नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तराखंड की वनराजी (वन रावत) जनजाति का अस्तित्व खतरे में होने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने समाज कल्याण के निदेशक को 19 फरवरी को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दिए हैं. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और वरिष्ठ न्यायमूर्ती मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में हुई.
समाप्त होने की कगार पर राजी जनजाति का अस्तित्व: उत्तराखंड स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी की ओर से इस मामले में जनहित याचिका दायर की गई है. जनहित याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड में वन राजी जनजाति का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर है. इस जनजाति की जनसंख्या लगातार घटती जा रही है. जिसकी वर्तमान जनसंख्या सिमट कर अब लगभग 900 रह गई है. इस जनजाति के लोगों के पास बुनियादी सुविधाएं अब नहीं रही हैं. इनके स्वास्थ्य, शिक्षा और रहने खाने के लिए कोई प्रबंध नहीं है.
19 फरवरी को कोर्ट में पेश होंगे समाज कल्याण के निदेशक: यह जनजाति विलुप्ति के कगार पर पहुंच गई है. सरकार इस जनजाति के वजूद को बनाये रखने के लिये कोई ठोस योजना नहीं बना रही है.जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई कि सरकार उनके अस्तित्व को बचाये रखने के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराए, जबकि सुनवाई पर सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार बुनियादी सुविधाएं मुहैया करा रही है. अंत में अदालत ने समाज कल्याण विभाग के निदेशक को आगामी 19 फरवरी को अदालत में पेश होने के निर्देश दिए हैं.
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