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आपका स्मार्ट कार्ड ड्राइविंग लाइसेंस मिलने में क्यों हो रही देरी, परिवहन विभाग के सॉफ्टवेयर में क्या आई दिक्कत - Smart Card Driving License

अब बड़ी समस्या यह खड़ी हो गई है कि प्रदेश भर में सैकड़ों की संख्या में ड्राइविंग लाइसेंस मिसमैच हो रहे हैं. वर्जन वन से वर्जन टू में डीएल का डाटा ही मैच नहीं कर रहा है. ऐसे में सैकड़ों ड्राइविंग लाइसेंस फिलहाल जारी ही नहीं हो पा रहे हैं.

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स्मार्ट कार्ड ड्राइविंग लाइसेंस का सांकेतिक फोटो. (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat Archive)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 6, 2024, 4:07 PM IST

लखनऊ: एनआईसी ने हाल ही में सारथी पोर्टल को मेंटेनेंस के लिए दो दिन तक बंद किया था. मकसद था कि आए दिन ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदन में आ रही सर्वर की समस्या को दुरुस्त किया जा सके. इसके साथ ही सॉफ्टवेयर को भी अपडेट कर नए वर्जन में ढाला जा सके.

ड्राइविंग लाइसेंस के लिए वर्जन वन को वर्जन टू में बदला गया था, लेकिन अब बड़ी समस्या यह खड़ी हो गई है कि प्रदेश भर में सैकड़ों की संख्या में ड्राइविंग लाइसेंस मिसमैच हो रहे हैं. वर्जन वन से वर्जन टू में डीएल का डाटा ही मैच नहीं कर रहा है. ऐसे में सैकड़ों ड्राइविंग लाइसेंस फिलहाल जारी ही नहीं हो पा रहे हैं. परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि इस समस्या को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है.

केएमएस में नहीं मैच कर रहा डाटा: परिवहन विभाग लगातार अपनी ऑनलाइन सेवाओं को समय-समय पर अपडेट करता है. एनआईसी के सर्वर पर परिवहन विभाग का ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़ा सारा डाटा मौजूद रहता है. आरटीओ कार्यालय से परीक्षा पास करने के बाद जब परिवहन आयुक्त मुख्यालय पर प्रिंटिंग के लिए ड्राइविंग लाइसेंस आता है तो "की मैनेजमेंट सिस्टम" यानी केएमएस पर पूरा डाटा सॉफ्टवेयर पर फीड होता है.

लाखों की संख्या में अब तक स्मार्ट कार्ड ड्राइविंग लाइसेंस बन चुके हैं लेकिन पिछले कुछ माह में सवा लाख ड्राइविंग लाइसेंस की पेंडेंसी हो गई थी. यानी आवेदकों के लाइसेंस समय पर घर नहीं पहुंच रहे थे. कारण था, एनआईसी ने केएमस के वर्जन वन को वर्जन टू में तब्दील करने के लिए सारथी पोर्टल का मेंटेनेंस किया था.

सवा लाख डीएल में से 60 हजार लाइसेंस तो वर्जन टू में कन्वर्ट हो गए. यानी उनका डाटा नए वर्जन में मैच हो गया लेकिन 500 से ज्यादा ड्राइविंग लाइसेंस अभी भी ऐसे हैं जिनका डाटा अपडेटेड वर्जन में मिसमैच हो रहा है. वर्जन टू में सारा डाटा सीधे एनआईसी के सर्वर पर ही फीड हो रहा है.

पांच स्मार्ट कार्ड भेजे जाएंगे एनआईसी: परिवहन विभाग के आईटी सेल से जुड़े अधिकारियों ने इस समस्या से एनआईसी को अवगत कराया है जिसके बाद एनआईसी ने फिजिकली कम से कम पांच ऐसे स्मार्ट कार्ड भेजने को कहा है जिससे उनका डाटा क्यों मैच नहीं कर रहा है इसकी पड़ताल की जा सके. ड्राइविंग लाइसेंस के लिए नया सॉफ्टवेयर तैयार किया जा सके.

विभाग के अधिकारी बताते हैं कि गाजियाबाद आरटीओ कार्यालय से पांच ऐसे स्मार्ट कर ड्राइविंग लाइसेंस एनआईसी को भेजे जा रहे हैं, जिनसे नया सॉफ्टवेयर डेवलप कर इस तरह के डाटा मिसमैच के चलते फंसे ड्राइविंग लाइसेंस की शिकायत दूर की जा सके और आवेदकों के लाइसेंस उनके पते पर भेजे जा सकें.

बायोमेट्रिक की फोटो ही प्रिंट नहीं कर रहा सॉफ्टवेयर: बरेली और प्रयागराज आरटीओ कार्यालयों में लाइसेंस को लेकर समस्या आ रही है. डीएल के लिए आवेदक ऑनलाइन आवेदन करता है तो ऑनलाइन प्रक्रिया में जो फोटो अपलोड होती है और फिर उसके बाद आरटीओ कार्यालय में बायोमेट्रिक के दौरान फोटो क्लिक की जाती है, उनमें दिक्कत है.

बायोमेट्रिक में जो फोटो क्लिक की गई है स्मार्ट कार्ड पर वही फोटो प्रिंट होनी चाहिए, लेकिन यहां सॉफ्टवेयर ऑनलाइन आवेदन वाली फोटो ही ले रहा है. अब इस समस्या को भी दूर करने में टीम लगी हुई है.

क्या होती है डीएल की प्रक्रिया: परिवहन विभाग के सारथी 4.0 पोर्टल पर ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदक आवेदन करते हैं. लर्नर लाइसेंस की ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी करने के बाद टेस्ट देते ही उनका डीएल अप्रूव हो जाता है और घर बैठे ही वे प्रिंट भी निकाल सकते हैं.

लर्नर लाइसेंस बनने के एक माह बाद या फिर छह माह के अंदर आवेदक को फिर से परमानेंट डीएल के लिए आवेदन करना होता है. जिस दिन का स्लॉट मिलता है उस दिन आरटीओ कार्यालय में टेस्टिंग ट्रैक पर वाहन चलाकर दिखाना होता है.

कुशल वाहन चालक को डीएल के लिए फिट मानते हुए परिवहन विभाग अप्रूवल दे देता है. आवेदक का डीएल की इस प्रक्रिया में बायोमेट्रिक होता है. यहां पर आवेदक की फोटो क्लिक की जाती है इसी फोटो से लैस स्मार्ट कार्ड ड्राइविंग लाइसेंस आवेदक को मिलता है.

ये भी पढ़ेंः सारथी पोर्टल में बड़ी चूक; डीएल रीन्यू कराने वाले लाखों आवेदक परेशान, सर्च का विकल्प देना भूला NIC

लखनऊ: एनआईसी ने हाल ही में सारथी पोर्टल को मेंटेनेंस के लिए दो दिन तक बंद किया था. मकसद था कि आए दिन ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदन में आ रही सर्वर की समस्या को दुरुस्त किया जा सके. इसके साथ ही सॉफ्टवेयर को भी अपडेट कर नए वर्जन में ढाला जा सके.

ड्राइविंग लाइसेंस के लिए वर्जन वन को वर्जन टू में बदला गया था, लेकिन अब बड़ी समस्या यह खड़ी हो गई है कि प्रदेश भर में सैकड़ों की संख्या में ड्राइविंग लाइसेंस मिसमैच हो रहे हैं. वर्जन वन से वर्जन टू में डीएल का डाटा ही मैच नहीं कर रहा है. ऐसे में सैकड़ों ड्राइविंग लाइसेंस फिलहाल जारी ही नहीं हो पा रहे हैं. परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि इस समस्या को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है.

केएमएस में नहीं मैच कर रहा डाटा: परिवहन विभाग लगातार अपनी ऑनलाइन सेवाओं को समय-समय पर अपडेट करता है. एनआईसी के सर्वर पर परिवहन विभाग का ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़ा सारा डाटा मौजूद रहता है. आरटीओ कार्यालय से परीक्षा पास करने के बाद जब परिवहन आयुक्त मुख्यालय पर प्रिंटिंग के लिए ड्राइविंग लाइसेंस आता है तो "की मैनेजमेंट सिस्टम" यानी केएमएस पर पूरा डाटा सॉफ्टवेयर पर फीड होता है.

लाखों की संख्या में अब तक स्मार्ट कार्ड ड्राइविंग लाइसेंस बन चुके हैं लेकिन पिछले कुछ माह में सवा लाख ड्राइविंग लाइसेंस की पेंडेंसी हो गई थी. यानी आवेदकों के लाइसेंस समय पर घर नहीं पहुंच रहे थे. कारण था, एनआईसी ने केएमस के वर्जन वन को वर्जन टू में तब्दील करने के लिए सारथी पोर्टल का मेंटेनेंस किया था.

सवा लाख डीएल में से 60 हजार लाइसेंस तो वर्जन टू में कन्वर्ट हो गए. यानी उनका डाटा नए वर्जन में मैच हो गया लेकिन 500 से ज्यादा ड्राइविंग लाइसेंस अभी भी ऐसे हैं जिनका डाटा अपडेटेड वर्जन में मिसमैच हो रहा है. वर्जन टू में सारा डाटा सीधे एनआईसी के सर्वर पर ही फीड हो रहा है.

पांच स्मार्ट कार्ड भेजे जाएंगे एनआईसी: परिवहन विभाग के आईटी सेल से जुड़े अधिकारियों ने इस समस्या से एनआईसी को अवगत कराया है जिसके बाद एनआईसी ने फिजिकली कम से कम पांच ऐसे स्मार्ट कार्ड भेजने को कहा है जिससे उनका डाटा क्यों मैच नहीं कर रहा है इसकी पड़ताल की जा सके. ड्राइविंग लाइसेंस के लिए नया सॉफ्टवेयर तैयार किया जा सके.

विभाग के अधिकारी बताते हैं कि गाजियाबाद आरटीओ कार्यालय से पांच ऐसे स्मार्ट कर ड्राइविंग लाइसेंस एनआईसी को भेजे जा रहे हैं, जिनसे नया सॉफ्टवेयर डेवलप कर इस तरह के डाटा मिसमैच के चलते फंसे ड्राइविंग लाइसेंस की शिकायत दूर की जा सके और आवेदकों के लाइसेंस उनके पते पर भेजे जा सकें.

बायोमेट्रिक की फोटो ही प्रिंट नहीं कर रहा सॉफ्टवेयर: बरेली और प्रयागराज आरटीओ कार्यालयों में लाइसेंस को लेकर समस्या आ रही है. डीएल के लिए आवेदक ऑनलाइन आवेदन करता है तो ऑनलाइन प्रक्रिया में जो फोटो अपलोड होती है और फिर उसके बाद आरटीओ कार्यालय में बायोमेट्रिक के दौरान फोटो क्लिक की जाती है, उनमें दिक्कत है.

बायोमेट्रिक में जो फोटो क्लिक की गई है स्मार्ट कार्ड पर वही फोटो प्रिंट होनी चाहिए, लेकिन यहां सॉफ्टवेयर ऑनलाइन आवेदन वाली फोटो ही ले रहा है. अब इस समस्या को भी दूर करने में टीम लगी हुई है.

क्या होती है डीएल की प्रक्रिया: परिवहन विभाग के सारथी 4.0 पोर्टल पर ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदक आवेदन करते हैं. लर्नर लाइसेंस की ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी करने के बाद टेस्ट देते ही उनका डीएल अप्रूव हो जाता है और घर बैठे ही वे प्रिंट भी निकाल सकते हैं.

लर्नर लाइसेंस बनने के एक माह बाद या फिर छह माह के अंदर आवेदक को फिर से परमानेंट डीएल के लिए आवेदन करना होता है. जिस दिन का स्लॉट मिलता है उस दिन आरटीओ कार्यालय में टेस्टिंग ट्रैक पर वाहन चलाकर दिखाना होता है.

कुशल वाहन चालक को डीएल के लिए फिट मानते हुए परिवहन विभाग अप्रूवल दे देता है. आवेदक का डीएल की इस प्रक्रिया में बायोमेट्रिक होता है. यहां पर आवेदक की फोटो क्लिक की जाती है इसी फोटो से लैस स्मार्ट कार्ड ड्राइविंग लाइसेंस आवेदक को मिलता है.

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