जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने चिटफंड मामले में गिरफ्तारी से बचाने के बदले 15 लाख रुपए की रिश्वत लेने के मामले में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे ईडी के कर्मचारी नवल किशोर मीणा और राजस्थान सरकार के कर्मचारी बाबूलाल मीणा की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं. जस्टिस अनुप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश दोनों आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने दोनों आरोपियों को छूट दी है कि यदि विभाग चार माह में उनके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति नहीं देता है, तो वे पुन: जमानत याचिका दायर कर सकते हैं. अदालत ने कहा कि आरोपियों ने गंभीर प्रकृति का अपराध किया है. ऐसे में उनके प्रति नरमी का रुख नहीं अपनाया जा सकता.
जमानत याचिकाओं में कहा गया कि एसीबी ने याचिकाकर्ताओं को गत 2 नवंबर को गिरफ्तार किया था. इसके बाद से वे न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे हैं. प्रकरण में अनुसंधान पूरा कर एसीबी ने आरोप पत्र भी पेश कर दिया है, लेकिन विभाग ने अब तक मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन स्वीकृति नहीं दी है. ऐसे में बिना अभियोजन स्वीकृति उनके खिलाफ ट्रायल आरंभ नहीं हो सकती. वहीं जिन धाराओं में उनके खिलाफ आरोप लगाए गए हैं, उनमें अधिकतम 7 साल तक ही सजा है. ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए.
पढ़ें: रिश्वत मामले में सीबीआई ने कृषि मंत्रालय के दो अधिकारियों के खिलाफ दर्ज किया मामला
इसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि आरोपी ईडी अधिकारी ने नवल किशोर से 17 लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी और 15 लाख रुपए सह आरोपी बाबूलाल मीणा से बरामद हुए थे. ईडी अधिकारी से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह इस तरह का अपराध करें. ऐसे में उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया. गौरतलब है कि परिवादी ने एसीबी में शिकायत दी थी कि उसके खिलाफ ईडी के इम्फाल कार्यालय में दर्ज चिटफंड से जुड़े मामले में गिरफ्तार नहीं करने की एवज में प्रवर्तन अधिकारी नवल किशोर 17 लाख रुपए रिश्वत मांग रहा है. रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए एसीबी ने आरोपी को 15 लाख रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया था.