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ई-साक्ष्य ऐप से डिजिटल तरीके से पुलिस जुटायेगी सबूत, अब बच नहीं सकेंगे अपराधी - TRAINING OF E SAKSHYA APP

अपराध के सबूतों को जमा करने और संरक्षित करने में पुलिस अधिकारियों की लापरवाही अब नहीं चलेगी. ई-साक्ष्य ऐप इसका बेहतरीन समाधान है.

Training OF E Sakshya App
ई-साक्ष्य ऐप ट्रेनिंग (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jan 4, 2025, 11:10 PM IST

चरखी दादरी: आपराधिक मामलों में 2024 में लागू भारतीय नागरिक संहिता के अनुरूप जांच, साक्ष्यों की श्रृंखला का संकलन डिजिटल स्वरूप में करना अनिवार्य हो गया है. गंभीर अपराध जिसमें 7 साल या इससे अधिक सजा के प्रावधान वाले मामलों में साक्ष्यों की फॉरेंसिक जांच भी अनिवार्य है. साक्ष्यों को डिजिटल तरीके से संग्रह के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र की ओर से ई-साक्ष्य ऐप तैयार किया गया है. इस ऐप के बारे में शनिवार को चरखी दादरी के लघु सचिवालय में जिले के पुलिस अधिकारियों को ट्रेनी आईपीएस एएसपी दिव्यांशी सिंगला ने विशेष प्रशिक्षण दिया. इस दौरान साइबर अपराध रोकने और नशा मुक्ति पर भी जोर दिया गया.


आपराधिक मामलों में पुलिस के लिए अब वीडियोग्राफी करना अनिवार्य किया गया है. इसके तहत साक्ष्य, घटनास्थल की स्थिति, मौके से बरामदगी आदि की वीडियोग्राफी जरूरी है. इसके लिए ई-साक्ष्य ऐप लांच किया गया है. ई-साक्ष्य ऐप का कैसे प्रयोग करना है. इसमें क्या-क्या प्रावधान है और सावधानियों के साथ-साथ नए कानून आदि के बारे में अधिकारियों को जानकारी दी गई है, ताकि उन्हें फील्ड में ऐप उपयोग करने में कोई परेशानी न हो.- दिव्यांशी सिंगला, एएसपी, चरखी दादरी

ई-साक्ष्य ऐप ट्रेनिंग (Etv Bharat)

एएसपी दिव्यांशी सिंगला ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि साइबर अपराध पर नकेल लगाने और नशा मुक्ति की दिशा में अधिकारियों को प्रशिक्षण के दौरान जानकारी दी गई. इन मामलों को रोकने के लिए पुलिस की ओर से लगातार जागरूकता शिविरों का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है.

Police officers involved in e-evidence app training
ई-साक्ष्य ऐप ट्रेनिंग में शामिल पुलिस अधिकारी (Etv Bharat)

क्या है ई-साक्ष्य ऐपः
ई-साक्ष्य ऐप भारत सरकार के अधीन राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) की ओर से विकसित किया गया है. यह आपराधिक घटनाओं के बाद डिजिटल तरीके से साक्ष्य को रिकार्ड कर संरक्षित की सुविधा देता है. इसका उद्देश्य देश में आधुनिक न्याय प्रणाली के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा दोषियों को सजा दिलाना है. इस एप्प की मदद से साक्ष्यों जैसे फोटो, वीडियो, बयानों आदि के साथ छेड़छाड़ और गायब होने की शिकायतें कम होंगी. इसकी मदद से देश भर के पुलिसिंग अनुसंधान में एकरूपता आयेगी.

सबूतों के साथ छेड़छाड़ पर लगेगी रोकः
बता दें कि नये आपराधिक कानून (भारतीय न्याय संहिता) में अपराध दृश्य, मौके से जब्ती, वादी-साक्ष्यों के बयानों का इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से रिकार्डिंग, संग्रह, परिसर की तलाशी का वीडियो का भी प्रावधान है. ई-साक्ष्य ऐप से नये आपराधिक कानून की मदद से अपराधियों को सजा दिलाने में मदद मिलेगी.

IPS DIVYANSHI SINGLA
एएसपी दिव्यांशी सिंगला, ट्रेनी आईपीएस (Etv Bharat)

गंभीर मामलों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्यः 1 जुलाई 2024 से भारत में लागू भारतीय नागरिक संहिता (बीएनएसएस) में 7 साल या इससे अधिक सजा के प्रावधान वाले अपराधों में प्रत्येक मामलों में तलाशी और जब्ती के वक्त का ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग करना और उनका फॉरेंसिक जांच का अनिवार्य प्रावधान है. ऐसे में गंभीर अपराधों में सजा दिलाने में ई-साक्ष्य ऐप की भूमिका महत्वपूर्ण है. साक्ष्यों के मामलों में जांच अधिकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को भ्रमित नहीं कर पायेंगे.

ई-साक्ष्य ऐप से जुड़ी प्रमुख बातेंः

  1. इस ऐप का उपयोग पुलिस विभाग के अधिकारी कर सकेंगे.
  2. इसमें अपराध स्थल की तलाशी और जब्ती गतिविधियों की रिकार्डिंग की अनुमति है.
  3. कोई भी एक वीडियो रिकार्डिंग अधिकतम 4 मिनट ही संभव है.
  4. ई-साक्ष्य ऐप पर साक्ष्यों को अपलोड करने के बाद क्लाउड आधारित सर्वर पर अपलोड करना होगा.
  5. अधिकृत व्यक्ति ही ई-साक्ष्य ऐप का उपयोग कर रहा है, इसे सिद्ध करने के लिए डाटा अपलोडिंग के वक्त जांच अधिकारी को अनिवार्य रूप से एक सेल्फी अपलोड करना है.
  6. यदि मौके पर कनेक्टिविटी की समस्या है तो अधिकारी वहां पर ई-साक्ष्य ऐप में विशेष नंबर जेनरेट करेंगे. फिर अपने पर्सनल डिवाइस में डाटा सेव करेंगे. पुलिस स्टेशन आने के बाद उसे ई-साक्ष्य ऐप पर अपलोड करेंगे.
  7. इससे जांच में एकरूपता आयेगी.
  8. न्यायालयों के समक्ष साक्ष्य रखने में आसानी होगी.
  9. साक्ष्य में स्पष्टता आयेगी.
  10. साक्ष्य को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजने में सुविधा होगी.
  11. केस को डिजिटल रूप में वरिष्ठ अधिकारी देख पायेंगे.
  12. साक्ष्यों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में समस्याएं नहीं आयेंगी.

ये भी पढ़ें

पंचकूला में नए क्रिमिनल लॉ के तहत ई-साक्ष्य ऐप लॉन्च, डिजिटल साक्ष्यों से नहीं हो सकेगी छेड़छाड़ - E evidence app launched - E EVIDENCE APP LAUNCHED

चरखी दादरी: आपराधिक मामलों में 2024 में लागू भारतीय नागरिक संहिता के अनुरूप जांच, साक्ष्यों की श्रृंखला का संकलन डिजिटल स्वरूप में करना अनिवार्य हो गया है. गंभीर अपराध जिसमें 7 साल या इससे अधिक सजा के प्रावधान वाले मामलों में साक्ष्यों की फॉरेंसिक जांच भी अनिवार्य है. साक्ष्यों को डिजिटल तरीके से संग्रह के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र की ओर से ई-साक्ष्य ऐप तैयार किया गया है. इस ऐप के बारे में शनिवार को चरखी दादरी के लघु सचिवालय में जिले के पुलिस अधिकारियों को ट्रेनी आईपीएस एएसपी दिव्यांशी सिंगला ने विशेष प्रशिक्षण दिया. इस दौरान साइबर अपराध रोकने और नशा मुक्ति पर भी जोर दिया गया.


आपराधिक मामलों में पुलिस के लिए अब वीडियोग्राफी करना अनिवार्य किया गया है. इसके तहत साक्ष्य, घटनास्थल की स्थिति, मौके से बरामदगी आदि की वीडियोग्राफी जरूरी है. इसके लिए ई-साक्ष्य ऐप लांच किया गया है. ई-साक्ष्य ऐप का कैसे प्रयोग करना है. इसमें क्या-क्या प्रावधान है और सावधानियों के साथ-साथ नए कानून आदि के बारे में अधिकारियों को जानकारी दी गई है, ताकि उन्हें फील्ड में ऐप उपयोग करने में कोई परेशानी न हो.- दिव्यांशी सिंगला, एएसपी, चरखी दादरी

ई-साक्ष्य ऐप ट्रेनिंग (Etv Bharat)

एएसपी दिव्यांशी सिंगला ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि साइबर अपराध पर नकेल लगाने और नशा मुक्ति की दिशा में अधिकारियों को प्रशिक्षण के दौरान जानकारी दी गई. इन मामलों को रोकने के लिए पुलिस की ओर से लगातार जागरूकता शिविरों का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है.

Police officers involved in e-evidence app training
ई-साक्ष्य ऐप ट्रेनिंग में शामिल पुलिस अधिकारी (Etv Bharat)

क्या है ई-साक्ष्य ऐपः
ई-साक्ष्य ऐप भारत सरकार के अधीन राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) की ओर से विकसित किया गया है. यह आपराधिक घटनाओं के बाद डिजिटल तरीके से साक्ष्य को रिकार्ड कर संरक्षित की सुविधा देता है. इसका उद्देश्य देश में आधुनिक न्याय प्रणाली के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा दोषियों को सजा दिलाना है. इस एप्प की मदद से साक्ष्यों जैसे फोटो, वीडियो, बयानों आदि के साथ छेड़छाड़ और गायब होने की शिकायतें कम होंगी. इसकी मदद से देश भर के पुलिसिंग अनुसंधान में एकरूपता आयेगी.

सबूतों के साथ छेड़छाड़ पर लगेगी रोकः
बता दें कि नये आपराधिक कानून (भारतीय न्याय संहिता) में अपराध दृश्य, मौके से जब्ती, वादी-साक्ष्यों के बयानों का इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से रिकार्डिंग, संग्रह, परिसर की तलाशी का वीडियो का भी प्रावधान है. ई-साक्ष्य ऐप से नये आपराधिक कानून की मदद से अपराधियों को सजा दिलाने में मदद मिलेगी.

IPS DIVYANSHI SINGLA
एएसपी दिव्यांशी सिंगला, ट्रेनी आईपीएस (Etv Bharat)

गंभीर मामलों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्यः 1 जुलाई 2024 से भारत में लागू भारतीय नागरिक संहिता (बीएनएसएस) में 7 साल या इससे अधिक सजा के प्रावधान वाले अपराधों में प्रत्येक मामलों में तलाशी और जब्ती के वक्त का ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग करना और उनका फॉरेंसिक जांच का अनिवार्य प्रावधान है. ऐसे में गंभीर अपराधों में सजा दिलाने में ई-साक्ष्य ऐप की भूमिका महत्वपूर्ण है. साक्ष्यों के मामलों में जांच अधिकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को भ्रमित नहीं कर पायेंगे.

ई-साक्ष्य ऐप से जुड़ी प्रमुख बातेंः

  1. इस ऐप का उपयोग पुलिस विभाग के अधिकारी कर सकेंगे.
  2. इसमें अपराध स्थल की तलाशी और जब्ती गतिविधियों की रिकार्डिंग की अनुमति है.
  3. कोई भी एक वीडियो रिकार्डिंग अधिकतम 4 मिनट ही संभव है.
  4. ई-साक्ष्य ऐप पर साक्ष्यों को अपलोड करने के बाद क्लाउड आधारित सर्वर पर अपलोड करना होगा.
  5. अधिकृत व्यक्ति ही ई-साक्ष्य ऐप का उपयोग कर रहा है, इसे सिद्ध करने के लिए डाटा अपलोडिंग के वक्त जांच अधिकारी को अनिवार्य रूप से एक सेल्फी अपलोड करना है.
  6. यदि मौके पर कनेक्टिविटी की समस्या है तो अधिकारी वहां पर ई-साक्ष्य ऐप में विशेष नंबर जेनरेट करेंगे. फिर अपने पर्सनल डिवाइस में डाटा सेव करेंगे. पुलिस स्टेशन आने के बाद उसे ई-साक्ष्य ऐप पर अपलोड करेंगे.
  7. इससे जांच में एकरूपता आयेगी.
  8. न्यायालयों के समक्ष साक्ष्य रखने में आसानी होगी.
  9. साक्ष्य में स्पष्टता आयेगी.
  10. साक्ष्य को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजने में सुविधा होगी.
  11. केस को डिजिटल रूप में वरिष्ठ अधिकारी देख पायेंगे.
  12. साक्ष्यों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में समस्याएं नहीं आयेंगी.

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