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लखनऊ में नवाब के वंशजों ने भी मनाई दीपावली, भाईचारे के लिए निभा रहे सदियों पुरानी परंपरा

LUCKNOW NAWAB DIWALI : वंशजों ने घरों में जलाए दीये. नवाबी खानदान के वंशज नवाब मसूद अब्दुल्ला ने बताए दीपावली के मायने.

नवाब के वंशजों ने भी मनाई दीपावली.
नवाब के वंशजों ने भी मनाई दीपावली. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

लखनऊ : दीपावली का पर्व पूरे देश में उल्लास के साथ मनाया गया. वहीं लखनऊ के नवाबों के वंशजों ने भी सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया. नवाब मसूद अब्दुल्ला ने दीये को रोशन कर हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का संदेश दिया. उन्होंने लखनऊ के नवाबों का रोशनी के इस पर्व से पुराना नाता बताया. उन्होंने बताया कि इस त्योहार को हर साल धूमधाम से मनाया जाता है.

नवाबों का दीपावली से रहा है गहरा नाता. (Video Credit; ETV Bharat)

अवध के नवाबों ने दीपावली को एक सांस्कृतिक पर्व के रूप में अपनाया. इसके जरिए हिंदू-मुस्लिम एकता का अनूठा उदाहरण पेश किया. फैजाबाद जो कि पहले अवध की राजधानी थी. वहां के नवाबों ने अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर को भूमि दानकर एकता का संदेश दिया. दीपावली की खुशियों में शामिल हुए. नवाबों ने दीयों की जगमगाहट से गोमती के किनारों को ऐसा रोशन किया कि पूरी नदी मानो प्रकाश में डूब गई हो. अब राजधानी के नवाब भी इस परंपरा को निभा रहे हैं.

नवाब मसूद अब्दुल्ला नवाबी खानदान के वंशज हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनके पूर्वजों ने दीपावली का रिवाज शुरू किया था. यह आज भी उतनी ही श्रद्धा और जोश के साथ जारी है. दीपावली के दिन नवाबों के वंशज घरों में दीये जलाते हैं. मिठाइयां बांटते हैं और अपने पूर्वजों की परंपराओं का सम्मान करते हैं. यह केवल एक पर्व नहीं बल्कि उनकी सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का माध्यम भी है.

नवाब मसूद अब्दुल्ला कहते हैं कि अवध के नवाबों ने गंगा-जमुनी तहजीब और आपसी भाईचारा को बरकरार रखने के लिए कई तौर तरीके अपनाए. इसमें 'आदाब' ऐसा शब्द है जो नवाबों द्वारा शुरू किया गया था. इसका मकसद था कि किसी भी धार्मिक शब्द के इस्तेमाल के बगैर ही हम एक-दूसरे का आदर करें. उन्होंने कहा कि दीपावली के अवसर पर नवाबों ने दीपावली मनाई. शबे बरात के मौके पर भी दिवाली जैसी रोशनी का त्योहार मनाते हैं. इसमें दीप जलाते हैं और पटाखे भी छुड़ाते हैं.

उन्होंने कहा कि होली के मौके पर लखनऊ में खास तरीके पर होली खेली जाती है. होली खेलने वाले दो पल्ली टोपी का इस्तेमाल करते हैं. इसे नवाबों ने शुरू किया था. अवध के नवाब कहते थे कि दो पल्ले टोपी पर एक पल्ले हमारे मुस्लिम भाई हैं तो दूसरे पाले पर हमारे हिंदू भाई हैं. हम इनको अपने सिर पर सजा रहे हैं. अवध की गंगा-जमुनी तहजीब का यह प्रतीकात्मक पर्व आज के समय में और भी अहम हो गया है.

यह भी पढ़ें : बनारस में दीपावली पर अद्भुत गंगा आरती, घाटों पर विदेशियों ने किया दीपदान, विश्वनाथ धाम में अनोखा नजारा

लखनऊ : दीपावली का पर्व पूरे देश में उल्लास के साथ मनाया गया. वहीं लखनऊ के नवाबों के वंशजों ने भी सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया. नवाब मसूद अब्दुल्ला ने दीये को रोशन कर हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का संदेश दिया. उन्होंने लखनऊ के नवाबों का रोशनी के इस पर्व से पुराना नाता बताया. उन्होंने बताया कि इस त्योहार को हर साल धूमधाम से मनाया जाता है.

नवाबों का दीपावली से रहा है गहरा नाता. (Video Credit; ETV Bharat)

अवध के नवाबों ने दीपावली को एक सांस्कृतिक पर्व के रूप में अपनाया. इसके जरिए हिंदू-मुस्लिम एकता का अनूठा उदाहरण पेश किया. फैजाबाद जो कि पहले अवध की राजधानी थी. वहां के नवाबों ने अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर को भूमि दानकर एकता का संदेश दिया. दीपावली की खुशियों में शामिल हुए. नवाबों ने दीयों की जगमगाहट से गोमती के किनारों को ऐसा रोशन किया कि पूरी नदी मानो प्रकाश में डूब गई हो. अब राजधानी के नवाब भी इस परंपरा को निभा रहे हैं.

नवाब मसूद अब्दुल्ला नवाबी खानदान के वंशज हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनके पूर्वजों ने दीपावली का रिवाज शुरू किया था. यह आज भी उतनी ही श्रद्धा और जोश के साथ जारी है. दीपावली के दिन नवाबों के वंशज घरों में दीये जलाते हैं. मिठाइयां बांटते हैं और अपने पूर्वजों की परंपराओं का सम्मान करते हैं. यह केवल एक पर्व नहीं बल्कि उनकी सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का माध्यम भी है.

नवाब मसूद अब्दुल्ला कहते हैं कि अवध के नवाबों ने गंगा-जमुनी तहजीब और आपसी भाईचारा को बरकरार रखने के लिए कई तौर तरीके अपनाए. इसमें 'आदाब' ऐसा शब्द है जो नवाबों द्वारा शुरू किया गया था. इसका मकसद था कि किसी भी धार्मिक शब्द के इस्तेमाल के बगैर ही हम एक-दूसरे का आदर करें. उन्होंने कहा कि दीपावली के अवसर पर नवाबों ने दीपावली मनाई. शबे बरात के मौके पर भी दिवाली जैसी रोशनी का त्योहार मनाते हैं. इसमें दीप जलाते हैं और पटाखे भी छुड़ाते हैं.

उन्होंने कहा कि होली के मौके पर लखनऊ में खास तरीके पर होली खेली जाती है. होली खेलने वाले दो पल्ली टोपी का इस्तेमाल करते हैं. इसे नवाबों ने शुरू किया था. अवध के नवाब कहते थे कि दो पल्ले टोपी पर एक पल्ले हमारे मुस्लिम भाई हैं तो दूसरे पाले पर हमारे हिंदू भाई हैं. हम इनको अपने सिर पर सजा रहे हैं. अवध की गंगा-जमुनी तहजीब का यह प्रतीकात्मक पर्व आज के समय में और भी अहम हो गया है.

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