन ने एसटी-एससी थाने में दर्ज करवाई थी प्राथमिकी

यह भी पढ़ें: सीएम हेमंत सोरेन ने SC-ST थाने में ईडी के अधिकारियों पर किया केस

रांची: देश में संभव है कि ऐसा पहली बार होगा जब केंद्रीय एजेंसी यानी प्रवर्तन निदेशालय के अफसर को राज्य पुलिस के थाने में जाकर एफआईआर से जुड़े मामले में अपना पक्ष रखना होगा. लैंड स्कैम मामले में 31 जनवरी को गिरफ्तारी से पहले पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने ईडी के एडिशनल डायरेक्टर कपिल राज समेत समेत कई अफसरों के खिलाफ एसटी-एससी थाने में नामदर्ज प्राथमिकी दर्ज कराई थी. उनका आरोप था कि उनकी गैरमौजूदगी में 29 जनवरी 2024 को दिल्ली आवास और झारखंड भवन में कैसे सर्च ऑपरेशन चलाया गया. उनका आरोप था कि ऐसा कर एक आदिवासी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने की कोशिश की गई है.

सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत हुई नोटिस जारी

इस मामले में पुलिस ने ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर देवव्रत झा, अनुपम कुमार, अमन पटेल को सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस जारी कर पक्ष रखने के लिए बुलाया है. दोपहर 12.30 तक ईडी का कोई अधिकारी गोंदा थाना नहीं पहुंचा था. मामले के अनुसंधानकर्ता इंस्पेक्टर नवल सिन्हा हैं. जानकारी के मुताबिक, एडिशनल डायरेक्टर कपिल राज को 21 मार्च को पक्ष रखने के लिए बुलाया गया है. दूसरी तरफ पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के मीडिया सलाहकार रहे अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू से ईडी दफ्तर में पूछताछ चल रही है.

सीआरपीसी की धारा 41 ए में क्या है प्रावधान

दरअसल, किसी के खिलाफ दर्ज शिकायत में सात साल के कम अवधि की सजा का प्रावधान होने पर संबंधित शख्स को गिरफ्तार करने से पहले पुलिस को नोटिस जारी करना होता है. इस धारा के तहत पुलिस बिना नोटिस जारी किए किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकती है. नोटिस के बावजूद पुलिस के समक्ष हाजिर नहीं होने पर पुलिस कोर्ट से वारंट ले सकती है.

पिछले साल रायपुर में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने के लिए जाने के दौरान कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को दिल्ली एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया गया था. उनपर पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी का आरोप लगा था. लेकिन पवन खेड़ा के वकील ने कोर्ट में दलील दी थी कि गिरफ्तारी से पहले पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस जारी नहीं किया था. इसपर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने अंतरिम जमानत देने का आदेश दिया था.

हेमंत सोरेन ने ईडी अफसरों पर दर्ज करवाई थी प्राथमिकी

27 जनवरी 2024 को तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन विशेष विमान से दिल्ली गये थे. हेमंत सोरेन का आरोप था कि जब वह 30 जनवरी को रांची लौटे तो मीडिया में चल रही खबरों से पता चला कि उनकी गैर मौजूदगी में ईडी की टीम ने दिल्ली स्थित आवास पर सर्च ऑपरेशन चलाया था. इससे उनके और उनके परिवार की छवि धूमिल हुई है. जबकि ईडी ने तथाकथित लैंड स्कैम मामले में 29 जनवरी से 31 जनवरी के बीच बयान दर्ज कराने के लिए हेमंत सोरेन से समय मांगा था.

इससे पहले ही सर्च ऑपरेशन चलाया गया. मीडिया में खबरें आईं कि हेमंत के दिल्ली आवास से 36 लाख रुपए और बीएमडब्ल्यू कार के साथ कई दस्तावेज भी बरामद हुए हैं. इसी को आधार बनाकर उन्होंने ईडी अफसरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई थी. खास बात है कि कैश बरामदगी के सवाल पर झामुमो नेताओं ने कहा था कि बरामद पैसे हेमंत सोरेन के नहीं हैं. हालांकि हाईकोर्ट में दर्ज शपथ पत्र में हेमंत सोरेन ने स्वीकार किया है कि वह पैसे पार्टी से मिले चंदा से जुड़े थे.

क्या है पूरा मामला

दरअसल, ईडी ने 27 जनवरी 2024 को हेमंत सोरेन के नाम 10वां समन जारी कर 28 जनवरी तक जवाब देकर 29 जनवरी या 31 जनवरी को पूछताछ के लिए समय और जगह तय करने को कहा था. इसी बीच 27 जनवरी को ही हेमंत सोरेन दिल्ली चले गये थे. 28 जनवरी तक जवाब नहीं मिलने पर 29 जनवरी को ईडी की टीम ने दिल्ली स्थिति उनके तीन ठिकानों पर सर्च ऑपरेशन चलाया था.

इसके बाद से हेमंत सोरेन की कोई जानकारी नहीं मिल रही थी. हालांकि 30 जनवरी को वह अचानक रांची स्थित अपने आवास पर पहुंच गये थे और सहयोगी दल के नेताओं के साथ बैठक करते हुए तस्वीरें भी जारी की थी. इसी दौरान हेमंत सोरेन की ओर से ईमेल भेजकर ईडी को बताया गया कि वह 31 जनवरी को पूछताछ के लिए तैयार हैं. हालांकि अभी तक आधिकारिक रुप से इस बात का खुलासा नहीं हुआ कि हेमंत सोरेन आखिर दिल्ली से रांची कैसे लौटे.

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Last Updated : Mar 18, 2024, 2:18 PM IST
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