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डिजिटल होगी उत्तराखंड शिक्षा व्यवस्था, SCERT ने तैयार किया ई सृजन एप, जानिये पूरी प्लानिंग - DIGITAL EDUCATION DEPARTMENT

SCERT अपर निदेशक ने आदेश किया जारी, 10 घंटे का ऑनलाइन कोर्स करने के निर्देश, सृजन एप भी तैयार

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डिजिटल होगी उत्तराखंड शिक्षा व्यवस्था (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 24, 2025, 8:31 PM IST

देहरादून: डिजिटल तकनीक की अहमियत को हर कोई समझ रहा है. इसी कड़ी में अब शिक्षा विभाग ने भी शैक्षणिक व्यवस्था में इसके ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल पर बल दिया है. शिक्षा विभाग में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को डिजिटल तकनीक सीखने के निर्देश जारी किए गए हैं. इसके लिए बाकायदा SCERT ने एक ई सृजन एप भी तैयार किया है.

उत्तराखंड शिक्षा विभाग में अब डिजिटल तकनीक का और भी बेहतर तरीके से इस्तेमाल हो सकेगा. इसके लिए सरकारी विद्यालयों के प्रधानाचार्यों और शिक्षकों को डिजिटल तकनीक से जोड़ने की कोशिश शुरू हो गई है. खास बात यह है कि विद्यालयों में शैक्षणिक कार्य से जुड़े शिक्षक और प्रधानाचार्यों को इसके लिए अनिवार्य निर्देश जारी किए जा चुके हैं. डिजिटल तकनीक से शिक्षित होने के लिए शिक्षकों और प्रधानाचार्य को अनिवार्य रूप से इससे जुड़े कोर्स को करना होगा. राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) के अपर निदेशक प्रदीप कुमार रावत ने इससे जुड़ा आदेश जारी किया है. आदेश में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि 31 मार्च तक सभी को 10 घंटे का ऑनलाइन कोर्स करना ही होगा. SCERT ने इसके लिए बाकायदा ई सृजन एप भी तैयार कर लिया है.

शिक्षा विभाग में विभिन्न विद्यालयों के शैक्षणिक कार्यों से जुड़े शिक्षक और प्रधानाचार्य के लिए इसे अनिवार्य किया गया है. इन आदेशों का पालन न करने वाले शिक्षक और प्रधानाचार्य की वार्षिक गोपनीय आख्या में भी इसे दर्ज किया जाएगा. शिक्षा विभाग में डिजिटल तकनीक के प्रवेश के पीछे मंशा आधुनिक युग में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का ज्ञान शैक्षणिक कार्य से जुड़े शिक्षकों को देना है. साथ ही पठन-पाठन में भी आधुनिक डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल करना है.

ई सृजन एप एससीईआरटी ने तैयार किया है. जिसके जरिए शिक्षक इस तकनीक को समझ सकेंगे. खास बात यह है कि इस तरह का कोर्स करने वाले शिक्षकों को प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा. जिसकी एक प्रति प्रधानाचार्य को देनी होगी. प्रधानाचार्य को अपने द्वारा किए गए कोर्स के प्रमाण पत्र की प्रति खंड शिक्षा अधिकारियों को देनी होगी.

शिक्षा के क्षेत्र में स्कूली शिक्षा के अलावा उच्च शिक्षा में भी कुछ नए निर्णय लिए गए हैं. इसमें CSR फंड की शैक्षणिक कार्यों में अहम भूमिका मानी गई है. जिसको लेकर उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने दूरस्थ क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों को गोद लेकर इन्हें विकसित करने की बात कही है. इस दौरान उच्च शिक्षा मंत्री ने सभी CSR संगठनों से राज्य के विकास की दिशा में उच्च शिक्षा विभाग के साथ जुड़कर कार्य करने का आह्वान किया है.

पढे़ं- लंबे समय से गैरहाजिर चल रहे शिक्षक होंगे बर्खास्त, नकल विहीन-पारदर्शिता से होगी बोर्ड परीक्षा -

देहरादून: डिजिटल तकनीक की अहमियत को हर कोई समझ रहा है. इसी कड़ी में अब शिक्षा विभाग ने भी शैक्षणिक व्यवस्था में इसके ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल पर बल दिया है. शिक्षा विभाग में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को डिजिटल तकनीक सीखने के निर्देश जारी किए गए हैं. इसके लिए बाकायदा SCERT ने एक ई सृजन एप भी तैयार किया है.

उत्तराखंड शिक्षा विभाग में अब डिजिटल तकनीक का और भी बेहतर तरीके से इस्तेमाल हो सकेगा. इसके लिए सरकारी विद्यालयों के प्रधानाचार्यों और शिक्षकों को डिजिटल तकनीक से जोड़ने की कोशिश शुरू हो गई है. खास बात यह है कि विद्यालयों में शैक्षणिक कार्य से जुड़े शिक्षक और प्रधानाचार्यों को इसके लिए अनिवार्य निर्देश जारी किए जा चुके हैं. डिजिटल तकनीक से शिक्षित होने के लिए शिक्षकों और प्रधानाचार्य को अनिवार्य रूप से इससे जुड़े कोर्स को करना होगा. राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) के अपर निदेशक प्रदीप कुमार रावत ने इससे जुड़ा आदेश जारी किया है. आदेश में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि 31 मार्च तक सभी को 10 घंटे का ऑनलाइन कोर्स करना ही होगा. SCERT ने इसके लिए बाकायदा ई सृजन एप भी तैयार कर लिया है.

शिक्षा विभाग में विभिन्न विद्यालयों के शैक्षणिक कार्यों से जुड़े शिक्षक और प्रधानाचार्य के लिए इसे अनिवार्य किया गया है. इन आदेशों का पालन न करने वाले शिक्षक और प्रधानाचार्य की वार्षिक गोपनीय आख्या में भी इसे दर्ज किया जाएगा. शिक्षा विभाग में डिजिटल तकनीक के प्रवेश के पीछे मंशा आधुनिक युग में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का ज्ञान शैक्षणिक कार्य से जुड़े शिक्षकों को देना है. साथ ही पठन-पाठन में भी आधुनिक डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल करना है.

ई सृजन एप एससीईआरटी ने तैयार किया है. जिसके जरिए शिक्षक इस तकनीक को समझ सकेंगे. खास बात यह है कि इस तरह का कोर्स करने वाले शिक्षकों को प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा. जिसकी एक प्रति प्रधानाचार्य को देनी होगी. प्रधानाचार्य को अपने द्वारा किए गए कोर्स के प्रमाण पत्र की प्रति खंड शिक्षा अधिकारियों को देनी होगी.

शिक्षा के क्षेत्र में स्कूली शिक्षा के अलावा उच्च शिक्षा में भी कुछ नए निर्णय लिए गए हैं. इसमें CSR फंड की शैक्षणिक कार्यों में अहम भूमिका मानी गई है. जिसको लेकर उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने दूरस्थ क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों को गोद लेकर इन्हें विकसित करने की बात कही है. इस दौरान उच्च शिक्षा मंत्री ने सभी CSR संगठनों से राज्य के विकास की दिशा में उच्च शिक्षा विभाग के साथ जुड़कर कार्य करने का आह्वान किया है.

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