भिवानी: देवउठनी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है. ये पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की भक्ति और श्रद्धा के साथ पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं. इसी दिन से हिंदू धर्म में मांगलिक कार्य शुरू होते हैं, क्योंकि चार माह की योग निद्रा के बाद भगवान विष्णु उठते हैं, इसलिए शादियों का सीज़न भी इसी दिन से प्रारंभ होता है. साथ ही मंदिरों और घरों में इसी दिन तुलसी पूजन भी किया जाता है.
पौधा संरक्षण का दिया गया संदेश : इस एकादशी को देवउठनी, देवोत्थान और देवप्रबोधिनी आदि नामों से जाना जाता है. भिवानी के अनेक घरों, मंदिरों और शिक्षण संस्थाओं में आज इसी कड़ी में तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह किया गया. भिवानी के बाबा जहर गिरी आश्रम में भी तुलसी पूजा की गई. इसी तरह सदाचारी शिक्षा समिति और नेताजी सुभाष चंद्र बोस युवा जागृत सेवा समिति ने विवेकानंद हाई स्कूल में शिक्षकों और विद्यार्थियों के साथ तुलसी विवाह उत्सव मनाया. साथ ही पौधा संरक्षण का संकल्प भी बच्चों को दिलाया.
शालिग्राम संग होता है तुलसी का विवाह : इस मौके पर जहरगिरी आश्रम से श्रीमहंत डॉ. अशोक गिरी महाराज ने कहा कि आज देव प्रबोधनी एकादशी पर अनेक शुभ लग्न विवाह उत्सव हो रहे हैं. आज के दिन ही तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है. भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप संग तुलसी विवाह विधि-विधान के साथ किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह करना बहुत ही शुभ और मंगलकारी माना जाता है.
बच्चों को दी गई शिक्षा: विवेकानंद हाई स्कूल की संचालिका सावित्री यादव ने कहा कि भगवान विष्णु के जागने पर चार महीने से रुके हुए सभी तरह के मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं. स्कूली विद्यार्थियों ने भी कहा कि इस अवसर पर हमें संस्कार और संस्कृति के बारे में बताया गया है. देवउठनी एकादशी के दिन सभी शुभ मांगलिक कार्य किए जाते हैं.
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