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मासूम को जन्म के बाद अब मिली ममता की गोद, चिकित्सको की मेहनत लाई रंग, 105 दिन बाद अस्पताल से मिली छुट्टी - Newborn discharged from hospital

राजस्थान के बाड़मेर जिले में चिकित्सकों सहित नर्सिंग स्टाफ की टीम ने 105 दिन तक पूरी निगरानी रखते हुए एक नवजात शिशु को नया जीवन दिया है.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 6, 2024, 8:10 AM IST

Updated : Jul 6, 2024, 8:28 AM IST

चिकित्सको की मेहनत लाई रंग
चिकित्सको की मेहनत लाई रंग (फोटो ईटीवी भारत बाड़मेर)
चिकित्सको की मेहनत लाई रंग (वीडियो ईटीवी भारत बाड़मेर)

बाड़मेर. जिले के जिला अस्पताल में भर्ती एक 6 माह के नवजात शिशु को 105 दिनों के बाद मां की गोद नसीब हुई है. इस नन्ही सी जान को बचाने के लिए जिला अस्पताल के चिकित्सकों ओर नर्सिंग स्टाफ ने कड़ी मेहनत की. जिसकी बदौलत इस नन्ही सी जान को शुक्रवार को सुरक्षित अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया. जिले में अब तक का ऐसा पहला केस है जिसमे 6 माह प्रीमेच्योर नवजात को 105 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रखना पड़ा है.

दरअसल 23 मार्च को एक गर्भवती महिला को गंभीर हालात के जिला अस्पताल में लाई गई. उसे गर्भावस्था के 25 सप्ताह में ही डिलीवरी हो गई. इस दौरान नवजात की स्थिति बेहद नाजुक थी. शिशु का वजन महज 700 ग्राम ही था. ऐसे नवजात को जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया गया. इस दौरान इस मासूम की जिंदगी बचाने में कई बार उतार चढ़ाव आए. चिकित्सकों सहित नर्सिंग ने दिन रात एक किए. मां ने भी पूरा सहयोग किया और हार नहीं मानी. आखिर चिकित्सकों सहित नर्सिंग स्टाफ की मेहनत रंग लाई और शुक्रवार को बच्चे को अस्पताल से स्वस्थ डिस्चार्ज किया गया. शिशु को एक नया जीवनदान मिलने पर सभी के चेहरों पर खुशी की मुस्कान साफ झलक रही थी. जिले में इस तरह का पहला केस है, जो कि 25 हफ्ते में डिलीवरी हुई और नवजात सुरक्षित डिस्चार्ज किया गया.

पढ़ें: बच्चे को बचाने के लिए पिता का संघर्ष, ऑक्सीजन सिलेंडर कंधे पर लेकर नर्स के पीछे दौड़ता रहा

शिशु विभागाध्यक्ष डॉ हरीश चौहान ने बताया कि सिणधरी के गांव सनपा निवासी कविता पत्नी अशोक कुमार परमार प्रसव पीड़ा के चलते अस्पताल के मातृ एवं शिशु विभाग में भर्ती हुई और मात्र 25 हफ्ते में ही एक नवजात शिशु को जन्म दिया. 23 मार्च को हुई डिलीवरी के दौरान शिशु की स्थिति बेहद नाजुक थी. जिसे एसएनसीयू विभाग में प्रभारी डा पंकज अग्रवाल की देख रेख में यूनिट बी में भर्ती किया.

मासूम को जन्म के बाद अब मिली ममता की गोद
मासूम को जन्म के बाद अब मिली ममता की गोद (फोटो ईटीवी भारत बाड़मेर)

नवजात के स्वास्थ्य में कई बार आया उतार चढ़ाव : इस दौरान नवजात शिशु का वजन सिर्फ 700 ग्राम था। स्थिति बेहद नाजुक होने के कारण शिशु को ऑक्सीजन पर रखा और मुंह में नली डालकर दूध पिलाया गया. वहीं शिशु को सिर्फ मां के दूध पर ही रखा गया. इस बीच कई बार मासूम अपनीया के चलते सांस रोक लेता था. शिशु को निमोनिया भी हुआ और वजन भी गिरकर 650 ग्राम हुआ.

105 दिन बाद अस्पताल से मिली छुट्टी
105 दिन बाद अस्पताल से मिली छुट्टी (फोटो ईटीवी भारत बाड़मेर)

अस्पताल कि चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ की मेहनत लाई रंग : चिकित्सकों सहित नर्सिंग स्टाफ की टीम ने 105 दिन तक पूरी निगरानी रखते हुए इस नवजात शिशु को नया जीवन दिया. डॉ. पंकज अग्रवाल ने बताया कि अब शिशु का वजन 1.5 हो गया है और पूर्ण रूप से स्वस्थ है.शुक्रवार को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है.

चिकित्सको की मेहनत लाई रंग (वीडियो ईटीवी भारत बाड़मेर)

बाड़मेर. जिले के जिला अस्पताल में भर्ती एक 6 माह के नवजात शिशु को 105 दिनों के बाद मां की गोद नसीब हुई है. इस नन्ही सी जान को बचाने के लिए जिला अस्पताल के चिकित्सकों ओर नर्सिंग स्टाफ ने कड़ी मेहनत की. जिसकी बदौलत इस नन्ही सी जान को शुक्रवार को सुरक्षित अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया. जिले में अब तक का ऐसा पहला केस है जिसमे 6 माह प्रीमेच्योर नवजात को 105 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रखना पड़ा है.

दरअसल 23 मार्च को एक गर्भवती महिला को गंभीर हालात के जिला अस्पताल में लाई गई. उसे गर्भावस्था के 25 सप्ताह में ही डिलीवरी हो गई. इस दौरान नवजात की स्थिति बेहद नाजुक थी. शिशु का वजन महज 700 ग्राम ही था. ऐसे नवजात को जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया गया. इस दौरान इस मासूम की जिंदगी बचाने में कई बार उतार चढ़ाव आए. चिकित्सकों सहित नर्सिंग ने दिन रात एक किए. मां ने भी पूरा सहयोग किया और हार नहीं मानी. आखिर चिकित्सकों सहित नर्सिंग स्टाफ की मेहनत रंग लाई और शुक्रवार को बच्चे को अस्पताल से स्वस्थ डिस्चार्ज किया गया. शिशु को एक नया जीवनदान मिलने पर सभी के चेहरों पर खुशी की मुस्कान साफ झलक रही थी. जिले में इस तरह का पहला केस है, जो कि 25 हफ्ते में डिलीवरी हुई और नवजात सुरक्षित डिस्चार्ज किया गया.

पढ़ें: बच्चे को बचाने के लिए पिता का संघर्ष, ऑक्सीजन सिलेंडर कंधे पर लेकर नर्स के पीछे दौड़ता रहा

शिशु विभागाध्यक्ष डॉ हरीश चौहान ने बताया कि सिणधरी के गांव सनपा निवासी कविता पत्नी अशोक कुमार परमार प्रसव पीड़ा के चलते अस्पताल के मातृ एवं शिशु विभाग में भर्ती हुई और मात्र 25 हफ्ते में ही एक नवजात शिशु को जन्म दिया. 23 मार्च को हुई डिलीवरी के दौरान शिशु की स्थिति बेहद नाजुक थी. जिसे एसएनसीयू विभाग में प्रभारी डा पंकज अग्रवाल की देख रेख में यूनिट बी में भर्ती किया.

मासूम को जन्म के बाद अब मिली ममता की गोद
मासूम को जन्म के बाद अब मिली ममता की गोद (फोटो ईटीवी भारत बाड़मेर)

नवजात के स्वास्थ्य में कई बार आया उतार चढ़ाव : इस दौरान नवजात शिशु का वजन सिर्फ 700 ग्राम था। स्थिति बेहद नाजुक होने के कारण शिशु को ऑक्सीजन पर रखा और मुंह में नली डालकर दूध पिलाया गया. वहीं शिशु को सिर्फ मां के दूध पर ही रखा गया. इस बीच कई बार मासूम अपनीया के चलते सांस रोक लेता था. शिशु को निमोनिया भी हुआ और वजन भी गिरकर 650 ग्राम हुआ.

105 दिन बाद अस्पताल से मिली छुट्टी
105 दिन बाद अस्पताल से मिली छुट्टी (फोटो ईटीवी भारत बाड़मेर)

अस्पताल कि चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ की मेहनत लाई रंग : चिकित्सकों सहित नर्सिंग स्टाफ की टीम ने 105 दिन तक पूरी निगरानी रखते हुए इस नवजात शिशु को नया जीवन दिया. डॉ. पंकज अग्रवाल ने बताया कि अब शिशु का वजन 1.5 हो गया है और पूर्ण रूप से स्वस्थ है.शुक्रवार को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है.

Last Updated : Jul 6, 2024, 8:28 AM IST
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