बस्तर: बस्तर जिले के छोटे से गांव धुड़मारास ने देश और दुनिया में अपनी अनोखी पहचान बनाई है. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित धुड़मारास गांव को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन की तरफ से सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव के उन्नयन कार्यक्रम के लिए चयनित किया गया है. संयुक्त राष्ट्र के पर्यटन ग्राम उन्नयन कार्यक्रम के लिए 60 देशों से चयनित 20 गांवों में भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के धुड़मारास ने भी अपनी जगह बनाई है.
सीएम विष्णुदेव साय ने धुड़मारास को मिली सफलता पर दी बधाई: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस उपलब्धि के लिए पर्यटन विभाग की टीम के साथ ही बस्तर जिला प्रशासन व कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों व कर्मचारियों को बधाई दी है. मुख्यमंत्री साय ने कहा कि धुड़मारास की सफलता का मुख्य श्रेय यहां के स्थानीय निवासियों को जाता है, जिन्होंने अपने पारंपरिक ज्ञान और संसाधनों को संरक्षित रखते हुए इसे आकर्षक पर्यटक स्थल में बदल दिया है. धुड़मारास प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विविधता और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है. बस्तर के अदभुत आदिवासी जीवनशैली, पारम्परिक व्यंजन, हरियाली और जैव विविधता से समृद्ध यह गांव पर्यटकों के लिए एक आकर्षक ही नहीं बल्कि रोमांचक स्थल है.
सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव में बस्तर का धुड़मारास: धुड़मारास गांव दुनियाभर के उन 20 गांवों में से एक है. जिसे सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव उन्नयन कार्यक्रम में भाग लेने के लिए चुना गया है. धुड़मारास को इसकी अनूठी सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक सुंदरता और सतत पर्यटन विकास की क्षमता के कारण चुना गया है. उन्नयन कार्यक्रम में शामिल होने से गांव को उन संसाधनों तक पहुंच प्राप्त होगी जो इसके पर्यटन बुनियादी ढांचे को बढ़ाने, सांस्कृतिक संपत्तियों को बढ़ावा देने और ग्रामवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार में मदद करेंगे.
धुड़मारास और चित्रकोट को बेस्ट पर्यटन गांव का अवॉर्ड: विश्व स्तर पर पर्यटन गांव के रूप में इस गांव की पहचान स्थापित होने का तात्पर्य यह भी है कि लंबे समय के बाद बस्तर में अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है. बता दें कि धुड़मारास और बस्तर के ही चित्रकोट गांव को इस साल 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव का पुरस्कार मिला था.
बस्तर में पर्यटक बढ़ने से स्थानीय लोगों को मिला रोजगार: प्रकृति की गोद में बसा धुड़मारास गांव घने जंगलों से घिरा हुआ है. गांव के बीच से बहती कांगेर नदी इसे मनमोहक बना देती है. बस्तर के लोग मेहमाननवाजी के लिए जाने जाते हैं. यही वजह है कि स्थानीय लोग अपने घरों को पर्यटकों के लिए उपलब्ध करवा रहे हैं, ठहरने की सुविधा उपलब्ध करवाने से उन्हें रोजगार मिल रहा है. गांव के युवा पर्यटकों को आसपास के क्षेत्रों की सैर कराते हैं. स्थानीय खानपान के अंतर्गत पर्यटकों को बस्तर के पारम्परिक व्यंजन परोसे जाते हैं.
बस्तर के नागलसर और नेतानार में भी स्थानीय युवाओं की ईको पर्यटन विकास समिति की तरफ से गांव में बहने वाली शबरी व कांगेर नदी में क्याकिंग और बैम्बू राफ्टिंग की सुविधा पर्यटकों को मुहैया कराई जा रही है. साथ ही स्थानीय व्यंजन से पर्यटकों को बस्तर के पारम्परिक खान-पान का स्वाद मिल रहा है. जिससे इस समिति को अच्छी आमदनी हो रही है. यह पर्यटन समिति अब अपनी आय से गांव में पर्यटकों के लिए प्रतीक्षालय और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं विकसित कर रहे हैं.