करनालः सनातन धर्म में अमावस्या का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. इस दिन विधिवत रूप से पवित्र नदी में स्नान करने के बाद दान करने का विशेष महत्व होता है. इस समय हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ महीना चल रहा है. माघ महीने में आने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के साथ पितरों की पूजा अर्चना की जाती है. दूसरी ओर मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. ऐसा माना जाता है कि जो भी इस दिन पवित्र नदी में स्नान करता है उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है. तो आईए जानते हैं मौनी अमावस्या कब है और इसका महत्व क्या है.
कब है मौनी अमावस्या: पंडित श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार माघ महीने में आने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस बार माघ अमावस्या की शुरुआत 28 जनवरी को शाम के 7:35 से हो रही है. जबकि इसका समापन 29 जनवरी को शाम के 6:05 पर होगा. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत और त्योहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए मौनी अमावस्या को 29 जनवरी के दिन मनाया जा रहा है.
मौनी अमावस्या का महत्व: पंडित श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से कई प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है इस दिन दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें. इससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है और धन की कमी नहीं होती. जिस इंसान के पितृ उनसे रुष्ट हैं उनकी आत्मा की शांति और खुशी के लिए विधिवत रूप से उनकी पूजा अर्चना करें.
मौनी अमावस्या पर मौन व्रत का महत्वः मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने का विधान होता है. ऐसा माना जाता है कि जो भी इंसान इस दिन मौन व्रत रखता है. उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है. इस दिन आम लोगों के साथ-साथ साधु-संत भी व्रत करते हैं. मन की शांति के लिए भी इस दिन व्रत रखना काफी अच्छा माना जाता है. इस दिन व्रत करने से मान सम्मान में वृद्धि होती है.
मौनी अमावस्या पर पूजा और व्रत का विधि विधान: पंडित श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि मौनी अमावस्या के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करें. अगर हो सके तो गंगा नदी में स्नान करें और उसकी पूजा अर्चना करें. ऐसा माना जाता है कि इससे सभी प्रकार के पाप दूर हो जाते हैं. उसके बाद भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. फिर अपने घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे देसी घी का दीपक लगाएं और उनकी पूजा अर्चना करें. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने के बाद अपने व्रत का पालन कर लें और गरीबों जरूरतमंदों को भोजन दें और अपनी क्षमता अनुसार दान दक्षिणा दें.
मौनी अमावस्या पर करें ये कामः पंडित श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करना बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और गंगा माता की पूजा अर्चना करनी चाहिए. मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखें. मौनी अमावस्या के दिन शाम के समय तुलसी माता के पास देसी घी का दीपक जरूर जलाएं. मौनी अमावस्या के दिन स्नान करने के बाद सुबह में सूर्य देव को जल अर्पित करें. मौनी अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा अर्चना करें. मौनी अमावस्या के दिन पक्षियों को दानें जरूर डालें.
मौनी अमावस्या पर भूल कर भी ना करें ये कामः
- मौनी अमावस्या के दिन मांस, मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए.
- मौनी अमावस्या के दिन प्याज, लहसुन ना खाएं.
- मौनी अमावस्या के दिन गुस्सा ना करें और किसी से लड़ाई झगड़ा ना करें.
- मौनी अमावस्या के दिन देर तक ना सोएं.
- इस अमावस्या पर पक्षी और जानवर को न सताएं.
- मौनी अमावस्या के दिन भूलकर भी श्मशान के आसपास नहीं जाना चाहिए.
- मौनी अमावस्या के दिन नाखून और बाल काटना अशुभ माना जाता है.
- मौनी अमावस्या के दिन तुलसी के पत्ते ना तोड़े.
- मौनी अमावस्या के दिन तुलसी माता को जल ना दें.