रांचीः जेपीएससी की 11वीं से 13वीं सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के रिजल्ट प्रकाशन में हो रही देरी पर सवाल उठने लगे हैं. छात्र आंदोलन पर हैं, वहीं आयोग ने चुप्पी साध रखी है. कहा जा रहा है कि अंदरूनी वजहों से झारखंड लोक सेवा आयोग परीक्षा का परिणाम जारी नहीं कर पा रही है. इन सबके बीच आयोग के अध्यक्ष नीलिमा केरकेट्टा का कार्यकाल समाप्त होने की वजह से जेपीएससी अध्यक्ष विहीन है. माना जा रहा है कि आयोग के नये अध्यक्ष के आने के बाद ही रिजल्ट घोषित किए जायेंगे. नये अध्यक्ष राजीव अरुण एक्का को बनाए जाने की चर्चा है.
गौरतलब है कि जेपीएससी द्वारा सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा 22 से 24 जून तक रांची के विभिन्न केंद्रों पर आयोजित की गई थी. आयोग के द्वारा मुख्य परीक्षा का परिणाम अगस्त के दूसरे सप्ताह में जारी करने संबंधी सूचना 31 जुलाई को जारी की गई थी. खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वाधीनता दिवस पर अपने संबोधन में जेपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा का रिजल्ट जल्द जारी होने की घोषणा की थी. इसके बाबजूद रिजल्ट जारी नहीं होने पर छात्र नाराज हैं और रिजल्ट में गड़बड़ी की आशंका जता रहे हैं.
11वीं से 13वीं सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से 342 पदों पर होगी नियुक्ति
342 पदों के लिए हो रहे हो रहे इस नियुक्ति परीक्षा के लिए 7011अभ्यर्थी पीटी में सफल हुए थे. जेपीएससी ने पीटी का रिजल्ट 22 अप्रैल को जारी किया था. पहली बार यह देखा गया कि आयोग द्वारा पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार परीक्षा लिए जा रहे थे, मगर जिस तरह से बीच में ही रिजल्ट को रोका गया है उससे छात्र, आयोग और सरकार पर उंगुली उठाने लगे हैं. छात्र सत्यनारायण शुक्ला ने रिजल्ट में गड़बड़ी होने की आशंका जाहिर करते हुए राज्यपाल से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है.
उन्होंने कहा कि आयोग के अध्यक्ष ने सेवानिवृत्त होने से पहले राज्यपाल महोदय को वास्तविक स्थिति से अवगत कराया है. इससे पहले लगातार छात्रों ने आयोग जाकर अपनी बातों को रखा. मगर इस परीक्षा का रिजल्ट जेपीएससी द्वारा अब तक जारी नहीं किया गया है. इधर भारतीय जनता पार्टी ने राज्य सरकार पर निशान साधते हुए जानबूझकर परीक्षा का रिजल्ट लटकाने का आरोप लगाया है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अविनेष कुमार सिंह ने कहा है कि सरकार की मंशा इस रिजल्ट को लेकर कहीं ना कहीं संदेश के घेरे में है. यही वजह है कि घोषणा के बावजूद रिजल्ट प्रकाशित नहीं हो पा रहा है और आयोग द्वारा कारणों को भी स्पष्ट नहीं किया जा रहा है. ऐसे में छात्रों की नाराजगी जायज है.
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