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ड्रग्स एडिक्ट से ड्रग्स पैडलर में कन्वर्ट होते युवा, नशे की लत बनी वजह - Drug Peddlers In Ranchi

Drug smuggling in Ranchi. रांची के युवा तेजी से नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं. यह नशा उन्हें अपराध की दलदल में धकेल रहा है. नशे के आदी हो चुके कई युवा ड्रग पैडलर का काम कर रहे हैं.

Drug Smuggling In Ranchi
कंसेप्ट इमेज (ईटीवी भारत) (कंसेप्ट इमेज (ईटीवी भारत))
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 8, 2024, 8:27 PM IST

Updated : May 8, 2024, 10:42 PM IST

जानकारी देते रिनपास के वरीय मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा और रांची रेंज के डीआईजी अनूप बिरथरे. (वीडियो-ईटीवी भारत)

रांचीः ब्राउन शुगर, कोकीन, गांजा और ब्लैक स्टोन के आदी हो चुके युवा तेजी के साथ ड्रग्स की तस्करी में जुट गए हैं. रांची पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किए गए ड्रग्स पैडलर्स ने पूछताछ में यह खुलासा किया है कि नशे की लत को पूरा करने के लिए युवाओं का बड़ा वर्ग ड्रग्स पैडलर का काम कर रहा है.

ड्रग्स एडिक्ट्स युवा ड्रग्स पैडलर की राह पर

जनवरी 2024 से लेकर मई 2024 तक केवल राजधानी रांची से ही 84 ड्रग्स पैडलर्स सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं. ड्रग्स पैडलर्स की गिरफ्तारी के बाद एक बड़ा काला सच भी सामने आया है. गिरफ्तार ड्रग्स पैडलर्स में से कई ऐसे भी हैं जो पहले सिर्फ ड्रग्स लिया करते थे और धीरे-धीरे उनके ड्रग्स लेने की लत इतनी अधिक बढ़ गई कि उनके पास पैसों की भारी कमी हो गई. नतीजा तस्करों के चक्कर में फंसकर वह भी ड्रग्स पैडलर्स बन गए हैं. ड्रग्स एडिक्ट से ड्रग्स पैडलर्स बनने वालों में एक बड़ी संख्या युवतियों की भी है.

रांची डीआईजी अनूप बिरथरे के अनुसार रांची पुलिस ने इस वर्ष अब तक ड्रग्स माफिया के खिलाफ कई बड़ी कार्रवाई की है. केवल रांची में ही 100 से ज्यादा गिरफ्तारियां हुई हैं. करोड़ों के अफीम, डोडा, ब्राउन शुगर, ब्लैक स्टोन और गांजा जब्त किए गए हैं. गिरफ्तार ड्रग्स पैडलर्स में कुछ ऐसे भी हैं जो ड्रग्स के धंधे में सिर्फ इसलिए जुड़ गए क्योंकि उन्हें ड्रग्स लेने की लत लग गई थी.

युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में

इस साल चार मई को रेल पुलिस ने रांची के चुटिया पुलिस के सहायता से एक 19 साल की लड़की सहित तीन ड्रग्स पैडलर्स को रांची रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था. चुटिया थाने में इस मामले को लेकर एफआईआर संख्या 97/2024 दर्ज की गई है. 19 साल की जो लड़की ड्रग्स तस्करी में पकड़ी गई थी उसकी कहानी बेहद अचंभित कर देने वाली है.

चुटिया थाने में जेल जाने से पहले 19 साल की ड्रग्स पैडलर ने बताया कि उसने अपने ग्रुप में रहने वाले कुछ दोस्तों के साथ ड्रग्स लेना शुरू किया था. बाद में वह ड्रग्स की एडिक्ट हो गई. ड्रग्स की लत को छुड़ाने के लिए उसे उसके परिजनों ने नशा मुक्ति केंद्र में भी भर्ती करवाया, लेकिन फिर भी उसकी नशे की लत नहीं छूटी. जब ड्रग्स लेने के लिए पैसे की कमी हुई तो वह भी स्कूटी से घूम-घूम कर ड्रग्स सप्लाई करने लगी. ड्रग्स सप्लाई करने के बदले उसे उतना ड्रग्स मिल जाता था जितना उसके दिन भर की जरूरत होती थी. ऐसा नहीं है कि केवल यही 19 साल की लड़की ड्रग्स एडिक्ट होने की वजह से ड्रग्स पैडलर बनी. ड्रग्स की आदत लगने के बाद ड्रग्स के धंधे में शामिल होने वाले युवाओं की लंबी फेहरिस्त है.

एक दिन में ढाई हजार रुपये के नशे की जरूरत

रांची के कांके स्थित रिनपास के वरीय मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा बताते हैं कि हाल के दिनों में सूखा नशा का प्रचलन काफी बढ़ा है. रांची जैसे शहरों में 5 साल पूर्व तक गांजा का प्रचलन था, लेकिन अब ब्राउन शुगर, ब्लैक स्टोन, कोकीन जैसे मादक पदार्थ बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं. डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार कोई भी युवा अगर सूखे नशा (ब्राउन शुगर) के आदि हो चुके हैं तो उसे हर दिन अपने शरीर में नशे की पूर्ति करने के लिए ढाई हजार रुपये के ब्राउन शुगर की जरूरत होती है. इतना नशा अगर उसे न मिले तो वह पागल जैसे होने की स्थिति में आ जाएगा.

ड्रग्स की जरूरत बना रहा है ड्रग्स पैडलर

डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार रिनपास में नशा मुक्ति के लिए आने वाले अधिकांश युवा हैं. जो भी युवा अपना इलाज करवाने के लिए उनके पास आते हैं वह सभी ड्रग्स के भारी मात्रा वाले डोज लेने के आदी होते हैं. सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार आप यह समझ सकते हैं कि कोई भी मध्यम वर्ग हो या उच्च वर्ग परिवार का युवा जब ड्रग्स का आदी हो जाता है तब वह किसी भी कीमत पर ड्रग्स हासिल करना चाहता है, लेकिन शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जिसके घर का लड़का या लड़की हर दिन ढाई हजार रुपये ड्रग्स पर खर्च कर सकें. यही वजह है कि ड्रग्स की लत को पूरा करने के लिए अच्छे-अच्छे घरों के बच्चे ड्रग्स पैडलर्स बन जाते हैं.

इलाज करवाने वाले 30 प्रतिशत ब्राउन शुगर के एडिक्ट

वैसे तो रांची के दो प्रमुख मनोचिकित्सालय रिनपास और सीआईपी कांके में स्थित है. दोनों में ही हर तरह से नशे के आदी हो चुके लोगों को नशे से मुक्ति दिलाने का काम किया जाता है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि 30 प्रतिशत ऐसे लोग अपना इलाज करवाने आते हैं जो ब्राउन शुगर के एडिक्ट हो चुके हैं. डॉक्टर सिद्दार्थ सिन्हा के अनुसार ब्राउन शुगर बहुत जल्द किसी को भी अपना एडिक्ट बना लेता है. ब्राउन शुगर के एक-दो डोज लेने बाद ही इंसान उसका आदि हो जाता है. एडिक्ट होने के बाद वह किसी भी तरह से ब्राउन शुगर हासिल करना चाहता है.

पुलिस कर रही है कार्रवाई

हालांकि दूसरी तरफ रांची पुलिस के द्वारा साल 2024 के मई महीने तक केवल शहरी क्षेत्र से ही 84 ड्रग्स पैडलर्स को गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तार तस्करों से लगभग 14 करोड़ रुपये के विभिन्न तरह के मादक पदार्थ जब्त किए गए हैं. रांची रेंज के डीआईजी अनूप बिरथरे के अनुसार पिछले 5 साल की तुलना में साल 2024 में मादक पदार्थ के तस्करों के खिलाफ रांची पुलिस के द्वारा बड़ी कार्रवाई की गई है. थाना स्तर पर स्पेशल टीम का गठन किया गया है. साथ ही हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है, ताकि नशे के तस्करों की जानकारी पुलिस तक पहुंच सके. पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है और किसी भी कीमत पर नशे पर तस्करों को बख्शा नहीं जाएगा.

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ड्रग्स एडिक्ट्स युवा ड्रग्स पैडलर की राह पर

जनवरी 2024 से लेकर मई 2024 तक केवल राजधानी रांची से ही 84 ड्रग्स पैडलर्स सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं. ड्रग्स पैडलर्स की गिरफ्तारी के बाद एक बड़ा काला सच भी सामने आया है. गिरफ्तार ड्रग्स पैडलर्स में से कई ऐसे भी हैं जो पहले सिर्फ ड्रग्स लिया करते थे और धीरे-धीरे उनके ड्रग्स लेने की लत इतनी अधिक बढ़ गई कि उनके पास पैसों की भारी कमी हो गई. नतीजा तस्करों के चक्कर में फंसकर वह भी ड्रग्स पैडलर्स बन गए हैं. ड्रग्स एडिक्ट से ड्रग्स पैडलर्स बनने वालों में एक बड़ी संख्या युवतियों की भी है.

रांची डीआईजी अनूप बिरथरे के अनुसार रांची पुलिस ने इस वर्ष अब तक ड्रग्स माफिया के खिलाफ कई बड़ी कार्रवाई की है. केवल रांची में ही 100 से ज्यादा गिरफ्तारियां हुई हैं. करोड़ों के अफीम, डोडा, ब्राउन शुगर, ब्लैक स्टोन और गांजा जब्त किए गए हैं. गिरफ्तार ड्रग्स पैडलर्स में कुछ ऐसे भी हैं जो ड्रग्स के धंधे में सिर्फ इसलिए जुड़ गए क्योंकि उन्हें ड्रग्स लेने की लत लग गई थी.

युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में

इस साल चार मई को रेल पुलिस ने रांची के चुटिया पुलिस के सहायता से एक 19 साल की लड़की सहित तीन ड्रग्स पैडलर्स को रांची रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था. चुटिया थाने में इस मामले को लेकर एफआईआर संख्या 97/2024 दर्ज की गई है. 19 साल की जो लड़की ड्रग्स तस्करी में पकड़ी गई थी उसकी कहानी बेहद अचंभित कर देने वाली है.

चुटिया थाने में जेल जाने से पहले 19 साल की ड्रग्स पैडलर ने बताया कि उसने अपने ग्रुप में रहने वाले कुछ दोस्तों के साथ ड्रग्स लेना शुरू किया था. बाद में वह ड्रग्स की एडिक्ट हो गई. ड्रग्स की लत को छुड़ाने के लिए उसे उसके परिजनों ने नशा मुक्ति केंद्र में भी भर्ती करवाया, लेकिन फिर भी उसकी नशे की लत नहीं छूटी. जब ड्रग्स लेने के लिए पैसे की कमी हुई तो वह भी स्कूटी से घूम-घूम कर ड्रग्स सप्लाई करने लगी. ड्रग्स सप्लाई करने के बदले उसे उतना ड्रग्स मिल जाता था जितना उसके दिन भर की जरूरत होती थी. ऐसा नहीं है कि केवल यही 19 साल की लड़की ड्रग्स एडिक्ट होने की वजह से ड्रग्स पैडलर बनी. ड्रग्स की आदत लगने के बाद ड्रग्स के धंधे में शामिल होने वाले युवाओं की लंबी फेहरिस्त है.

एक दिन में ढाई हजार रुपये के नशे की जरूरत

रांची के कांके स्थित रिनपास के वरीय मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा बताते हैं कि हाल के दिनों में सूखा नशा का प्रचलन काफी बढ़ा है. रांची जैसे शहरों में 5 साल पूर्व तक गांजा का प्रचलन था, लेकिन अब ब्राउन शुगर, ब्लैक स्टोन, कोकीन जैसे मादक पदार्थ बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं. डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार कोई भी युवा अगर सूखे नशा (ब्राउन शुगर) के आदि हो चुके हैं तो उसे हर दिन अपने शरीर में नशे की पूर्ति करने के लिए ढाई हजार रुपये के ब्राउन शुगर की जरूरत होती है. इतना नशा अगर उसे न मिले तो वह पागल जैसे होने की स्थिति में आ जाएगा.

ड्रग्स की जरूरत बना रहा है ड्रग्स पैडलर

डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार रिनपास में नशा मुक्ति के लिए आने वाले अधिकांश युवा हैं. जो भी युवा अपना इलाज करवाने के लिए उनके पास आते हैं वह सभी ड्रग्स के भारी मात्रा वाले डोज लेने के आदी होते हैं. सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार आप यह समझ सकते हैं कि कोई भी मध्यम वर्ग हो या उच्च वर्ग परिवार का युवा जब ड्रग्स का आदी हो जाता है तब वह किसी भी कीमत पर ड्रग्स हासिल करना चाहता है, लेकिन शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जिसके घर का लड़का या लड़की हर दिन ढाई हजार रुपये ड्रग्स पर खर्च कर सकें. यही वजह है कि ड्रग्स की लत को पूरा करने के लिए अच्छे-अच्छे घरों के बच्चे ड्रग्स पैडलर्स बन जाते हैं.

इलाज करवाने वाले 30 प्रतिशत ब्राउन शुगर के एडिक्ट

वैसे तो रांची के दो प्रमुख मनोचिकित्सालय रिनपास और सीआईपी कांके में स्थित है. दोनों में ही हर तरह से नशे के आदी हो चुके लोगों को नशे से मुक्ति दिलाने का काम किया जाता है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि 30 प्रतिशत ऐसे लोग अपना इलाज करवाने आते हैं जो ब्राउन शुगर के एडिक्ट हो चुके हैं. डॉक्टर सिद्दार्थ सिन्हा के अनुसार ब्राउन शुगर बहुत जल्द किसी को भी अपना एडिक्ट बना लेता है. ब्राउन शुगर के एक-दो डोज लेने बाद ही इंसान उसका आदि हो जाता है. एडिक्ट होने के बाद वह किसी भी तरह से ब्राउन शुगर हासिल करना चाहता है.

पुलिस कर रही है कार्रवाई

हालांकि दूसरी तरफ रांची पुलिस के द्वारा साल 2024 के मई महीने तक केवल शहरी क्षेत्र से ही 84 ड्रग्स पैडलर्स को गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तार तस्करों से लगभग 14 करोड़ रुपये के विभिन्न तरह के मादक पदार्थ जब्त किए गए हैं. रांची रेंज के डीआईजी अनूप बिरथरे के अनुसार पिछले 5 साल की तुलना में साल 2024 में मादक पदार्थ के तस्करों के खिलाफ रांची पुलिस के द्वारा बड़ी कार्रवाई की गई है. थाना स्तर पर स्पेशल टीम का गठन किया गया है. साथ ही हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है, ताकि नशे के तस्करों की जानकारी पुलिस तक पहुंच सके. पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है और किसी भी कीमत पर नशे पर तस्करों को बख्शा नहीं जाएगा.

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Last Updated : May 8, 2024, 10:42 PM IST
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