नई दिल्ली: दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के कर्मचारियों को नियमित करने समेत उनकी अन्य मांगों को लेकर भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर ने दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखा है. इसी साल अगस्त में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी डीटीसी कर्मचारियों से मुलाकात की थी. इस दौरान उन्होंने बस में सफर भी किया था. राहुल गांधी ने तब एक्स पर पोस्ट डालकर डीटीसी के संविदा कर्मचारियों को नियमित करने समेत अन्य मांगों को उठाया था.
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद की ओर से दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखा गया है. उन्होंने कहा है कि 14 से 15 वर्षों से संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों को अभी तक स्थायी नहीं किया गया है, जोकि अन्यायपूर्ण है, यह कर्मचारी वर्षों से पूरी ईमानदारी और मेहनत से अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वर्तमान में डीटीसी के कर्मचारियों को मात्र 816 रुपये प्रतिदिन का वेतन मिलता है. इतनी महंगाई में परिवारों के भरण-पोषण करने के लिए अपर्याप्त है. समान वेतन का नियम लागू किया जाए और संविदा कर्मचारियों को स्थाई किया जाए.
डीटीसी कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के संबंध में माननीया मुख्यमंत्री @AtishiAAP जी को पत्र लिखा।
— Chandra Shekhar Aazad (@BhimArmyChief) October 18, 2024
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डीटीसी कर्मचारियों का भविष्य खतरे में: पत्र में चंद्रशेखर आजाद ने कहा है कि डीटीसी के बेड़े में बसों की संख्या बढ़ाने की बजाय बसों का संचालन प्राइवेट कंपनियों को सौंपा जा रहा है. ये डीटीसी कर्मचारियों के भविष्य को खतरे में डालता है. कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए बसों की संख्या में वृद्धि कर डीटीसी के संचालन को सुदृढ़ किया जाए. पत्र में चंद्रशेखर ने कहा है कि डीटीसी कर्मचारियों के व्यापक हितों को देखते हुए इन मांगों पर विचार करते हुए त्वरित कदम उठाएं और डीटीसी कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करें.
कुछ दिनों पहले दिल्ली में एक सुखद बस यात्रा के अनुभव के साथ DTC कर्मचारियों से संवाद कर उनके दिनचर्या और समस्याओं की जानकारी ली।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 2, 2024
न सामाजिक सुरक्षा, न स्थिर आय और न की स्थाई नौकरी - Contractual मजदूरी ने एक बड़ी ज़िम्मेदारी के काम को मजबूरी के मुकाम पर पहुंचा दिया है।
जहां… pic.twitter.com/X4qFXcUKKI
राहुल गांधी ने भी किया था ट्वीटः लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने डीटीसी कर्मचारियों से मुलाकात की थी. इसके बाद उन्होंने डीटीसी कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर एक्स पर एक पोस्ट डाली थी, जिसमें उन्होंने लिखा है कि कुछ दिनों पहले दिल्ली में एक सुखद बस यात्रा के अनुभव के साथ DTC कर्मचारियों से संवाद कर उनके दिनचर्या और समस्याओं की जानकारी ली. न सामाजिक सुरक्षा, न स्थिर आय और न ही स्थाई नौकरी. कांट्रेक्चुअल मजदूरी ने एक बड़ी ज़िम्मेदारी के काम को मजबूरी के मुकाम पर पहुंचा दिया है. जहां ड्राइवर और कंडक्टर अनिश्चितताओं के अंधेरों में जीने पर विवश हैं.
नागरिक पक्के तो नौकरी कच्ची क्यों- राहुल गांधी: राहुल गांधी ने आगे लिखा था कि यात्रियों की सुरक्षा में निरंतर तैनात होमगार्ड्स 6 महीनों से वेतनहीन हैं. इस उपेक्षा से त्रस्त, देश भर के सरकारी कर्मचारियों की तरह डीटीसी वर्कर्स भी लगातार निजीकरण के डर के साए में जी रहे हैं. ये वो लोग हैं जो भारत को चलाते हैं, प्रतिदिन लाखों यात्रियों के सफर को सुगम बनाते हैं. मगर समर्पण के बदले उन्हें कुछ मिला है तो सिर्फ अन्याय. मांगें स्पष्ट हैं - समान काम समान वेतन, पूरा न्याय. वो भारी मन और दुखी दिल से सरकार से पूछ रहे हैं हम नागरिक पक्के तो नौकरी कच्ची क्यों. राहुल गांधी ने यह ट्वीट दो सितंबर को किया था. हालांकि, अभी भी डीटीसी के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं.
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