जयपुर. जिला उपभोक्ता आयोग जयपुर प्रथम ने वाहन लोन चुकता होने के बाद भी उसकी एनओसी जारी नहीं करने को सेवादोष माना है. इसके साथ ही आयोग ने इंडसइंड बैंक पर 9 हजार रुपए हर्जाना लगाते हुए निर्देश दिए हैं कि परिवादी के दोनों ट्रकों की एनओसी जारी की जाए.
आयोग ने अपने आदेश में कहा कि जब परिवादी ने वाहनों का पूरा लोन चुका दिया है तो बैंक को यह अधिकार नहीं है कि वह उसके वाहनों की एनओसी जारी नहीं करे. बैंक का ऐसा करना सेवादोष की श्रेणी में आता है. आयोग के अध्यक्ष डॉ. सूबे सिंह यादव व सदस्य नीलम शर्मा ने यह आदेश हजारीलाल सैनी के परिवाद पर दिए.
पढ़ेंः उपभोक्ता आयोग का फैसला- खराब जीप लेकर ग्राहक को उसकी कीमत 33.05 लाख रुपए ब्याज सहित लौटाए
परिवाद में कहा गया की उसने विपक्षी बैंक से वर्ष 2010 में टाटा एलपीटी वाहन के लिए 17.66 लाख रुपए का लोन लिया था. उसने इस वाहन की लोन राशि 30 जून 2014 तक चुका दी और उस पर कोई राशि बकाया नहीं रही. वहीं एक अन्य ट्रक के लिए भी परिवादी ने बैंक से 2009 में 14.65 लाख रुपए का लोन लिया था और उसका भुगतान भी कर दिया दिया. इसके बाद उसका लोन खाता भी 27 सितंबर 2013 को बंद हो गया. इसके बावजूद भी विपक्षी बैंक ने परिवादी के वाहनों की एनओसी जारी नहीं की. इसे उपभोक्ता आयोग में चुनौती देते हुए परिवादी ने दोनों वाहनों की एनओसी जारी करने का आग्रह किया. जिस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने बैंक पर हर्जाना लगाते हुए बैंक को दोनों वाहनों की एनओसी जारी करने के आदेश दिए हैं.