देहरादून: एनजीटी के आदेशों पर चल रही नगर निगम की अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई फिलहाल थम गई है. नगर निगम ने पिछले दो दिनों में 74 अतिक्रमण में से 44 अतिक्रमण पर पीला पंजा चलाया है. जहां गुरुवार से कार्रवाई होनी थी, वहां से आपत्तियां आने के बाद कार्रवाई रोक दी गई.
मलिन बस्तियों से अतिक्रमण हटाने का विरोध: अब अतिक्रमण पर बुलडोजर चलने के बाद अलग-अलग राजनीतिक दल मलिन बस्तियों के लोगों के साथ सड़क पर उतर गए हैं. ये लोग नगर निगम द्वारा की जा रही कार्रवाई का विरोध करते हुए चेतावनी दे रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि अगर अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई बंद नहीं हुई, तो सड़क पर उतर कर उग्र आंदोलन करेंगे.
नगर निगम ने रोकी कार्रवाई: एनजीटी के आदेशों पर चल रही नगर निगम की अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई फिलहाल रुक गई है. दरअसल नगर निगम में उन लोगों ने अपनी आपत्ति दर्ज की है, जिनके मकान टूटने थे. इस पर निगम ने सुनवाई की. जिसके बाद अब नगर निगम की एक कमेटी इन साक्ष्यों की जांच करेगी और उसके बाद अतिक्रमण हटाने का काम किया जाएगा. यानी कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही अब आगे की कार्रवाई चलेगी. आपको बता दें कि रिस्पना नदी के किनारे हुए अतिक्रमण को हटाने के एनजीटी ने आदेश जारी किए थे. साल 2016 के बाद हुए अतिक्रमण को चिन्हित करते हुए नगर निगम ने 525 घरों को नोटिस जारी किया था.
अभी तक 44 अतिक्रमण हटाए गए: इनमें से नगर निगम की जमीन पर 89 अवैध कब्जे थे. 15 आपत्ति आने के बाद 74 अतिक्रमण पर कार्रवाई होनी थी. सोमवार से हुई नगर निगम की कार्रवाई में अभी तक केवल 44 अतिक्रमणों को ही ध्वस्त किया गया है. अन्य अतिक्रमण पर भी नगर निगम की कार्रवाई तेज है. वहीं नगर निगम की ओर से गुरुवार को जखनवाड़ स्थित बॉडीगार्ड और बारीघाट बस्ती में चिन्हित अवैध रूप से बने मकानों को ध्वस्त करने के लिए प्रस्तावित अभियान फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. स्थानीय निवासियों द्वारा 11 मार्च 2016 से पहले बने होने के साक्ष्य उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. 20 में से 10 लोगों ने बिजली और पानी के पुराने बिल उपलब्ध करवाए हैं. अब जांच के बाद उनका नाम सूची से हटाया जा रहा है. जिस कारण नगर निगम अब इन आपत्तियों पर निस्तारण के बाद ही अभियान शुरू करेगा.
अतिक्रमण विरोधी अभियान पर शुरू हुई राजनीति: वहीं अब नगर निगम द्वारा किए जा रही कार्रवाई के बाद कई जनप्रतिनिधि विरोध पर उतर आए हैं. शहर में चल रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान के खिलाफ कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है. नगर निकाय चुनाव की आहट से पूर्व कांग्रेस अतिक्रमण विरोधी अभियान को राजनीतिक मुद्दा बना चुकी है. कांग्रेस के एक गुट ने नगर निगम से लेकर सचिवालय तक घेराव किया. कांग्रेस के पहले जत्थे ने पूर्व विधायक राजकुमार के नेतृत्व में नगर निगम में एकत्रित होकर नारेबाजी करते हुए नगर निगम का घेराव किया. पूर्व विधायक राजकुमार ने पहले नगर निगम फिर डीएम कार्यालय और मुख्य सचिव से मुलाकात कर ज्ञापन देने की योजना बनाई.
कांग्रेस ने दिया आंदोलन का अल्टीमेटम: पूर्व विधायक ने कहा है कि यह लोग मलिन बस्तियों में 40 साल से निवास कर रहे हैं और सरकार के द्वारा जो भी सुविधाएं हैं सभी मिल रही हैं. अगर यह मकान अतिक्रमण में बने हुए थे तो सरकार द्वारा मूलभूत सुविधाएं क्यों दी गई हैं. नगर निगम द्वारा की जारी कार्रवाई गरीब लोगों पर की जा रही है. मगर अमीरों पर किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. नगर निगम द्वारा अगर इस कार्रवाई को नहीं रोका जाता है, तो कांग्रेस सड़क पर उतरकर उग्र आंदोलन करेगी.
सीटू ने भी उठाए विरोध के स्वर: नगर निगम द्वारा जिन मलिन बस्तियों के लोगों पर कार्रवाई हुई और जिन मलिन बस्तियों पर कार्रवाई होनी है, वह सब सीटू (सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस) के नेतृत्व में गांधी पार्क पर इकट्ठा होकर प्रदर्शन किया. उसके बाद सभी ने इकट्ठा होकर सचिवालय कूच किया. इस दौरान नगर निगम के खिलाफ नारे लगाए गए. वहीं प्रदर्शन में आए मलिन बस्तियों के लोगों का कहना है कि नगर निगम द्वारा हमारा उत्पीड़न किया जा रहा है. हमारे घरों को ध्वस्त किया जा रहा है. हम परिवार को लेकर कहां जाएं. सभी लोग मजदूरी करने वाले हैं, लेकिन जिस तरह से कार्रवाई हो रही है, उससे सभी को डर लग रहा है कि कब हमारे मकान का ध्वस्तीकरण हो जाए. इस कारण हम लोग मजदूरी पर भी नहीं जा पा रहे हैं. वहीं एक महिला का कहना था कि पुलिस वाले तंग करते हैं और नोटिस दे रखा है कि घर खाली करो.
100 रुपए के स्टांप पर बेचे गए मकान: जब नगर निगम द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई तो जानकारी मिली कि इन लोगों को कुछ लोगों ने 100 रुपए के स्टांप पर नोटरी करके मकान बेचा गया है. दीपनगर में आठ मकान तोड़े गए थे. इन मकानों में रहने वाले लोगों का कहना था कि उन्होंने यह जमीन कुछ लोगों से खरीदी थी. इससे संबंधित नोटरी के कागजात भी लोगों ने नगर निगम की टीम को दिखाए. पता चला कि लोगों ने झुग्गी झोपड़ी डालकर पहले कब्जा किया. इसके बाद धीरे-धीरे जमीन बेचकर कमाई शुरू कर दी. कब्जा करने वाले लोग तो पैसे बनाकर निकल गए, लेकिन यहां जमीन खरीद कर आवास बनाने वाले लोग फंस गए. जिसके बाद अब नगर निगम के कर अधीक्षक भूमि ने ऐसे लोगों के खिलाफ एसएसपी को शिकायती पत्र भेजा है.
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