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हरियाणा कांग्रेस में दीपक बाबरिया बनाम उदयभान! कैसे शुरू हुआ विवाद? क्या है जिला प्रभारियों की लिस्ट पर रोक लगाने की असल कहानी? - DISPUTE IN HARYANA CONGRESS

Dispute in Haryana Congress: हरियाणा कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान के बीच विवाद गहराता जा रहा है. जानें पूरा मामला.

Dispute in Haryana Congress
Dispute in Haryana Congress (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 16 hours ago

चंडीगढ़: विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद हरियाणा कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही. आपसी फूट और नेताओं की नाराजगी के चलते अभी तक नेता प्रतिपक्ष का ऐलान पार्टी नेतृत्व नहीं कर पाया है. चुनाव में मिली हार और फूट से उबरने के लिए पार्टी के नेताओं में मंथन का दौर जारी है. इस बीच हरियाणा में निगम चुनाव का बिगुल कभी भी बज सकता है. निगम चुनाव पर फोकस करने की जगह कांग्रेस एक बार फिर से आपसी खींचतान से जूझती दिखाई दे रही है. ये खींचतान पार्टी के नेताओं के बीच नहीं हो रही है, बल्कि पार्टी को प्रदेश में संभालने की जिम्मेदारी जिन पर है. उनके बीच दिखाई दे रही है.

दीपक बाबरिया बनाम उदयभान: 18 दिसंबर को हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने निगम चुनाव की सुगबुगाहट के बीच जिला प्रभारियों की सूची जारी की. जिसमें मौजूदा विधायकों के साथ ही पूर्व विधायकों के नाम शामिल थे. सूची जारी होने के बाद पार्टी के प्रभारी दीपक बाबरिया ने एक दिन बाद प्रेस नोट जारी कर जिला प्रभारियों की सूची को अगले आदेश तक लंबित कर दिया. ऐसा कर प्रभारी दीपक बाबरिया ने उदयभान को जोर का झटका दे दिया.

उदयभान की सफाई: दीपक बाबरिया की लिस्ट पर रोक के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदय भान अब जिला प्रभारियों की सूची पर सफाई दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि लिस्ट कैंसल नहीं हुई है. 22 जिलों की लिस्ट तैयार नहीं हुई थी. जो नेता पार्टी छोड़ गए या पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे. उनकी जगह पांच से 6 नाम बदले गए थे. अब इस मामले में चर्चा के बाद फैसला लिया जाएगा.

Dispute in Haryana Congress
जानें क्या है पूरा विवाद (Etv Bharat)

बाबरिया के इस कदम के पीछे क्या है वजह? वैसे तो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और प्रभारी दीपक बावरिया को पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा खेमे का माना जाता है. इसके बावजूद भी दीपक बाबरिया और उदयभान के बीच टकराव होता दिखाई दे रहा है. ये टकराव कोई एक दिन के अंदर पैदा नहीं हुआ, बल्कि इसकी पटकथा विधानसभा चुनाव में हुई कांग्रेस की हार बाद तैयार होना शुरू हो गई थी. जब हार के लिए पार्टी का एक गुट जहां हुड्डा खेमे पर निशाना साध रहा था, तो वहीं हुड्डा खेमे के निशाने पर प्रभारी दीपक बावरिया ही आ गए.

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार: 8 अक्टूबर 2024 को विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से ही हरियाणा कांग्रेस एक तरह से सदमे में आ गई थी. कहां तो कांग्रेस सरकार बनाने की तैयारी कर रही थी, वहीं बीजेपी ने एकतरफा चुनाव जीत लिया. बीजेपी को 48 तो कांग्रेस को 37 सीटों पर जीत मिली. जिसके बाद कांग्रेस को ये समझ नहीं आया कि आखिर उनसे कहां चूक हुई.

गुटों में बंटी नजर आई कांग्रेस: कांग्रेस का एक धड़ा पार्टी की हार का जिम्मेदार भूपेंद्र हुड्डा और टिकट वितरण सही नहीं होना बता रहा था. तो दूसरी धड़ा ईवीएम पर सवाल उठा रहा था. हार के बाद खुद हुड्डा गुट के नेताओं ने ही उनके ऊपर सवाल उठाए थे. भूपेंद्र हुड्डा का खेमा, कुमारी सैलजा गुट के नेता और कैप्टन अजय यादव हार पर अलग-अलग बयान दे रहे थे. 20 नवंबर को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने मीडिया के सामने चंडीगढ़ में ईवीएम में गड़बड़ी को लेकर एक ऐसा खुलासा किया कि उसमें पार्टी के प्रभारी दीपक बावरिया निशाने पर आ गए.

कहां से शुरू हुआ विवाद? हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने ईटीवी भारत से बात करते हुए हरियाणा चुनाव में ईवीएम को हैक करने का बड़ा आरोप लगाया था. उन्होंने 14 विधानसभा क्षेत्रों में ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाया. उदयभान ने बातचीत में कहा था कि दीपक बाबरिया को नतीजों के दिन 8 अक्टूबर को फोन पर एक मैसेज मिला था. जिसमें नतीजों की सटीक भविष्यवाणी की गई थी.

Dispute in Haryana Congress
ऐसे हुई विवाद की शुरुआत (Etv Bharat)

उदयभान के मुताबिक दीपक बाबरिया के पास नतीजों की घोषणा से पहले किसी ने मैसेज किए थे. जिसमें बताया गया था कि 14 सीटों की ईवीएम हैक कर बीजेपी चुनाव जीतेगी. उदयभान के मुताबिक तीन मैसेज बाबरिया को मिले थे. बाबरिया की तबियत खराब थी. इसलिए वो उस दिन मैसेज नहीं देख पाए. अगर बाबरिया को मिले मैसेज हमें आठ अक्टूबर को सुबह मिल जाते, तो हम नतीजों के पहले साजिश का खुलासा कर सकते थे.

उदयभान ने ये भी कहा था कि मैसेज किसने किए, उसको दीपक बावरिया जानते हैं. उसके नाम का खुलासा वहीं कर सकते हैं, लेकिन इससे मैसेज करने वाले की जान को खतरा हो सकता है. यानी कहीं ना कहीं उदयभान ने बाबरिया को इस मसले में फंसा दिया.

आमने-सामने उदयभान और प्रभारी: पार्टी प्रभारी दीपक बाबरिया ने दिल्ली में सात दिसंबर को पार्टी की बैठक के बाद बयान दिया था कि अगर सब उन्हें हार के लिए दोषी मानते हैं, तो इसकी वो जिम्मेदारी लेते हैं. हालांकि उन्होंने ये भी कहा था कि दस से पंद्रह सीटों पर टिकट का वितरण सही नहीं हुआ. ईवीएम से छेड़छाड़ और मैसेज के सवाल पर पार्टी प्रभारी दीपक बाबरिया के ने कहा था "मैंने तुरंत मैसेज प्रदेश अध्यक्ष को भेज दिया था, उन्होंने उसे गंभीरता से नहीं लिया."

हालांकि प्रभारी के बयान के बाद उदयभान ने कहा था "मुझे कोई मैसेज नहीं मिला, जो मिला वो आधा अधूरा था. प्रभारी आधा सच और आधा झूठ बोल रहे हैं. मुझे मैसेज नौ अक्टूबर को मिला था. टिकट के गलत वितरण पर उन्होंने कहा कि टिकट वितरण पर सवाल उठाना गलत है, टिकट केंद्रीय चुनाव कमेटी ने वितरित किए थे. उसमें ना प्रदेश अध्यक्ष और ना ही नेता प्रतिपक्ष यानी भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कोई रोल होता है, हम तो सिर्फ मेंबर थे."

सूची पर रोक लगाने का तर्क: जिला प्रभारियों की सूची पर रोक लगाने के पीछे ये भी तर्क दिखाई दे रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने जिला प्रभारियों जो सूची जारी की थी, उसमें कुमारी सैलजा गुट का कोई भी नेता शामिल नहीं था. शायद इस वजह से भी इस सूची पर दीपक बाबरिया की टेढ़ी नजर पड़ी. हालांकि इस बात की संभावना कम ही दिखाई देती है. क्योंकि प्रभारी पर सैलजा गुट पहले भी हुड्डा खेमे का होने के आरोप लगाते रहे हैं.

Dispute in Haryana Congress
लिस्ट रोके जाने के बाद मामले ने पकड़ता तूल (Etv Bharat)

कांग्रेस की इस जंग पर क्या कहते हैं जानकार? कांग्रेस पार्टी की वर्किंग को लंबे वक्त से देख रहे राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष के बीच छिड़ी जंग को लेकर कहते हैं कि अभी पार्टी हार की वजहों पर मंथन कर रही है, किसकी वजह से विधानसभा चुनाव में हार हुई? कौन हार के लिए जिम्मेदार है? ये तय नहीं हो पाया है. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष उदयभान का जिला प्रभारियों की सूची जारी करना वैसे भी नैतिक तौर पर सही नहीं ठहराया जा सकता था. वहीं वे ये भी कहते हैं कि अध्यक्ष और प्रभारी में तो तभी से तलवारें खींचती दिखाई दे रही थीं.

उन्होंने कहा कि जब अध्यक्ष ने प्रभारी के एक मैसेज को सार्वजनिक कर ईवीएम के हैक करने के संबंध में बयान दिया था. देखने से ऐसा लगता है कि शायद अध्यक्ष (उदयभान) ने इस खुलासे से करने से पहले प्रभारी को लूप में नहीं लिया. उन्होंने कहा कि इसके बाद से इनके बीच जुबानी जंग शुरू हो गई थी. यानी इसका असर इन दोनों के तालमेल के बीच भी दिख रहा है. शायद ये भी एक वजह है कि प्रभारी दीपक बावरिया ने अध्यक्ष की जिला प्रभारियों की मॉडिफाई सूची रोक दी. हालांकि प्रदेश अध्यक्ष को इस मामले में प्रभारी को लूप में जरूर लेना चाहिए था. शायद उन्होंने ऐसा नहीं किया हो.

'कांग्रेस में गुटबाजी की समस्या': वरिष्ठ पत्रकार राजेश मोदगिल ने कहा "कांग्रेस की गुटबाजी की समस्या आज कल की नहीं है. इसको लंबा वक्त हो गया है. ऐसे में उदयभान के अध्यक्ष और दीपक बाबरिया के प्रभारी बनने के बाद लग रहा था कि शायद अब पार्टी हरियाणा में बेहतर तालमेल के साथ आगे बढ़ेगी, लेकिन ऐसा हालिया पॉलिटिकल अपडेट के बाद दिखाई नहीं दे रहा है. प्रभारी और अध्यक्ष के बयानों से लग रहा है कि वे एक दूसरे को हार के लिए जिम्मेदार ठहराने के चक्कर में पड़े हुए हैं.

'मैसेज के बयान पर बढ़ी तल्खी': उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के बाद नैतिक तौर पर अध्यक्ष को हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए थी, सैलजा गुट की तरफ से हुई इसको लेकर बयान आए, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. वहीं अध्यक्ष ने प्रभारी के नाम का मैसेज दिखाकर मीडिया में भी बयान जारी किया. जिसके बाद इनके बीच की तल्खी बढ़ गई. इसी का असर दिख रहा है कि प्रभारी ने अध्यक्ष की जारी की गई जिला प्रभारियों की सूची पर रोक लगा दी.

ये भी पढ़ें- हरियाणा कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया का उदयभान को ज़ोरदार झटका, हुड्‌डा ग्रुप के जिला प्रभारियों की नियुक्ति रोकी - HARYANA CONGRESS FACTIONALISM

चंडीगढ़: विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद हरियाणा कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही. आपसी फूट और नेताओं की नाराजगी के चलते अभी तक नेता प्रतिपक्ष का ऐलान पार्टी नेतृत्व नहीं कर पाया है. चुनाव में मिली हार और फूट से उबरने के लिए पार्टी के नेताओं में मंथन का दौर जारी है. इस बीच हरियाणा में निगम चुनाव का बिगुल कभी भी बज सकता है. निगम चुनाव पर फोकस करने की जगह कांग्रेस एक बार फिर से आपसी खींचतान से जूझती दिखाई दे रही है. ये खींचतान पार्टी के नेताओं के बीच नहीं हो रही है, बल्कि पार्टी को प्रदेश में संभालने की जिम्मेदारी जिन पर है. उनके बीच दिखाई दे रही है.

दीपक बाबरिया बनाम उदयभान: 18 दिसंबर को हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने निगम चुनाव की सुगबुगाहट के बीच जिला प्रभारियों की सूची जारी की. जिसमें मौजूदा विधायकों के साथ ही पूर्व विधायकों के नाम शामिल थे. सूची जारी होने के बाद पार्टी के प्रभारी दीपक बाबरिया ने एक दिन बाद प्रेस नोट जारी कर जिला प्रभारियों की सूची को अगले आदेश तक लंबित कर दिया. ऐसा कर प्रभारी दीपक बाबरिया ने उदयभान को जोर का झटका दे दिया.

उदयभान की सफाई: दीपक बाबरिया की लिस्ट पर रोक के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदय भान अब जिला प्रभारियों की सूची पर सफाई दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि लिस्ट कैंसल नहीं हुई है. 22 जिलों की लिस्ट तैयार नहीं हुई थी. जो नेता पार्टी छोड़ गए या पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे. उनकी जगह पांच से 6 नाम बदले गए थे. अब इस मामले में चर्चा के बाद फैसला लिया जाएगा.

Dispute in Haryana Congress
जानें क्या है पूरा विवाद (Etv Bharat)

बाबरिया के इस कदम के पीछे क्या है वजह? वैसे तो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और प्रभारी दीपक बावरिया को पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा खेमे का माना जाता है. इसके बावजूद भी दीपक बाबरिया और उदयभान के बीच टकराव होता दिखाई दे रहा है. ये टकराव कोई एक दिन के अंदर पैदा नहीं हुआ, बल्कि इसकी पटकथा विधानसभा चुनाव में हुई कांग्रेस की हार बाद तैयार होना शुरू हो गई थी. जब हार के लिए पार्टी का एक गुट जहां हुड्डा खेमे पर निशाना साध रहा था, तो वहीं हुड्डा खेमे के निशाने पर प्रभारी दीपक बावरिया ही आ गए.

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार: 8 अक्टूबर 2024 को विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से ही हरियाणा कांग्रेस एक तरह से सदमे में आ गई थी. कहां तो कांग्रेस सरकार बनाने की तैयारी कर रही थी, वहीं बीजेपी ने एकतरफा चुनाव जीत लिया. बीजेपी को 48 तो कांग्रेस को 37 सीटों पर जीत मिली. जिसके बाद कांग्रेस को ये समझ नहीं आया कि आखिर उनसे कहां चूक हुई.

गुटों में बंटी नजर आई कांग्रेस: कांग्रेस का एक धड़ा पार्टी की हार का जिम्मेदार भूपेंद्र हुड्डा और टिकट वितरण सही नहीं होना बता रहा था. तो दूसरी धड़ा ईवीएम पर सवाल उठा रहा था. हार के बाद खुद हुड्डा गुट के नेताओं ने ही उनके ऊपर सवाल उठाए थे. भूपेंद्र हुड्डा का खेमा, कुमारी सैलजा गुट के नेता और कैप्टन अजय यादव हार पर अलग-अलग बयान दे रहे थे. 20 नवंबर को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने मीडिया के सामने चंडीगढ़ में ईवीएम में गड़बड़ी को लेकर एक ऐसा खुलासा किया कि उसमें पार्टी के प्रभारी दीपक बावरिया निशाने पर आ गए.

कहां से शुरू हुआ विवाद? हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने ईटीवी भारत से बात करते हुए हरियाणा चुनाव में ईवीएम को हैक करने का बड़ा आरोप लगाया था. उन्होंने 14 विधानसभा क्षेत्रों में ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाया. उदयभान ने बातचीत में कहा था कि दीपक बाबरिया को नतीजों के दिन 8 अक्टूबर को फोन पर एक मैसेज मिला था. जिसमें नतीजों की सटीक भविष्यवाणी की गई थी.

Dispute in Haryana Congress
ऐसे हुई विवाद की शुरुआत (Etv Bharat)

उदयभान के मुताबिक दीपक बाबरिया के पास नतीजों की घोषणा से पहले किसी ने मैसेज किए थे. जिसमें बताया गया था कि 14 सीटों की ईवीएम हैक कर बीजेपी चुनाव जीतेगी. उदयभान के मुताबिक तीन मैसेज बाबरिया को मिले थे. बाबरिया की तबियत खराब थी. इसलिए वो उस दिन मैसेज नहीं देख पाए. अगर बाबरिया को मिले मैसेज हमें आठ अक्टूबर को सुबह मिल जाते, तो हम नतीजों के पहले साजिश का खुलासा कर सकते थे.

उदयभान ने ये भी कहा था कि मैसेज किसने किए, उसको दीपक बावरिया जानते हैं. उसके नाम का खुलासा वहीं कर सकते हैं, लेकिन इससे मैसेज करने वाले की जान को खतरा हो सकता है. यानी कहीं ना कहीं उदयभान ने बाबरिया को इस मसले में फंसा दिया.

आमने-सामने उदयभान और प्रभारी: पार्टी प्रभारी दीपक बाबरिया ने दिल्ली में सात दिसंबर को पार्टी की बैठक के बाद बयान दिया था कि अगर सब उन्हें हार के लिए दोषी मानते हैं, तो इसकी वो जिम्मेदारी लेते हैं. हालांकि उन्होंने ये भी कहा था कि दस से पंद्रह सीटों पर टिकट का वितरण सही नहीं हुआ. ईवीएम से छेड़छाड़ और मैसेज के सवाल पर पार्टी प्रभारी दीपक बाबरिया के ने कहा था "मैंने तुरंत मैसेज प्रदेश अध्यक्ष को भेज दिया था, उन्होंने उसे गंभीरता से नहीं लिया."

हालांकि प्रभारी के बयान के बाद उदयभान ने कहा था "मुझे कोई मैसेज नहीं मिला, जो मिला वो आधा अधूरा था. प्रभारी आधा सच और आधा झूठ बोल रहे हैं. मुझे मैसेज नौ अक्टूबर को मिला था. टिकट के गलत वितरण पर उन्होंने कहा कि टिकट वितरण पर सवाल उठाना गलत है, टिकट केंद्रीय चुनाव कमेटी ने वितरित किए थे. उसमें ना प्रदेश अध्यक्ष और ना ही नेता प्रतिपक्ष यानी भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कोई रोल होता है, हम तो सिर्फ मेंबर थे."

सूची पर रोक लगाने का तर्क: जिला प्रभारियों की सूची पर रोक लगाने के पीछे ये भी तर्क दिखाई दे रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने जिला प्रभारियों जो सूची जारी की थी, उसमें कुमारी सैलजा गुट का कोई भी नेता शामिल नहीं था. शायद इस वजह से भी इस सूची पर दीपक बाबरिया की टेढ़ी नजर पड़ी. हालांकि इस बात की संभावना कम ही दिखाई देती है. क्योंकि प्रभारी पर सैलजा गुट पहले भी हुड्डा खेमे का होने के आरोप लगाते रहे हैं.

Dispute in Haryana Congress
लिस्ट रोके जाने के बाद मामले ने पकड़ता तूल (Etv Bharat)

कांग्रेस की इस जंग पर क्या कहते हैं जानकार? कांग्रेस पार्टी की वर्किंग को लंबे वक्त से देख रहे राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष के बीच छिड़ी जंग को लेकर कहते हैं कि अभी पार्टी हार की वजहों पर मंथन कर रही है, किसकी वजह से विधानसभा चुनाव में हार हुई? कौन हार के लिए जिम्मेदार है? ये तय नहीं हो पाया है. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष उदयभान का जिला प्रभारियों की सूची जारी करना वैसे भी नैतिक तौर पर सही नहीं ठहराया जा सकता था. वहीं वे ये भी कहते हैं कि अध्यक्ष और प्रभारी में तो तभी से तलवारें खींचती दिखाई दे रही थीं.

उन्होंने कहा कि जब अध्यक्ष ने प्रभारी के एक मैसेज को सार्वजनिक कर ईवीएम के हैक करने के संबंध में बयान दिया था. देखने से ऐसा लगता है कि शायद अध्यक्ष (उदयभान) ने इस खुलासे से करने से पहले प्रभारी को लूप में नहीं लिया. उन्होंने कहा कि इसके बाद से इनके बीच जुबानी जंग शुरू हो गई थी. यानी इसका असर इन दोनों के तालमेल के बीच भी दिख रहा है. शायद ये भी एक वजह है कि प्रभारी दीपक बावरिया ने अध्यक्ष की जिला प्रभारियों की मॉडिफाई सूची रोक दी. हालांकि प्रदेश अध्यक्ष को इस मामले में प्रभारी को लूप में जरूर लेना चाहिए था. शायद उन्होंने ऐसा नहीं किया हो.

'कांग्रेस में गुटबाजी की समस्या': वरिष्ठ पत्रकार राजेश मोदगिल ने कहा "कांग्रेस की गुटबाजी की समस्या आज कल की नहीं है. इसको लंबा वक्त हो गया है. ऐसे में उदयभान के अध्यक्ष और दीपक बाबरिया के प्रभारी बनने के बाद लग रहा था कि शायद अब पार्टी हरियाणा में बेहतर तालमेल के साथ आगे बढ़ेगी, लेकिन ऐसा हालिया पॉलिटिकल अपडेट के बाद दिखाई नहीं दे रहा है. प्रभारी और अध्यक्ष के बयानों से लग रहा है कि वे एक दूसरे को हार के लिए जिम्मेदार ठहराने के चक्कर में पड़े हुए हैं.

'मैसेज के बयान पर बढ़ी तल्खी': उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के बाद नैतिक तौर पर अध्यक्ष को हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए थी, सैलजा गुट की तरफ से हुई इसको लेकर बयान आए, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. वहीं अध्यक्ष ने प्रभारी के नाम का मैसेज दिखाकर मीडिया में भी बयान जारी किया. जिसके बाद इनके बीच की तल्खी बढ़ गई. इसी का असर दिख रहा है कि प्रभारी ने अध्यक्ष की जारी की गई जिला प्रभारियों की सूची पर रोक लगा दी.

ये भी पढ़ें- हरियाणा कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया का उदयभान को ज़ोरदार झटका, हुड्‌डा ग्रुप के जिला प्रभारियों की नियुक्ति रोकी - HARYANA CONGRESS FACTIONALISM

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