फिरोजाबाद : जिले के कैदियों, मेडिकल कॉलेज के मरीजों और पुलिस लाइन में खाना खाने वाले जवानों के लिए एक अच्छी खबर है. इनके लिए उत्तम गुणवत्ता वाले भोजन की बेहतर व्यवस्था होगी. खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता के लिए छापेमारी करने वाला खाद्य विभाग ईट राइट कैंपस बनाने की पहल कर रहा है. इसके लिए जिला जेल, पुलिस लाइन और मेडिकल काॅलेज का चयन किया गया है. इन स्थानों पर ईट राइट कैंपस स्थापित किए जाने की योजना है.
सहायक खाद्य सुरक्षा आयुक्त चंदन पांडेय ने बताया कि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की ओर से खाद्य एवं पेय पदार्थ की गुणवत्ता के लिए छापेमारी के बाद कार्रवाई की जाती है. इसके साथ ही जिले में एफएसएसएआई (FSSAI) की ओर से नई-नई योजनाओं को खाद्य विभाग के अधिकारियों की पहल पर लागू किया जा रहा है, जिसमें मेडिकल कॉलेज, पुलिस लाइन और जिला कारागार का ईट राइट कैंपस के लिये चयन एक प्रमुख पहल है.
पिछले दिनों सहायक खाद्य सुरक्षा आयुक्त चंदन पाण्डेय ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मुलाकात की थी. वहीं मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी मनोज कुमार कुंवर ने जेल अधीक्षक के साथ बैठक की साथ ही जिला कारागार के किचन आदि व्यवस्था का जायजा लिया. खाद्य सुरक्षा आयुक्त चंदन पाण्डेय ने बताया कि जिले में चयनित तीनों ईट राइट कैम्पस बनने के बाद मेडिकल कॉलेज, पुलिस महकमे और कैदियों के भोजन व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन होगा. यह व्यवस्था फूड सेफ्टी के सिद्धान्तों के आधार पर लागू होगी. मूलरूप से ईट राइट कैंपस बनाने में कुल पांच चरण प्रभावी होंगे, जिसमें सर्वप्रथम स्वच्छता का ध्यान, दूसरा ट्रेनिंग, तीसरा कच्चे खाद्य व पके भोजन का रखरखाव, चौथा व्यवहार गत व आदत सम्बन्धी बदलाव तथा अन्तिम चरण में फूड सेफ्टी व न्यूट्रिशन सम्बन्धी जानकारी का प्रसार शामिल होगा.
उन्होंने बताया कि ईट राइट कैंपस के पहल को लेकर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सौरभ दीक्षित बेहद उत्साहित हैं. उन्होंने अपने स्तर से इस कार्य के लिए एक सीओ स्तर के अधिकारी और आरआई को जिम्मेदारी सौंपी है. खाद्य विभाग की ओर से जल्द ही पुलिस लाइन के खान पान व्यवस्था का जायजा लेने के लिये एक बैठक आयोजित की जाएगी. उन्होंने बताया कि जनपद में सघन रूप से फूड सेफ्टी की ट्रेनिंग आयोजित की जा रही है, जो फॉस्टेक के नाम से जानी जाती है. इसके अन्तर्गत कलक्ट्रेट, विकास भवन, ज्यूडिशियरी व अन्य विभाग के अधिकारियों के रसोइयों की ट्रेनिंग की पहल की गई है. यह ट्रेनिंग अब तक कुल तीन बार आयोजित की जा चुकी है.
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