संभल : यूपी के संभल में खोदाई में कार्तिकेय महादेव मंदिर, बावड़ी के बाद तीर्थस्थलों, कुओं के मिलने का सिलसिला जारी है. जिला प्रशासन विलुप्त हो चुके तमाम तीर्थ स्थलों एवं कूपों को खोजकर उन्हें पुन: पुराना रूप देने का काम कर रहा है. इसी कड़ी में गुरुवार को जामा मस्जिद से 200 मीटर की दूर कुएं की खोदाई शुरू कराई गई है. इस कूप के बारे में कहा गया है कि यह मृत्यु कूप है. मान्यता है कि इसके पानी से स्नान करने से महादेव प्रसन्न होते हैं. इसी कूप के नजदीक कभी महामृत्युंजय महादेव का मंदिर भी था, जो आज विलुप्त हो चुका है.
बता दें कि संभल के 68 तीर्थ स्थलों और 19 कूपों के अलावा विलुप्त होने की कगार पर पहुंची ऐतिहासिक धरोहरों को जिला प्रशासन ने संरक्षित करने और उन्हें संवारने का जिम्मा लिया है. DM डॉ. राजेंद्र पेंसिया लगातार कूपों की खोदाई करा रहे हैं. इसी कड़ी में गुरुवार सुबह सदर कोतवाली इलाके के मोहल्ला कोट पूर्वी में 19 कूपों में से एक मृत्यु कूप की खोदाई शुरू कराई गई है. नगर पालिका प्रशासन की ओर से खोदाई कार्य शुरू कराया गया है. जिला प्रशासन का साफ कहना है कि संभल को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किए जाने के लिए तमाम प्रयास किया जा रहे हैं और उन प्रयासों को पूरा कराया जाएगा.
कोट पूर्वी वार्ड के सभासद गगन वार्ष्णेय नगर पालिका की टीम के साथ मृत्यु कूप पहुंचे और उन्होंने पाट दिए गए कूप खोदाई का कार्य शुरू कराया. संभल की जामा मस्जिद से सिर्फ 200 मीटर की दूरी पर स्थित इस कूप की खोदाई का कार्य पालिका प्रशासन की देखरेख में कराया जा रहा है. स्थानीय लोगों का दावा है कि 12 से 15 साल पहले तक इस कूप में जल हुआ करता था. लेकिन अब लोगों ने अतिक्रमण करके इस कूप और इसके नजदीक महामृत्युंजय मंदिर को पाट दिया. अब जिस तरह से जिला प्रशासन इनको सुरक्षित करने का काम कर रहा है, उसे लेकर लोगों में खुशी का माहौल है.
लोगों का यह भी कहना है कि अगर संभल के विलुप्त हो चुके तमाम तीर्थ स्थल, कुएं, कूप और ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करके उन्हें पुनर्जीवित किया जाएगा तो आने वाले समय में संभल पर्यटन नगरी के तौर पर देश दुनिया में जानी जाएगी.
बता दें कि संभल की शाही जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने के दावे को लेकर जिला कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. 19 नवंबर को कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया था. जिसके बाद 24 नवंबर को सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी थी. इसके बाद जब जिला प्रशासन ने अवैध कब्जे के खिलाफ कार्रवाई शुरू की तो सबसे पहले करीब 46 साल बाद कार्तिकेय महादेव मंदिर मिला. तब से लगातार मंदिरों-कूपों के मिलने का सिलसिला जारी है.
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