नई दिल्ली: दिल्ली जल बोर्ड में टेंडर प्रक्रिया और बिलों के भुगतान के लिए लगाई जाने मशीनों की खरीद प्रक्रिया में गड़बड़ी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है. बुधवार देर रात ईडी ने दिल्ली जल बोर्ड के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर जगदीश कुमार अरोड़ा और दिल्ली जल बोर्ड के ठेकेदार अनिल कुमार अग्रवाल को गिरफ्तार किया.
इसके बाद गुरुवार दोपहर राऊज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया. जहां से कोर्ट ने चार दिनों की ईडी हिरासत में भेज दिया है. जांच एजेंसी ने सात दिनों की हिरासत की मांग की थी. ED की ओर से पेश वकील मनीष जैन और ईशान बैंसला ने कहा कि जांच के दौरान मिले डिजिटल डाटा के संबंध में दोनों से पूछताछ करनी है. ईडी ने कोर्ट से कहा कि इस मामले में कुछ दूसरे लोगों को भी समन जारी किया गया है. दोनों आरोपियों को दूसरे लोगों के आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करनी है.
ईडी इस मामले की गत जुलाई माह से जांच कर रही थी. इस संबंध में जांच एजेंसी ने जल बोर्ड के अलग-अलग दफ्तरों पर छापा मारा था. दिल्ली जल बोर्ड में अनियमितताओं से संबंधित दो मामलों की जांच ईडी कर रही है. इनमें एक मामला दिल्ली जल बोर्ड की टेंडर प्रक्रिया से संबंधित है और दूसरा आपराधिक मामले से जुड़ा हुआ है. इसमें सीबीआई और दिल्ली सरकार के एंटी करप्शन ब्यूरो ने उपराज्यपाल से मिली अनुमति के बाद केस दर्ज किया था.
दिल्ली जल बोर्ड में भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच शुरू होने के बाद, गत वर्ष ईडी ने दिल्ली एनसीआर से लेकर अन्य राज्यों में छापेमारी की थी. केंद्रीय जांच एजेंसी पूरे मामले में जल बोर्ड के अधिकारियों के साथ कुछ प्राइवेट ठेकेदारों से भी पूछताछ कर चुकी है. यह जल बोर्ड द्वारा घरों में लगाए जाने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्लो मीटर के टेंडर और इससे संबंधित 38 करोड़ रुपए से जुड़ा घोटाला बताया जा रहा है. इस संबंध में सीबीआई ने वर्ष 2018 में ही केस दर्ज किया था. साथ ही दिल्ली जल बोर्ड द्वारा उपभोक्ताओं को भेजे जाने बिल और उसके भुगतान के लिए जो मशीन लगाने के टेंडर जारी किए गए थे. उसमें भी घोटाले का आरोप लगा था. टेंडर की समय सीमा खत्म होने के बाद भी उपभोक्ताओं से पैसे वसूले गए थे.
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दरअसल नवंबर 2022 में दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्यूरो में शिकायत की गई थी. इसमें कहा गया था कि दिल्ली जल बोर्ड ने अपने अलग-अलग दफ्तरों में ऑटोमैटिक बिल पेमेंट कलेक्शन मशीन बैठने का टेंडर जारी किया था. इस मशीन का टेंडर उपभोक्ताओं को बिल पेमेंट के भुगतान देने के लिए जारी किया गया था, जिसके टेंडर प्रक्रिया में ही गड़बड़ी की शिकायत की गई थी.
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