देहरादून: उत्तराखंड में लंबे समय से चली आ रही सुमाड़ी एनआईटी (National Institute of Technology) कैंपस की मांग को लेकर खींचतान चल रही थी. इसके बाद लगभग 9 साल का अंतराल पूरा होने पर बीते साल 2023 में केंद्र सरकार ने एनआईटी निर्माण को स्वीकृति देते हुए यह साफ किया था कि एनआईटी के दो कैंपस होंगे. इसमें एक श्रीनगर में होगा जबकि दूसरा सुमाड़ी में खोला जाएगा.
सुमाड़ी एनआईटी के लिए खुशखबरी: इस दिशा में कई हद तक काम भी हुआ और फिलहाल कैम्पस का एक बड़ा हिस्सा चलने भी लगा है. लेकिन आज धामी सरकार ने इसी दिशा में कैबिनेट में बड़ा फैसला लिया. कैबिनेट में राष्ट्रीय औद्योगिकी विभाग द्वारा सुमाड़ी एनआईटी के लिए 5.335 एकड़ भूमि निशुल्क स्थानांतरण को मंजूरी दे दी गई है. उम्मीद है अब रुका हुआ काम जल्द पूरा हो पायेगा.
जल्द शुरू होगा रुका हुआ काम: एनआईटी की मांग को लेकर बीते कई सालों से उत्तराखंड के श्रीनगर से लेकर देहरादून और दिल्ली के जंतर-मंतर तक खूब प्रदर्शन हो रहे थे. इसके बाद केंद्र सरकार ने 6 फरवरी 2023 को कैंपस को लेकर अपनी तरफ से फैसला दिया था, जिससे यह साफ कर दिया था कि एनआईटी कहीं और नहीं बल्कि श्रीनगर में ही खोला जाएगा. इसके दो कैंपस होंगे. एक श्रीनगर और दूसरा पौड़ी के ही सुमाड़ी में होगा. लेकिन विभाग इस असमंजस में था कि आखिरकार कैसे और कहां जमीन तलाशी जाएगी.
60 एकड़ में बन रही है एनआईटी: 2023 के अंतिम महीने में जमीन को तलाशने के बाद आज उत्तराखंड की धामी सरकार की महत्वपूर्ण कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया है कि उत्तराखंड सरकार तकनीकी शिक्षा विभाग को निशुल्क जमीन राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी विभाग एनआईटी बनाने के लिए स्थानांतरित करेगा. बताया जा रहा है कि 60 एकड़ भूमि पर यह एनआईटी बनाई जा रही है, जिसमें 1260 छात्र न केवल पढ़ेंगे, बल्कि उनके रहने की व्यवस्था भी की जाएगी.
टेंडर प्रक्रिया हो चुकी पूरी: विभाग की तरफ से टेंडर प्रक्रिया पहले ही पूरी कर ली गई थी. अब जल्द ही इस कड़ी में और आगे कदम बढ़ाए जाएंगे. हालांकि, अभी तक दो हॉस्टल और दो ब्लॉक संस्थान को हस्तांतरित किए जा चुके हैं और इसमें अभी कई छात्र रह भी रहे हैं. खाने-पीने के लिए एक बड़ा डाइनिंग हॉल भी बनकर तैयार हो गया है. लेकिन जो कार्य अब तक जमीन हस्तांतरण ना होने की वजह से रुके हुए थे, अब उनको भी तेजी से करके पूरा किया जाएगा.
लंबे समय तक चली स्थायी कैंपस की मांग: साल 2009 में एनआईटी उत्तराखंड को केंद्र सरकार की हरी झंडी मिली थी. इसके बाद एनआईटी उत्तराखंड साल 2010 से पॉलिटेक्निक के भवनों में संचालित हो रहा था. वर्ष 2013 में प्रगतिशील जनमंच ने एनआईटी के स्थायी परिसर निर्माण के लिए आंदोलन शुरू किया, जो लगातार चलता रहा. इस बीच राज्य और केंद्र सरकार सुमाड़ी के स्थायी परिसर बनाने की योजना बनाती रही. यही नहीं, सुमाड़ी के ग्रामीणों ने परिसर के लिए अपनी भूमि भी दान की थी लेकिन तब भी वहां स्थायी परिसर खड़ा न हो सका.
इसी बीच 3 अक्टूबर 2017 को वर्तमान राष्ट्रीय राजमार्ग 7 (पूर्व में NH 58) में एनआईटी की दो छात्राओं को एक वाहन ने टक्कर मार दी थी, जिसमें छात्रा नीलम मीना को अपने पैर गंवाने पड़े थे. जिंदगी और मौत से लड़ रही छात्रा के मामले ने आग में घी का काम किया था. तमाम छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा था. एनआईटी के करीब 900 छात्रों ने भूख हड़ताल कर दी और एनआईटी को श्रीनगर से शिफ्ट करने की मांग उठाने लगे. छात्रों ने कैंपस के बाहर ही इकट्ठा होकर 10 दिन तक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया था. छात्रों की मांग थी कि उन्हें स्थायी कैंपस में जाने के लिए एनएच 58 जो अब एनएच 7 बन गया है, उससे जाना पड़ता था. लिहाजा एक स्थायी व्यवस्था की जाए.
मजबूरन सरकार को एनआईटी को जयपुर शिफ्ट करना पड़ा, लेकिन स्थानीय लोगों के लगातार दवाब और आंदोलन के चलते यह पूरा मामला केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय में पहुंचा था. जिसके बाद तत्कालीन शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने वर्ष 2020 में श्रीनगर पहुंचकर स्थायी कैंपस के भूमि पूजन में प्रतिभाग किया था. हालांकि, आज भी छात्रों को स्थायी कैंपस नहीं मिला है, लेकिन काम अब तेजी से चल रहा है.
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