ETV Bharat / state

राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर लिख रहे बाहर की दवाइयां, मरीज हो रहे परेशान - Doon Medical College - DOON MEDICAL COLLEGE

राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में डॉक्टरों पर मनमानी का आरोप लग रहा है. आरोप है कि डॉक्टर अधिकांश दवाईयां बाहर से लिख रहे है, जिस कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

DOON MEDICAL COLLEGE
राजकीय दून मेडिकल कॉलेज (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 9, 2024, 6:48 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के सबसे बड़े राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में देहरादून ही नहीं बल्कि पर्वतीय जिलों और देहरादून के आसपास के मैदानी जिलों से भी मरीज अपना इलाज कराने पहुंचते हैं, लेकिन अस्पताल के कुछ डॉक्टर बाहर की दवाइयां लिख रहे हैं, जिससे गरीब मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

दून अस्पताल के कई डॉक्टर मनमानी के चलते मरीजों को महंगी ब्रांडेड दवाइयां प्रिसक्राइब कर रहे हैं, जबकि ओपीडी ब्लॉक परिसर में स्थित जन औषधि केंद्र के प्रति डॉक्टरों की बेरुखी की वजह से मरीजों को बाहर की दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. हालांकि दून अस्पताल के भी अपने स्टोर में करीब 600 प्रकार की जेनरिक दवाइयां नि:शुल्क वितरण के लिए उपलब्ध है.

वहीं, जन औषधि केंद्र से सस्ती दरों पर जेनेरिक दवाइयां खरीदने वाले मरीजों को दवाइयां वापस करने के लिए कहा जा रहा है. बीते सोमवार को भी मरीज अस्पताल के कई अहम विभागों के डॉक्टरों के पास से दवाएं वापस लौटाने के लिए पहुंचे, तो वहां मौजूद महिला फार्मासिस्टों ने मरीजों को समझने की भी कोशिश की, लेकिन महिला मरीज का कहना है कि डॉक्टर ने मना किया है. इसलिए दवाई वापस की जा रही है.

देहरादून की रेड क्रॉस सोसाइटी के चेयरमैन डॉ एसएस अंसारी का कहना है कि समिति की तरफ से देहरादून जिले के पांच स्थानों पर जन औषधि केंद्र खोले गए हैं और इन औषधि केंद्रों का संचालन रेड क्रॉस सोसाइटी कर रही है. और प्रधानमंत्री मोदी का सपना रहा है कि लोगों को सस्ती दर पर दवाइयां उपलब्ध हो.

उन्होंने कहा कि औषधि केंद्रों में उपलब्ध दवाइयां प्रमाणिक है और दवाइयों की गुणवत्ता में किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया गया है, हालांकि उन्हें ऐसी जानकारी मिल रही है कि दून अस्पताल में स्थित जन औषधि केंद्र की दवाओं को कुछ डॉक्टर प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं.

उन्होंने कहा कि सभी डॉक्टरों को यह हिदायत भी दी गई है कि अस्पताल के डॉक्टर जेनेरिक दवाइयां लिखें ताकि दून अस्पताल आने वाले मरीजों को सस्ती दरों पर दवाई उपलब्ध हो सके, उन्होंने आशा जताई कि जल्द मैरिज हितों में सुधार होगा.

वहीं, अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर अनुराग अग्रवाल का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन की ओर से समय-समय पर डॉक्टरों को यह बताया जाता है कि जहां तक संभव हो मरीजों को अस्पताल के स्टोर में उपलब्ध दवाइया की लिखें. इससे पहले भी बाहर की दवाइयां लिखने पर कुछ डॉक्टरों को नोटिस भी दिए गए थे.

उन्होंने बताया कि ओपीडी और आईपीडी के लिए अस्पताल के पास करीब 600 प्रकार की दवाइयां उपलब्ध है. डॉ अग्रवाल का कहना है कि सभी डॉक्टरों को यह निर्देश दिए गए हैं कि मरीजों को बाहर की दवाइयां ना लिखी जाए.

वहीं दून अस्पताल के कई डॉक्टरों द्वारा मरीजों को बाहर की दवाइयां लिखे जाने पर दून अस्पताल प्रबंधन समिति के पूर्व सदस्य अशोक वर्मा का कहना है कि अस्पताल आने वाले मरीज महंगी दवाएं एफोर्ट नहीं कर सकते हैं. उन्होंने चिकित्सकों से आग्रह किया है कि ब्रांडेड दवाओं की जगह मरीज को वही साल्ट सस्ते दर पर प्रिसक्राइब किया जाए, जिससे गरीब मरीजों को राहत मिल सके.

पढ़ें--

देहरादून: उत्तराखंड के सबसे बड़े राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में देहरादून ही नहीं बल्कि पर्वतीय जिलों और देहरादून के आसपास के मैदानी जिलों से भी मरीज अपना इलाज कराने पहुंचते हैं, लेकिन अस्पताल के कुछ डॉक्टर बाहर की दवाइयां लिख रहे हैं, जिससे गरीब मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

दून अस्पताल के कई डॉक्टर मनमानी के चलते मरीजों को महंगी ब्रांडेड दवाइयां प्रिसक्राइब कर रहे हैं, जबकि ओपीडी ब्लॉक परिसर में स्थित जन औषधि केंद्र के प्रति डॉक्टरों की बेरुखी की वजह से मरीजों को बाहर की दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. हालांकि दून अस्पताल के भी अपने स्टोर में करीब 600 प्रकार की जेनरिक दवाइयां नि:शुल्क वितरण के लिए उपलब्ध है.

वहीं, जन औषधि केंद्र से सस्ती दरों पर जेनेरिक दवाइयां खरीदने वाले मरीजों को दवाइयां वापस करने के लिए कहा जा रहा है. बीते सोमवार को भी मरीज अस्पताल के कई अहम विभागों के डॉक्टरों के पास से दवाएं वापस लौटाने के लिए पहुंचे, तो वहां मौजूद महिला फार्मासिस्टों ने मरीजों को समझने की भी कोशिश की, लेकिन महिला मरीज का कहना है कि डॉक्टर ने मना किया है. इसलिए दवाई वापस की जा रही है.

देहरादून की रेड क्रॉस सोसाइटी के चेयरमैन डॉ एसएस अंसारी का कहना है कि समिति की तरफ से देहरादून जिले के पांच स्थानों पर जन औषधि केंद्र खोले गए हैं और इन औषधि केंद्रों का संचालन रेड क्रॉस सोसाइटी कर रही है. और प्रधानमंत्री मोदी का सपना रहा है कि लोगों को सस्ती दर पर दवाइयां उपलब्ध हो.

उन्होंने कहा कि औषधि केंद्रों में उपलब्ध दवाइयां प्रमाणिक है और दवाइयों की गुणवत्ता में किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया गया है, हालांकि उन्हें ऐसी जानकारी मिल रही है कि दून अस्पताल में स्थित जन औषधि केंद्र की दवाओं को कुछ डॉक्टर प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं.

उन्होंने कहा कि सभी डॉक्टरों को यह हिदायत भी दी गई है कि अस्पताल के डॉक्टर जेनेरिक दवाइयां लिखें ताकि दून अस्पताल आने वाले मरीजों को सस्ती दरों पर दवाई उपलब्ध हो सके, उन्होंने आशा जताई कि जल्द मैरिज हितों में सुधार होगा.

वहीं, अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर अनुराग अग्रवाल का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन की ओर से समय-समय पर डॉक्टरों को यह बताया जाता है कि जहां तक संभव हो मरीजों को अस्पताल के स्टोर में उपलब्ध दवाइया की लिखें. इससे पहले भी बाहर की दवाइयां लिखने पर कुछ डॉक्टरों को नोटिस भी दिए गए थे.

उन्होंने बताया कि ओपीडी और आईपीडी के लिए अस्पताल के पास करीब 600 प्रकार की दवाइयां उपलब्ध है. डॉ अग्रवाल का कहना है कि सभी डॉक्टरों को यह निर्देश दिए गए हैं कि मरीजों को बाहर की दवाइयां ना लिखी जाए.

वहीं दून अस्पताल के कई डॉक्टरों द्वारा मरीजों को बाहर की दवाइयां लिखे जाने पर दून अस्पताल प्रबंधन समिति के पूर्व सदस्य अशोक वर्मा का कहना है कि अस्पताल आने वाले मरीज महंगी दवाएं एफोर्ट नहीं कर सकते हैं. उन्होंने चिकित्सकों से आग्रह किया है कि ब्रांडेड दवाओं की जगह मरीज को वही साल्ट सस्ते दर पर प्रिसक्राइब किया जाए, जिससे गरीब मरीजों को राहत मिल सके.

पढ़ें--

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.