रतलाम। मध्य प्रदेश के पीले सोने सोयाबीन की फसल की बुवाई का कार्य संपन्न हो चुका है. कई क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल 15 से 20 दिन की अवस्था में प्रवेश कर रही है. सोयाबीन उत्पादक किसान सोयाबीन की फसल में खरपतवार और कीट प्रबंधन के कार्य में जुटे हुए हैं. लेकिन अधिकांश क्षेत्रों में किसान खरपतवार नाशक और कीटनाशक का प्रयोग एक साथ बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह के बिना करते हैं. दवाइयां का यह कॉकटेल फसल के लिए हानिकारक भी हो सकता है. कई बार किसानों की खड़ी फसल ही इस वजह से बर्बाद हो जाती है. इसलिए किसान भाइयों को कृषि वैज्ञानिकों कृषि विभाग के विशेषज्ञों से सलाह और मार्गदर्शन लेकर ही सोयाबीन की फसल में खरपतवार और कीट प्रबंधन करना चाहिए.
5 से 20 दिन में होता है खरपतवार का कार्य
दरअसल, सोयाबीन की फसल में 15 से 20 दिन की अवस्था में खरपतवार प्रबंधन का कार्य मुख्य तौर पर किया जाता है. इसके साथ ही कीट प्रबंधन का कार्य भी किसान 20 से 35 दिन की अवस्था में करते हैं. कई बार किसान एक ही बार में खरपतवार नाशक और कीटनाशक स्काई स्प्रे अपने खेत में कर देते हैं. इसके विपरीत परिणाम भी देखने को मिलते हैं. कृषि विभाग की उपसंचालक नीलम सिंह चौहान ने एडवाइजरी जारी कर किसानों को कृषि विशेषज्ञों द्वारा अनुशंसित खरपतवार नाशक एवं कीटनाशक का उपयोग करने और बिना सलाह दवाइयों का कॉकटेल नहीं करने की सलाह दी है.
दवाइयां के कॉकटेल के क्या है नुकसान
खरपतवार नाशक और कीटनाशक का कॉकटेल बनाकर फसल में स्प्रे करने पर दोनों का प्रभाव फसल पर नहीं हो पाता है. फसल में ना तो कीटों की रोकथाम हो पाती है और ना ही खरपतवार की. महंगे दामों पर खरीदी गई दवाई बेकार चली जाती है. कई मामलों में सोयाबीन की नाजुक फसल जल जाती है. पौधे की बढ़वार रुक जाती है.
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विशेषज्ञों की सलाह के बिना न करें छिड़काव
बहरहाल किसान भाइयों को कृषि विभाग के फील्ड ऑफिसर और विषय विशेषज्ञों से सलाह लेने के बाद ही सोयाबीन की फसल में खरपतवार और किट का प्रबंधन करना चाहिए. एक दूसरे की देखा देखी अनावश्यक प्रयोग करने से सोयाबीन की अच्छी खासी फसल में नुकसान किसानों को झेलना पड़ जाता है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए किसान भाई दवाइयां का कॉकटेल करने से बचें.