श्रीनगर: पौड़ी गढ़वाल जिले में श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध बेस अस्पताल श्रीकोट में आए दिन कोई न कोई हंगामा होता ही रहता है. नया मामला बेस अस्पताल श्रीकोट के डॉक्टरों की हड़ताल पर जाने से जुड़ा है, जिस कारण मरीजों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बताया जा रहा है कि शनिवार को डायलिसिस यूनिट बंद होने के कारण डॉक्टर और मरीज आमने-सामने आ गए थे. जिसको लेकर हॉस्पिटल में काफी हंगामा हुआ.
डॉक्टरों का आरोप: दरअसल, हड़ताल पर गए डॉक्टरों का आरोप है कि हॉस्पिटल में डॉक्टर ही सुरक्षित नहीं है. डॉक्टरों का आरोप है कि कुछ लोगों ने हॉस्पिटल में कार्यरत डॉक्टर के आवास में आगजनी के साथ-साथ उनको डराने धमकाने का प्रयास किया है. डॉक्टरों की मांग है कि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इसी वजह से शनिवार को डॉक्टरों ने अपनी ओपीडी (आउटपेशेंट विभाग) का भी बहिष्कार किया. हालांकि डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवाओं को बंद नहीं किया.
मरीजों को झेलनी पड़ी परेशानी: डॉक्टरों की हड़ताल के कारण दूर दराज से आने वाले मरीजों की काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए हॉस्पिटल में अतिरिक्त पुलिस बल भी तैनात किया गया है. ताकि हॉस्पिटल में किसी भी तरह की शांति व्यवस्था न बिगड़े.
कई महीनों से बंद है डायलिसिस यूनिट: बता दें कि बेस अस्पताल श्रीकोट की डायलिसिस यूनिट बीते कई महीनों से बंद पड़ी है, जिसको लेकर भी परेशान मरीजों और उनके तीमारदारों इमरजेंसी वॉर्ड के बाहर अपना विरोध जताया. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उनके किसी भी व्यक्ति ने डॉक्टरों के साथ कोई अभद्रता नहीं की है. न ही आगजनी की गई. हालांकि विरोध स्वरूप पुतला जरूर चलाया गया था. अस्पताल प्रबंधन उनपर जूठे आरोप लगा रहा है.
उन्होंने कहा कि पिछले कई माह से अस्पताल में डायलिसिस यूनिट ठप पड़ी है, जिससे मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में मरीजों डायलिसिस कराने के लिए देहरादून और ऋषिकेश जाना पड़ रहा है, जिससे मरीजों का समय और पैसा दोनों बर्बाद हो रहे है.
वहीं, हंगामा बढ़ता देख उपजिलाधिकारी नूपुर वर्मा भी मौके पर पहुंची. उन्होंने अस्पताल प्रबंधन, डॉक्टरों और आक्रोशित स्थानीय लोगों से वार्ता की. इस दौरान उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द से जल्द डायलिसिस यूनिट को शुरू किया जाएगा. फिलहाल उन्होंने वैकल्पिक व्यवस्था बनाने की बात कही. ताकि मरीजों को फिलहाल कुछ राहत दी जा सके. इस दौरान स्थानीय लोगों ने ओपीडी बंद करने वाले डॉक्टरो के खिलाफ कार्रवाही की मांग भी उठाई.
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