रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजनीति हो या फिर लोकसभा के प्रतिनिधित्व का मुद्दा दुर्ग का दबदबा हमेशा से रहा है. विधानसभा में भूपेश बघेल यहां से चुने गए और सीएम के पद तक पहुंचे. पिछली विधानसभा में पूर्व गृहमंत्री ताम्रथ्वज साहू भी यहां से जीतकर पहुंचे थे. 2019 के चुनाव में सीएम और गृहमंत्री दोनों दुर्ग से थे. दुर्ग के चुनावी आंकड़े बताते हैं कि दुर्ग के नेताओं का हमेशा से छत्तीसगढ़ की राजनीति में अच्छा खासा दखल रहा है.
दुर्ग के नेताओं का छत्तीसगढ़ की राजनीति में रहा दबदबा: लोकसभा चुनाव 2024 में भी दुर्ग की धरती से इस बार दिग्गज नेता अपना परचम लहराने के लिए बेताब हैं. छत्तीसगढ़ की कुल 11 लोकसभा सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस को मिलाकर 22 उम्मीदवार मैदान में हैं. 22 प्रत्याशियों में से 6 नाम ऐसे हैं जो दुर्ग क्षेत्र से आते हैं. छह नामों में से चार नाम कांग्रेस नेताओं के हैं. कांग्रेस की ओर से भूपेश बघेल, जो इस इस बार राजनांदगांव लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. ताम्रध्वज साहू जो कि इस बार महासमुंद लोकसभा सीट से मैदान में हैं. देवेंद्र यादव जो इस बार दुर्ग की जमीन छोड़कर बिलासपुर लोकसभा सीट से मैदान में उतरे हैं. राजेंद्र साहू को कांग्रेस पार्टी ने दुर्ग से मैदान में उतारा है. जबकी बीजेपी ने दुर्ग से विजय बघेल को मैदान में उतारा है. दुर्ग से आने वाली बीजेपी की वरिष्ठ नेता सरोज पांडेय को इस बार पार्टी ने कोरबा लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है.
कांग्रेस सरकार में दुर्ग से सीएम सहित 6 मंत्री थे शामिल: इसके पहले भी दुर्ग के नेताओं को सरकार और राजनीति में अच्छा खासा तवज्जो दिया गया है. पूर्व की कांग्रेस की सरकार में दुर्ग के 6 कांग्रेसी विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर, कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, पीएचई मंत्री गुरु रूद्र कुमार और महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया इसी दुर्ग संभाग से आते हैं.
साय सरकार में भी दुर्ग के नेताओं को मिली प्राथमिकता: विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा सरकार बनी और विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री बनाया गया. साय सरकार में भी दुर्ग के नेताओं को तवज्जो दी गई. दुर्ग संभाग चुने गए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया. कवर्धा से चुने गए विजय शर्मा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया. नवागढ़ से चुने गए दयालदास बघेल को मंत्री बनाया गया. पूर्व में रमन सरकार में भी दुर्ग के कई नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था.
राजनीति के क्षेत्र में दुर्ग छत्तीसगढ़ का पावर सेंटर हमेशा से रहा है. बात की जाए ताराचंद साहू वासुदेव चंदाकर भूपेश बघेल के राजनीतिक गुरु, चंदूलाल चंद्राकर, सरोज पांडे, भूपेश बघेल, ताम्रध्राज साहू, विजय बघेल, देवेंद्र यादव ये सारे दिग्गज यहीं से आते हैं. पिछली कैबिनेट की बात की जाए तो ज्यादातर मंत्री दुर्ग लोकसभा से ही आते हैं. अभी से नहीं बल्कि 40 50 साल से छत्तीसगढ़ की राजनीति में दुर्ग का दबदबा रहा है. मध्य प्रदेश की राजनीतिक में भी दुर्ग का अपना दबदबा रहा है. चंदूलाल चंद्राकार, वासुदेव चंद्राकर और मोतीलाल बोरा का अपना दबदबा रहा. कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ में दुर्ग लोकसभा दुर्ग विधानसभा दुर्ग संभाग का अपना ही महत्व है और वह छत्तीसगढ़ में पावर सेंटर के रूप में रहा है. - उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार, रायपुर
निश्चित रूप से दुर्ग का प्रदेश की राजनीति में एक अलग स्थान रहा है. हेमचंद यादव जो दिवंगत हो चुके हैं, वह बहुत बड़े नेता थे. मोतीलाल बोरा की बात की जाए तो वह सोनिया गांधी के सबसे विश्वसनीय थे. पार्टी ने उनपर सालों तक भरोसा जताया कोषाध्यक्ष की महत्वपूर्ण पद पर रहे. वासुदेव चंदाकर जो भूपेश बघेल के गुरु कहलाते हैं ,वह भी दुर्ग से थे. दुर्ग से चंदूलाल चंद्राकर कितने बड़े नेता निकले, जिनकी राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति थी. दुर्ग से देखा जाए तो ऐसे कई उदाहरण निकल आएंगे. - अनिरुद्ध दुबे, वरिष्ठ पत्रकार,रायपुर
सियासी दिग्गजों की भूमि रही है दुर्ग: छत्तीसगढ़ की राजनीति हो या फिर लोकसभा का चुनाव, जीत किसी भी हुई हो दुर्ग के सियासी दिग्गजों का दबदबा विधानसभा में बरकरार रहा है. इस बार भी लोकसभा के चुनाव में दुर्ग से आने वाले नेताओं का दबदबा बरकरार रहने की पूरी उम्मीद है.