कोटा. शहर में इस बार कोचिंग करने आने वाले बच्चों की संख्या कम है और इसी के चलते हॉस्टल मालिक और लीज होल्डर के बीच विवाद गहरा रहा है. लीज होल्डर ने पहले ही हॉस्टल को लीज पर लेने के लिए मालिक से अनुबंध कर लिया था, लेकिन बच्चों की संख्या कम आने पर उन्हें मुनाफा नहीं हो रहा है. इसी के चलते आपस में विवाद हो रहा है. इस मामले को लेकर आज लीज होल्डर न्यू कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के बैनर तले जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां पर एडीएम सिटी इंद्रजीत सिंह को ज्ञापन देकर उनके मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है. किराए के अनुबंध को दोबारा से करवाने की मांग यह लोग कर रहे हैं.
पैसा वापस दिलाने की मांग : लीज होल्डर दीपेश झवेरी का कहना है कि हमारे अनुबंध के तहत पहले ही एडवांस में पैसे मालिकों ने ले लिए हैं और बच्चे नहीं आने पर हमें नुकसान हो रहा है. हॉस्टल खाली पड़े हैं. मालिक से जब बात करते हैं, तो वह वापस पैसे भी नहीं दे रहे हैं. ऐसे में हमाराी मांग है कि पैसे वापस हॉस्टल मालिकों से दिलाया जाए, क्योंकि ऐसा नहीं होने पर हम बर्बाद हो जाएंगे. हमने अपनी सारी जमा पूंजी हॉस्टल को लीज पर लेने के लिए लगा दी है. लीज होल्डर राजीव कुमार का कहना है कि ऐसे हालात कोरल पार्क, राजीव गांधी नगर, जवाहर नगर और लैंडमार्क सभी जगह पर हैं. सैकड़ों की संख्या में लीज होल्डर परेशान हो रहे हैं, क्योंकि हर साल एडवांस में ही हॉस्टल को लीज पर ले लिया जाता है.
करीब 40 हजार कम आए : महावीर नागर का कहना है कि बीते साल से करीब 40 हजार बच्चे इस साल कम आए हैं. इस साल हॉस्टल्स में 25 से 30 फीसदी ही ऑक्युपेंसी है, जबकि हमने यह सोचकर अनुबंध किया था कि बच्चे पूरे आ जाएंगे, तो हमारा खर्चा गुजारा चल जाएगा, लेकिन हमारा पूरा बजट गड़बड़ा गया है. यहां तक के घरों पर खाने की व्यवस्था भी बिगड़ गई है, हम छोटे लोग हैं और इधर-उधर से पैसा जुगाड़ कर या उधर लेकर हॉस्टल लीज पर लेते हैं. उससे ही अपना गुजारा चलाते हैं.
दूसरी तरफ, कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल का कहना है कि वर्तमान में लीज होल्डर बात कर रहे हैं कि जितने बच्चे उतना किराया है, यह सही नहीं है. अभी कोटा में और बच्चे आएंगे. इसके लिए प्रयास सभी कोचिंग संस्थान और हॉस्टल एसोसिएशन कर रहा है. ऐसे में अभी आधा सेशन निकला भी नहीं है. दो परीक्षाओं जेईई एडवांस्ड और नीट यूजी के परिणाम के बाद कोटा में और बच्चे आएंगे. इसके बाद सटीक आकलन हो पाएगा कि कोटा में कितने बच्चे आए हैं. इस स्थिति के आधार पर ही निर्णय बातचीत करके निकाला जाएगा.