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पीए और पैसों का 'आलम'! संजीव लाल के बयान ने मंत्री को पहुंचाया सलाखों के पीछे - Cash Recovery Case

ED disclosure in case of cash recovery. रांची में कैश बरामदगी मामले में सचिव संजीव लाल के बयान पर ईडी ने मंत्री आलमगीर आलम को गिरफ्तार किया. इस केस में संजीव लाल और वीरेंद्र राम के बयानों का मिलान अहम कड़ी साबित हुई. ईडी की जांच और लिये गये बयानों से ये खुलासा हुआ है.

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 21, 2024, 5:35 PM IST

ED disclosure in case of cash recovery from servant of ministers secretary in Ranchi
ईडी द्वारा बरामद कैश, सचिव संजीव और मंत्री की कोलार्ज इमेज (Etv Bharat)

रांचीः जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने सबसे खास और प्रेस सलाहकार रहे अभिषेक श्रीवास्तव उर्फ पिंटू के बयान के बाद ईडी के रडार पर आ गए थे. कुछ वैसा ही झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के साथ भी हुआ. उनके पीए संजीव लाल के खुलासे के बाद ही मंत्री आलमगीर आलम ईडी की रडार पर आए और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

पैसा मिलने के बाद से ही संजीव से किनारा करते रहे मंत्री आलमगीर

6 मई को ईडी ने संजीव लाल और उनके नौकर जहांगीर आलम के ठिकानों पर रेड कर 32.20 करोड़ रुपये कैश बरामद किए. इस पर मंत्री आलमगीर आलम की पहली प्रतिक्रिया यही थी कि ये पैसे उनके नहीं हैं और पैसे के बारे में वे कुछ नहीं जानते हैं. लेकिन संजीव लाल ने ईडी के सामने मंत्री आलमगीर आलम की पोल खोल कर रख दी. संजीव ने ईडी को बताया था कि 6 मई को छापेमारी के जहांगीर आलम के यहां से जो 32.20 करोड़ रुपये मिले थे, वह सारे पैसे आलमगीर आलम के ही थे. ईडी ने इस बात का जिक्र अदालत को दिए अपने रिमांड पटीशन में भी किया है.

संजीव के बयान के बाद ही ईडी ने कोर्ट को जानकारी दी है कि ग्रामीण विकास विभाग और ग्रामीण कार्य विभाग के ठेकों में सिर्फ मंत्री का कमीशन 1.5 प्रतिशत हुआ करता था. ईडी ने कोर्ट को यह भी बताया है कि जांच में यह बात सामने आयी है कि ठेका आवंटन के बाद कमीशन की उगाही और उसके बंटवारे का जिम्मा ग्रामीण विकास विभाग स्पेशल सेल और ग्रामीण कार्य विभाग के सहायक अभियंता स्तर के अधिकारियों को था.

मंत्री आलमगीर आलम ने सितंबर 2022 में इंजीनियर से लिए थे तीन करोड़

संजीव लाल ने मंत्री आलमगीर आलम से जुड़े कई दस्तावेज और दूसरी तरह के डिजिटल एविडेंस जो छापेमारी में बरामद हुए थे उसे लेकर भी कुछ नहीं छुपाया और ईडी को सारी जानकारियां दी. संजीव के बयान के बाद ही ईडी मंत्री आलमगीर आलम को लेकर अन्य जानकारियां जुटाना शुरू किया. ईडी ने कोर्ट को यह भी बताया है कि मनी लाउंड्रिंग में गिरफ्तार चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम ने कमीशन की उगाही और बंटवारे के पूरे मॉडल्स की जानकारी दी थी. जिसकी वजह से मंत्री आलमगीर आलम पहले से ही ईडी की रडार पर थे.

मंत्री के पैसे व कागजातों के रखरखाव के लिए लिया गया था फ्लैट

ईडी ने कोर्ट को बताया है कि जहांगीर के फ्लैट सर सैयद रेसिडेंसी, 1ए से बरामद 32.20 करोड़ रुपये मंत्री आलमगीर आलम के ही थे. ये पैसे जहांगीर आलम ने संजीव लाल के कहने पर मंत्री आलमगीर आलम के लिए अलग-अलग जगहों से उठाए थे. ईडी ने कोर्ट को बताया है कि कैश के अलावा फ्लैट से भारी पैमानें पर आधिकारिक लेटरहेड, पत्र, सरकारी दस्तावेज भी बरामद किए थे.

ईडी ने कोर्ट को बताया कि संजीव लाल के द्वारा ही मंत्री आलमगीर आलम से जुड़ी चीजों को रखने के लिए इस फ्लैट का इस्तेमाल किया जाता था. संजीव ने ईडी के सामने यह भी खुलासा किया कि मंत्री आलमगीर आलम के निर्देश पर कमीशन की राशि वह वसूलता था, साथ ही ठेकों को मैनेज करने में उसकी भूमिका सबसे अहम होती थी. ठेका मैनेज होने के बाद तय कमीशन की राशि इंजीनियरों के जरिए सभी विभागीय लोगों तक पहुंचायी जाती थी. इन सभी बातों का जिक्र ईडी ने कोर्ट में किया है.

संजीव लाल और वीरेंद्र राम के बयानों का मिलान साबित हुई अहम कड़ी

ईडी के द्वारा मंत्री आलमगीर आलम के आप्त सचिव संजीव लाल और पूर्व में चीफ इंजीनियर रहे वीरेंद्र राम के बयानों का मिलान किया गया था. विभाग में आने वाले कमिश्नर को लेकर वीरेंद्र राम और संजीव लाल के बयान में काफी समानता पाई गयी थी. जिसके बाद ही मंत्री आलमगीर आलम की गिरफ्तारी की पटकथा तैयार की गई.

पूर्व सीएम भी अपने करीबी के बयान पर फंसे

जिस तरह से मंत्री आलमगीर आलम अपने सबसे विश्वस्त और पीए के बयान के बाद सलाखों के पीछे पहुंचे कुछ उसी तरह तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन को भी अपने सबसे करीबी और प्रेस एडवाइजर पिंटू के बयानों की वजह से जेल जाना पड़ा. रांची जमीन घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेकर सबसे बड़ा खुलासा उनके ही प्रेस सलाहकार रहे अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू ने ही किया था.

अभिषेक प्रसाद के बयान का जिक्र ईडी ने 191 पन्नों की चार्जशीट में किया है. चार्जशीट में जिक्र है कि ईडी ने पीएमएलए 50 के तहत 18 मार्च 2024 को पिंटू का बयान लिया था, पिंटू ने इस बयान में कबूल किया था कि उदय शंकर सीएमओ में कार्यरत हैं, वह उदय शंकर के जरिए अधिकारियों को निर्देश भिजवाते थे. पिंटू ने बताया है कि हेमंत सोरेन की बड़गाईं के 8.86 एकड़ जमीन का भौतिक सत्यापन का आदेश तत्कालीन सीएम के कहने पर दिया था.

बड़गाईं जमीन के अलावा हेमंत सोरेन के कहने पर उनकी और उनके परिजनों की दो अन्य जमीन का भौतिक सत्यापन कराया गया था. ईडी ने चार्जशीट में बताया है कि उदय शंकर और पिंटू के बीच मोबाइल चैट भी मिले थे. जिसमें 12 अक्तूबर 2022 को पिंटू ने दो अन्य जमीनों की भौतिक सत्यापन कराने का आदेश दिया था. पिंटू का बयान हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी की प्रमुख वजह बनी.

इसे भी पढ़ें- आलमगीर आलम के पूर्व ओएसडी संजीव लाल और नौकर जहांगीर को कोर्ट में किया गया पेश, ईडी को मिली तीन दिनों की रिमांड - Sanjeev Lal on ED remand

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इसे भी पढे़ं- टेंडर कमीशन के खेल में करोड़ों की उगाही का राज खोल रही ईडी, एक दर्जन ठेकेदार, नेता और अधिकारी राडर पर - ED action in Jharkhand

रांचीः जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने सबसे खास और प्रेस सलाहकार रहे अभिषेक श्रीवास्तव उर्फ पिंटू के बयान के बाद ईडी के रडार पर आ गए थे. कुछ वैसा ही झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के साथ भी हुआ. उनके पीए संजीव लाल के खुलासे के बाद ही मंत्री आलमगीर आलम ईडी की रडार पर आए और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

पैसा मिलने के बाद से ही संजीव से किनारा करते रहे मंत्री आलमगीर

6 मई को ईडी ने संजीव लाल और उनके नौकर जहांगीर आलम के ठिकानों पर रेड कर 32.20 करोड़ रुपये कैश बरामद किए. इस पर मंत्री आलमगीर आलम की पहली प्रतिक्रिया यही थी कि ये पैसे उनके नहीं हैं और पैसे के बारे में वे कुछ नहीं जानते हैं. लेकिन संजीव लाल ने ईडी के सामने मंत्री आलमगीर आलम की पोल खोल कर रख दी. संजीव ने ईडी को बताया था कि 6 मई को छापेमारी के जहांगीर आलम के यहां से जो 32.20 करोड़ रुपये मिले थे, वह सारे पैसे आलमगीर आलम के ही थे. ईडी ने इस बात का जिक्र अदालत को दिए अपने रिमांड पटीशन में भी किया है.

संजीव के बयान के बाद ही ईडी ने कोर्ट को जानकारी दी है कि ग्रामीण विकास विभाग और ग्रामीण कार्य विभाग के ठेकों में सिर्फ मंत्री का कमीशन 1.5 प्रतिशत हुआ करता था. ईडी ने कोर्ट को यह भी बताया है कि जांच में यह बात सामने आयी है कि ठेका आवंटन के बाद कमीशन की उगाही और उसके बंटवारे का जिम्मा ग्रामीण विकास विभाग स्पेशल सेल और ग्रामीण कार्य विभाग के सहायक अभियंता स्तर के अधिकारियों को था.

मंत्री आलमगीर आलम ने सितंबर 2022 में इंजीनियर से लिए थे तीन करोड़

संजीव लाल ने मंत्री आलमगीर आलम से जुड़े कई दस्तावेज और दूसरी तरह के डिजिटल एविडेंस जो छापेमारी में बरामद हुए थे उसे लेकर भी कुछ नहीं छुपाया और ईडी को सारी जानकारियां दी. संजीव के बयान के बाद ही ईडी मंत्री आलमगीर आलम को लेकर अन्य जानकारियां जुटाना शुरू किया. ईडी ने कोर्ट को यह भी बताया है कि मनी लाउंड्रिंग में गिरफ्तार चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम ने कमीशन की उगाही और बंटवारे के पूरे मॉडल्स की जानकारी दी थी. जिसकी वजह से मंत्री आलमगीर आलम पहले से ही ईडी की रडार पर थे.

मंत्री के पैसे व कागजातों के रखरखाव के लिए लिया गया था फ्लैट

ईडी ने कोर्ट को बताया है कि जहांगीर के फ्लैट सर सैयद रेसिडेंसी, 1ए से बरामद 32.20 करोड़ रुपये मंत्री आलमगीर आलम के ही थे. ये पैसे जहांगीर आलम ने संजीव लाल के कहने पर मंत्री आलमगीर आलम के लिए अलग-अलग जगहों से उठाए थे. ईडी ने कोर्ट को बताया है कि कैश के अलावा फ्लैट से भारी पैमानें पर आधिकारिक लेटरहेड, पत्र, सरकारी दस्तावेज भी बरामद किए थे.

ईडी ने कोर्ट को बताया कि संजीव लाल के द्वारा ही मंत्री आलमगीर आलम से जुड़ी चीजों को रखने के लिए इस फ्लैट का इस्तेमाल किया जाता था. संजीव ने ईडी के सामने यह भी खुलासा किया कि मंत्री आलमगीर आलम के निर्देश पर कमीशन की राशि वह वसूलता था, साथ ही ठेकों को मैनेज करने में उसकी भूमिका सबसे अहम होती थी. ठेका मैनेज होने के बाद तय कमीशन की राशि इंजीनियरों के जरिए सभी विभागीय लोगों तक पहुंचायी जाती थी. इन सभी बातों का जिक्र ईडी ने कोर्ट में किया है.

संजीव लाल और वीरेंद्र राम के बयानों का मिलान साबित हुई अहम कड़ी

ईडी के द्वारा मंत्री आलमगीर आलम के आप्त सचिव संजीव लाल और पूर्व में चीफ इंजीनियर रहे वीरेंद्र राम के बयानों का मिलान किया गया था. विभाग में आने वाले कमिश्नर को लेकर वीरेंद्र राम और संजीव लाल के बयान में काफी समानता पाई गयी थी. जिसके बाद ही मंत्री आलमगीर आलम की गिरफ्तारी की पटकथा तैयार की गई.

पूर्व सीएम भी अपने करीबी के बयान पर फंसे

जिस तरह से मंत्री आलमगीर आलम अपने सबसे विश्वस्त और पीए के बयान के बाद सलाखों के पीछे पहुंचे कुछ उसी तरह तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन को भी अपने सबसे करीबी और प्रेस एडवाइजर पिंटू के बयानों की वजह से जेल जाना पड़ा. रांची जमीन घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेकर सबसे बड़ा खुलासा उनके ही प्रेस सलाहकार रहे अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू ने ही किया था.

अभिषेक प्रसाद के बयान का जिक्र ईडी ने 191 पन्नों की चार्जशीट में किया है. चार्जशीट में जिक्र है कि ईडी ने पीएमएलए 50 के तहत 18 मार्च 2024 को पिंटू का बयान लिया था, पिंटू ने इस बयान में कबूल किया था कि उदय शंकर सीएमओ में कार्यरत हैं, वह उदय शंकर के जरिए अधिकारियों को निर्देश भिजवाते थे. पिंटू ने बताया है कि हेमंत सोरेन की बड़गाईं के 8.86 एकड़ जमीन का भौतिक सत्यापन का आदेश तत्कालीन सीएम के कहने पर दिया था.

बड़गाईं जमीन के अलावा हेमंत सोरेन के कहने पर उनकी और उनके परिजनों की दो अन्य जमीन का भौतिक सत्यापन कराया गया था. ईडी ने चार्जशीट में बताया है कि उदय शंकर और पिंटू के बीच मोबाइल चैट भी मिले थे. जिसमें 12 अक्तूबर 2022 को पिंटू ने दो अन्य जमीनों की भौतिक सत्यापन कराने का आदेश दिया था. पिंटू का बयान हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी की प्रमुख वजह बनी.

इसे भी पढ़ें- आलमगीर आलम के पूर्व ओएसडी संजीव लाल और नौकर जहांगीर को कोर्ट में किया गया पेश, ईडी को मिली तीन दिनों की रिमांड - Sanjeev Lal on ED remand

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