बोकारो/जामताड़ा: आज देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है. इसका एक अलग महत्व भी है. सूरज के उत्तरायण होने पर इस पर्व को मनाया जाता है. इस दिन सुबह-सुबह स्नान का एक अलग महत्व है. बोकारो के दामोदर नदी घाट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली. लोग यहां परिवार के साथ सुबह-सुबह स्नान करने पहुंचे.
लोगों का मानना है कि आज के दिन स्नान, दान करने से सभी पाप कट जाता है और पुण्य की प्राप्ति होती है. आज के दिन स्नान करने के बाद गुड़ और तिल खाने की परंपरा है, जिसे लोग दान भी करते हैं. मकर संक्रांति के दिन किसी भी नदी में लोग स्नान करते हैं तो उसे गंगा स्नान का नाम दिया जाता है.
द्वापरयुग में कुरुक्षेत्र में अर्जुन के बाण से गंगा पुत्र भीष्म पितामह घायल हो गए थे. उसके बाद उन्होंने आज ही के दिन अपने प्राण त्यागने का निर्णय लिया था. जैसे ही सूर्य उत्तरायण होता है वैसे ही पितामह अपने प्राण त्याग देते हैं. इसलिए मकर संक्राति के पर्व को कुछ जगहों पर उत्तरायण भी कहा जाता है. इस दिन गंगा स्नान, व्रत कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना करने का विशेष महत्व है. इस दिन किया गया दान अक्षय फलदायी होता है. शनि देव के लिए प्रकाश का दान करना भी बहुत शुभ होता है.
नदी किनारे लोगों ने दही चूड़ा का लिया आनंद
जामताड़ा में भी मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस मौके पर आज नदियों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई और मंदिरों में पूजा अर्चना की और दान किया. ऐसी मान्यता है कि आज के दिन दान पुण्य करने से ग्रह और पाप कटता है. इसलिए लोग आज के दिन नदी में स्नान करने के बाद दान पुण्य करते हैं. साथ ही बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं.
पूजा अर्चना करने के बाद श्रद्धालुओं ने नदी के किनारे ही दही, चूड़ा और तिलकुट का सेवन किया. जामताड़ा जिले के मिहिजाम, नाला, कुंडहीत, जामताड़ा और नारायणपुर के करमदाहा घाट दुखिया बाबा मंदिर में मकर संक्रांति को लेकर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रही.
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