श्रीनगर: भगवान बदरी विशाल के लेप और अखंड ज्योति के लिए इस्तेमाल होने वाले तिल के तेल की गाडू घड़ा कलश यात्रा श्रीनगर से रवाना हो गई है. इससे पहले श्रीनगर में तेल कलश को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए बदरी केदार मंदिर समिति के विश्राम गृह में रखा गया. जहां लोगों ने कलश के दर्शन किए.
बता दें कि गाडू घड़ा कलश यात्रा ऋषिकेश, देवप्रयाग, बागवान, कीर्तिनगर होते हुए देर शाम श्रीनगर पहुंची. जहां कलश यात्रा ने बदरी केदार मंदिर समिति के विश्राम गृह में रात्रि विश्राम किया. आज सुबह की आरती बीकेटीसी के विश्राम गृह में ही संपन्न हुई. इस दौरान लोगों ने आरती में शामिल होकर कलश के दर्शन किए. यात्रा आज शाम रुद्रप्रयाग, गौचर होते हुए बदरीनाथ धाम के पुजारी वर्ग के गांव डिम्मर पहुंचेगी. जिसके बाद तेल कलश को डिम्मर गांव स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में रखा जाएगा.
बदरीनाथ डिमरी केंद्रीय समिति के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि यह परंपरा सालों से इसी तरह चली आ रही है. कलश यात्रा नरेंद्र नगर स्थित राजमहल से निकली. जो ऋषिकेश होते हुए आज रुद्रप्रयाग के लिए प्रस्थान करेगी. जहां से यात्रा गौचर होते हुए डिम्मर गांव पहुंचेगी. डिम्मर गांव में एक हफ्ते के लिए कलश को लक्ष्मी नारायण मंदिर के गर्भगृह में रखा जाएगा.
इसके बाद कलश यात्रा 9 मई को नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी. जबकि, 10 मई को कलश यात्रा पांडुकेश्वर पहुंचेगी. वहीं, 11 मई को यात्रा शंकराचार्य की गद्दीस्थल जोशीमठ पहुंचेगी. यहां से कलश यात्रा कुबेर और उद्धव की डोली के साथ बदरीनाथ पहुंचेगी. 12 मई को कपाट खुलने के बाद गाडू घड़े को बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में रख दिया जाएगा. जिसका इस्तेमाल रोजाना महाभिषेक में किया जाएगा.
वहीं, गाडू घड़ा कलश यात्रा का दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु दिनेश असवाल ने कहा कि श्रीनगर के लोगों को हर साल यात्रा के आने का इंतजार रहता है. जब कभी तेल कलश यात्रा श्रीनगर पहुंचती है तो प्रतीत होता है कि भगवान बदरी विशाल खुद ही उन्हें दर्शन देने पहुंचे हैं. लोगों का कलश के प्रति अटूट आस्था है.
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