जयपुर. रामनवमी पर जब अयोध्या में श्रीरामलला का सूर्य तिलक हो रहा था, ठीक उसी समय जयपुर के खजाना महल में रामसेतु कुंड की शिलाओं की मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना की जा रही थी. दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के दिव्य गुरु आशुतोष महाराज के शिष्य लक्षण और अन्य पंडितों ने रामसेतु की प्रतीक दिव्य शिलाओं की पूजा अर्चना की.
खजाना महल के फाउंडर डायरेक्टर अनूप श्रीवास्तव ने बताया कि श्रीराम शिलाओं की पूजा दोपहर 12:16 मिनट पर ठीक उस समय शुरू हुई, जब अयोध्या में सूर्य की किरणें श्रीराम का राज्याभिषेक कर रही थी. रामसेतु कुंड के तैरते पत्थरों की इस पूजा अर्चना में खज़ाना महल में मौजूद पर्यटक भी शामिल हुए. सभी ने जयश्री राम के उद्घोष के साथ अंत में प्रसाद ग्रहण किया.
कुंड में तैरते पत्थर बने लंका पर विजय के प्रतीक: यहां कुंड में राम नामी पत्थरों को तैरते देख पर्यटक भाव विभोर हो गए. रामेश्वरम के बाद जयपुर का खजाना महल ही संभवतः एक ऐसा स्थान है, जहां के कुंड में सात राम नामी पत्थर तैरते हुए दिखाई दे रहे हैं. पर्यटकों ने 13650 कैरट की बेशकीमती रूबी पत्थर से बनी राम दरबार की मूर्ति की भी पूजा अर्चना की. पूजा में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के मोहित सिंह तंवर, वेदाचार्य सहित वेदों का अध्ययन कर रहे कई विद्यार्थी भी शामिल हुए.
खजाना महल के फाउंडर डायरेक्टर श्रीवास्तव ने बताया कि कि वैसे तो यह पत्थर लगभग एक वर्ष से इस कुंड में तैर रहे हैं और पर्यटक इसको उत्सुकता के साथ देखते भी है, लेकिन जब से रामलला की अयोध्या में स्थापना हुई है, तब से रामसेतु के प्रतीक इन पत्थरों को देखने का नजरिया बदल गया है. अब ये पत्थर मात्र दर्शनीय नहीं रहे, बल्कि पूजनीय हो गए. उन्होंने बताया कि यहां रामसेतु के पत्थर के अलावा टूटा तारा (उल्का पिण्ड) भी देखा जा सकता है.