गया : बिहार के गया में बुजुर्गों को घर से निकाल देने की घटनाओं में वृद्धि हुई है. गया में ऐसे कई मामले हाल में आए हैं. हालांकि मामलों को लेकर अधिकारी भी सक्रिय नहीं रहते. यह मानना है, डॉ.अमिता का, जो घर से निकाले गए बुजुर्गों के लिए काम करती हैं, एक्टिविस्ट भी हैं. यह छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी में मॉस काॅम की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. डॉ.अमिता का मानना है, कि बुजुर्ग सबसे ज्यादा घरेलू हिंसा की शिकार हो रहे हैं.
बेटे-बहू ही नहीं बेटियां भी पीछे नहीं : बेटे और बहू ही नहीं, बल्कि बेटियां भी अपने माता-पिता की जिंदगी को नारकीय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं. बुजुर्गों को सहारे के बदले मानसिक प्रताड़ना मिल रही है. इस तरह की घटनाओं में कुछ ज्यादा ही वृद्धि देखने को मिल रही है. डॉ. अमिता ने बताया कि कमला देवी, नीरा सिंह, शकुंतला देवी, प्रेम साव इन बुजुर्गों के साथ घरेलू हिंसा की घटनाएं हो रही हैं. इनकी जिंदगी पर संकट आ गया है.
बेटे करते हैं मां के साथ मारपीट : डॉ.अमिता बताती हैं, कि ''गया के कमला देवी के दो बेटे हैं, अजय प्रसाद और विजय प्रसाद. दोनों बेटे मारपीट करते हैं. इसमें पोते और बेटी दामाद भी शामिल है. संपत्ति के लिए अक्सर दुर्व्यवहार भी किया जा रहा है. यह मामला सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है. सिविल लाइन की पुलिस इन घटनाओं को घरेलू मामला बताकर छुटकारा पा लेती है. गया की रहने वाली 60 वर्षीय नीरा सिंह अपने छोटे बेटे संदीप और उनकी पत्नी से प्रताड़ित हो रही हैं. पूरी संपत्ति इनके नाम है, इसके बावजूद सब कुछ छीन लिया जा रहा है. डॉ.अमिता की मानें तो इनके मामले को पुलिस ने घरेलू मामला बताकर भगा दिया. ज्यादा देर रुकी तो दुर्व्यवहार भी होता है. बताती हैं कि इस हालत की वजह से इनके भूखे मरने की नौबत आ गई है.''
शकुंतला देवी का भी इसी तरह का हाल : वहीं, शकुंतला देवी को उनके बेटे-बहू ने घर से निकाल दिया और वे सड़क पर रहने को मजबूर हैं. डॉ.अमृता बताती हैं, कि इस तरह की घटना प्रेम साव नाम के बुजुर्ग के साथ भी घटी है. ये लोग न्याय की उम्मीद में अब थक गए हैं. इन लोगों ने संबंधित पदाधिकारी से भी शिकायत की, लेकिन इन्हें न्याय नहीं मिला.
पुलिस ने कोर्ट जाने को कहा : उन्होंने बताया कि, नीरा सिंह और कमला देवी के मामले को घरेलू बताकर पुलिस ने कोर्ट जाने की बात कह दी. शकुंतला देवी हर सुनवाई पर पैसे की कमी के कारण बोधगया से गया पैदल ही आने-जाने को मजबूर हैं. इस तरह बुजुर्गों को कहीं न्याय मिलता नहीं दिख रहा है. अधिकांश घटनाओं में पुलिस प्रशासन बुजुर्गों को उपेक्षित कर रही है. घरेलू मामला कहकर ये लोग पीछे हट जा रहे हैं.
राज्य सरकार गंभीर नहीं : डॉ. अमिता ने बताया कि केंद्र और राज्य दोनों ने ही बुजुर्गों के लिए योजनाएं बना रखी है और निर्देशित किया है. इसके बाद भी बिहार में बुजुर्गों पर इस तरह का अत्याचार होना आम बात है. यह पुलिस और प्रशासन की असंवेदनशीलता और निष्क्रियता का परिणाम है. इस तरह वरिष्ठ नागरिक अधिनियम की धज्जियां उड़ रही है.
क्या कहता है कानून : वरिष्ठ नागरिक अधिनियम में किसी तरह की प्रताड़ना दुर्व्यवहार की शिकायत आने पर संबंधित को सजा हो सकती है. साथ ही स्थानांतरित और उपहार में दिए गए चल अचल-संपत्ति को भी वापस लिया जा सकता है. पीड़ितों का कहना है कि पुलिस प्रशासन के लोग न्याय नहीं दे सके, तो बार-बार बुलाकर परेशान क्यों करते हैं. यही वजह है, कि नीरा सिंह और कमला देवी ने हताश निराश होकर इच्छा मृत्यु की मांग की है.
ये भी पढ़ें-
- मोबाइल पर आया गैस पेमेंट लिंक और अकाउंट से गायब हो गए ₹16 लाख, जानिए कहां का है मामला - Gas bill scam
- महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी होते हैं घरेलू हिंसा के शिकार, पारिवारिक न्यायालय में हजारों केस हैं दर्ज
- More Heat More Domestic Violence : 'तापमान में एक डिग्री की बढ़ोतरी पर महिलाओं के खिलाफ बढ़ जाती है घरेलू हिंसा'