बिलासपुर : छत्तीसगढ़ में ड्रोन दीदी योजना ने महिलाओं के जीवन में नया सवेरा लाया है. बिलासपुर जिले की चक्राकुंड की प्रीतमा वस्त्रकार आज अपने सारे सपने पूरे कर रही है. ड्रोन उड़ाकर प्रीतमा आर्थिक रुप से मजबूत बन रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महिला सशक्तिकरण की अभिनव योजना से समूह की महिलाओं को एक नई राह और दिशा मिल रही है.
प्रधानमंत्री नमो ड्रोन दीदी योजना से जुड़ी : जिले के तखतपुर ब्लॉक के छोटे से गांव चक्राकुंड,चोरभट्टीकला में रहने वाली प्रीतमा वस्त्रकार कई वर्षों से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के स्व सहायता समूह से बैंक सखी के रूप में जुड़ी हुई हैं. जिससे उन्हें वेतन के रूप में 6000 रुपए मिलते हैं. प्रीतमा को प्रधानमंत्री नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत 'ड्रोन दीदी ' के लिए चयन किया गया है. प्रशिक्षण लेने के लिए उन्हें जब ग्वालियर जाने का मौका मिला तो ऐसा लगा कि उनके सपनों को पंख लग गए.
ट्रेनिंग के दौरान मिलना अनुभव : प्रीतमा बताती है कि ड्रोन पायलट प्रशिक्षण के दौरान उन्हें एक नया अनुभव मिला. छोटे से गांव से निकलकर प्रशिक्षण के लिए बड़े शहर जाना. उनके जैसी सामान्य महिला के लिए किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं था. 15 दिनों के प्रशिक्षण के बाद वह ड्रोन चलाने में पूरी तरह पारंगत हो गई. इसके बाद उन्हें बिहान योजना से ड्रोन दिया गया. अब प्रीतमा ड्रोन के माध्यम खेतों में यूरिया का छिड़काव कर आमदनी कर रही हैं.
अब तक 120 एकड़ खेत में छिड़काव कर चुकी हूं.इस माध्यम से छिड़काव करने पर किसानों के समय और लागत में भी काफी कमी आती है.एक एकड़ में ड्रोन से छिड़काव के लिए सिर्फ तीन सौ रुपए लिए जाते हैं, जिसके कारण अब किसान ड्रोन से छिड़काव को प्राथमिकता दे रहे हैं- प्रीतमा वस्त्रकार, ड्रोन दीदी
प्रीतमा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का आभार जताते हुए कहा कि शासन अपनी योजनाओं से महिलाओं को मजबूत बना रहा है. कल्याणकारी योजनाओं से अब आम महिलाएं भी अपनी पहचान बनाकर आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ रही हैं. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की महतारी वंदन योजना से भी महिलाओं को आर्थिक संबल मिल रहा है. आपको बता दें कि महिला सशक्तिकरण की अभिनव योजना "नमो ड्रोन दीदी योजना" के तहत जिले की स्व सहायता समूह से जुड़ी दो महिलाओं सीमा वर्मा और प्रीतमा वस्त्रकार को ड्रोन दिया गया है. 'ड्रोन दीदी' बनकर दोनों महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं.