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करोड़ों खर्च हुए भी 20 सालों में नहीं सुधरे जैसलमेर के सिटी पार्क के हालात - City Park in Jaisalmer - CITY PARK IN JAISALMER

जैसलमेर में 2003 में सिटी पार्क की परिकल्पना की गई थी. इसे लेकर बड़ी योजनाएं बनाई गईं, लेकिन इसके विकास के नाम पर महज रखरखाव का काम किया जा रहा है. 21 साल बाद भी यह सपना आकार नहीं ले पाया है.

City Park Project of Jaisalmer
जैसलमेर की सिटी पार्क परियोजना (ETV Bharat Jaisalmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 12, 2024, 6:13 PM IST

20 साल बाद भी सिटी पार्क को विकास का इंतजार (ETV Bharat Jaisalmer)

जैसलमेर. स्वर्णनगरी में 2003 में सिटी पार्क की परिकल्पना के बाद उसे साकार करने का काम शुरू हुआ. लेकिन पिछले 21 साल में सिटी पार्क अपने मूर्त रूप तक भी नहीं पहुंच पाया है. इसके रखरखाव के नाम पर करोड़ो रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन योजना अब तक लटकी पड़ी है और विकास की राह देख रही है.

करीब तीन वर्ष पूर्व तत्कालीन जिला कलेक्टर आशीष मोदी द्वारा सिटी पार्क को स्थापित करने के लिए नए विजन से काम भी शुरू करवाया गया था. इसी कड़ी में मोदी द्वारा सिटी पार्क में पौधरोपण, फुटपाथ, फव्वारे शुरू करने बरसात के पानी का स्टोरेज कर पौधों को देने के साथ ही आकर्षक लाइटिंग के साथ ऑडियो विजुअल मनोरंजन के अलावा अलग-अलग विभागों को इसके ब्लॉक आवंटित कर उसे संवारने का प्रयास किया गया था. लेकिन इस दौरान उनका तबादला हो जाने के बाद सिटी पार्क को विकसित करने की योजना एक बार फिर ठंडे बस्ते में चली गई है.

पढ़ें: रिवरफ्रंट पर यूआईटी नहीं अलॉट कर पाई पूरी दुकानें, रिवरफ्रंट व सिटी पार्क में सुविधाओं के शुरू होने में लगेगा समय

गौरतलब है कि 2003 में तत्कालीन जिला कलेक्टर हेमंत गेरा ने इसकी परिकल्पना की गई थी. जिसको लेकर नगर परिषद में प्रस्ताव भी पारित किया गया और जगह चिन्हित करने के बाद इसका काम 2006 में शुरू हुआ था. उस समय भी सिटी पार्क पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए. लेकिन अभी तक सिटी पार्क साकार नहीं हो पाया. 2003 में प्रस्ताव लेने के बाद 2004 में कलेक्टर हेमंत गेरा का तबादला हो जाने के बाद 21 साल से अब तक करीब 20 जिला कलेक्टरों ने यहां पदभार ग्रहण किया. इसके बावजूद जैसलमेर के सिटी पार्क की तस्वीर नहीं सुधर पाई है और आज भी हालत जस का तस बने हुए हैं. सूत्रों ने बताया कि अब तक नगर परिषद द्वारा आधे-अधूरे निर्मित सिटी पार्क में करीब 4 करोड़ रुपए सिर्फ रखरखाव के नाम पर खर्च किए जा चुके हैं.

इसको लेकर पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर सिटी पार्क का निर्माण होकर इसे आमजन व सैलानियों के लिए खोल दिया जाता है, तो ना सिर्फ स्थानीय बल्कि यहां भ्रमण पर आने वाले सैलानियों के लिए भी सिटी पार्क एक नए पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित हो जाएगा. जैसलमेर-बाड़मेर मार्ग पर विशाल भू-भाग पर स्थित इस सिटी पार्क को बनाने का काम 2003 में शुरू हुआ था. लेकिन करीब 21 साल बीत गए और यह पार्क किसी के काम नहीं आ रहा है. अब तक इस पर 4 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जा चुके हैं. शुरूआत में इसके लिए कई प्लान बनाए गए थे जिसमें सेवन वंडर स्वीमिंग पुल, केफेटेरिया, टॉय ट्रेन आदि लगवाने की योजना बनाई गई थी. लेकिन यह योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई.

पढ़ें: City Park Work In Progress: 3 महीने बाद आम जनता के वॉकिंग के लिए शुरू कर दिया जाएगा प्रदेश का सबसे बड़ा सिटी पार्क

आज यह है स्थिति: अब तक सिटी पार्क में विकास के नाम पर केवल चार दिवारी, हरियाली, फव्वारे आदि लगाने में करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए हैं. वहीं इस सिटी पार्क में आमजन के लुभाने के लिए विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे लगाए जाने प्रस्तावित थे, लेकिन वास्तविकता में सिटी पार्क में केवल बबूल की झाड़ियों का साम्राज्य दिखाई देता है. फुटपाथ भी रखरखाव के अभाव में उखड़ कर बिखर रहा है. मोटी रकम खर्च कर देने के बाद भी इस सिटी पार्क का लाभ आमजन व सैलानियों को नहीं मिल पा रहा है.

पढ़ें: 80 एकड़ में बन रहा कोटा सिटी पार्क, लगेंगे 120 प्रजाति के 50 हजार पेड़

जैसलमेर नगर परिषद के आयुक्त लजपाल सिंह ने बताया कि इसे पूर्व में डवलप किया गया था. चूंकि इसका मेंटिनेंस नहीं हो पाया. इसलिए इसकी हालत खराब है. अब इस प्रोजेक्ट को फिर से शुरू किया जाएगा. इसका नया इस्टीमेट बनवाया गया है. अब इसे सरकार की किसी योजना के तहत या नगर परिषद अपनी निजी आय से इस सिटी पार्क का जल्द ही पुनर्विकास किया जाएगा. शहरवासियों को उम्मीद है कि इस सिटी पार्क की सुध ली जाएगी व पार्क को नए सिरे से विकसित किया जाएगा.

20 साल बाद भी सिटी पार्क को विकास का इंतजार (ETV Bharat Jaisalmer)

जैसलमेर. स्वर्णनगरी में 2003 में सिटी पार्क की परिकल्पना के बाद उसे साकार करने का काम शुरू हुआ. लेकिन पिछले 21 साल में सिटी पार्क अपने मूर्त रूप तक भी नहीं पहुंच पाया है. इसके रखरखाव के नाम पर करोड़ो रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन योजना अब तक लटकी पड़ी है और विकास की राह देख रही है.

करीब तीन वर्ष पूर्व तत्कालीन जिला कलेक्टर आशीष मोदी द्वारा सिटी पार्क को स्थापित करने के लिए नए विजन से काम भी शुरू करवाया गया था. इसी कड़ी में मोदी द्वारा सिटी पार्क में पौधरोपण, फुटपाथ, फव्वारे शुरू करने बरसात के पानी का स्टोरेज कर पौधों को देने के साथ ही आकर्षक लाइटिंग के साथ ऑडियो विजुअल मनोरंजन के अलावा अलग-अलग विभागों को इसके ब्लॉक आवंटित कर उसे संवारने का प्रयास किया गया था. लेकिन इस दौरान उनका तबादला हो जाने के बाद सिटी पार्क को विकसित करने की योजना एक बार फिर ठंडे बस्ते में चली गई है.

पढ़ें: रिवरफ्रंट पर यूआईटी नहीं अलॉट कर पाई पूरी दुकानें, रिवरफ्रंट व सिटी पार्क में सुविधाओं के शुरू होने में लगेगा समय

गौरतलब है कि 2003 में तत्कालीन जिला कलेक्टर हेमंत गेरा ने इसकी परिकल्पना की गई थी. जिसको लेकर नगर परिषद में प्रस्ताव भी पारित किया गया और जगह चिन्हित करने के बाद इसका काम 2006 में शुरू हुआ था. उस समय भी सिटी पार्क पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए. लेकिन अभी तक सिटी पार्क साकार नहीं हो पाया. 2003 में प्रस्ताव लेने के बाद 2004 में कलेक्टर हेमंत गेरा का तबादला हो जाने के बाद 21 साल से अब तक करीब 20 जिला कलेक्टरों ने यहां पदभार ग्रहण किया. इसके बावजूद जैसलमेर के सिटी पार्क की तस्वीर नहीं सुधर पाई है और आज भी हालत जस का तस बने हुए हैं. सूत्रों ने बताया कि अब तक नगर परिषद द्वारा आधे-अधूरे निर्मित सिटी पार्क में करीब 4 करोड़ रुपए सिर्फ रखरखाव के नाम पर खर्च किए जा चुके हैं.

इसको लेकर पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर सिटी पार्क का निर्माण होकर इसे आमजन व सैलानियों के लिए खोल दिया जाता है, तो ना सिर्फ स्थानीय बल्कि यहां भ्रमण पर आने वाले सैलानियों के लिए भी सिटी पार्क एक नए पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित हो जाएगा. जैसलमेर-बाड़मेर मार्ग पर विशाल भू-भाग पर स्थित इस सिटी पार्क को बनाने का काम 2003 में शुरू हुआ था. लेकिन करीब 21 साल बीत गए और यह पार्क किसी के काम नहीं आ रहा है. अब तक इस पर 4 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जा चुके हैं. शुरूआत में इसके लिए कई प्लान बनाए गए थे जिसमें सेवन वंडर स्वीमिंग पुल, केफेटेरिया, टॉय ट्रेन आदि लगवाने की योजना बनाई गई थी. लेकिन यह योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई.

पढ़ें: City Park Work In Progress: 3 महीने बाद आम जनता के वॉकिंग के लिए शुरू कर दिया जाएगा प्रदेश का सबसे बड़ा सिटी पार्क

आज यह है स्थिति: अब तक सिटी पार्क में विकास के नाम पर केवल चार दिवारी, हरियाली, फव्वारे आदि लगाने में करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए हैं. वहीं इस सिटी पार्क में आमजन के लुभाने के लिए विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे लगाए जाने प्रस्तावित थे, लेकिन वास्तविकता में सिटी पार्क में केवल बबूल की झाड़ियों का साम्राज्य दिखाई देता है. फुटपाथ भी रखरखाव के अभाव में उखड़ कर बिखर रहा है. मोटी रकम खर्च कर देने के बाद भी इस सिटी पार्क का लाभ आमजन व सैलानियों को नहीं मिल पा रहा है.

पढ़ें: 80 एकड़ में बन रहा कोटा सिटी पार्क, लगेंगे 120 प्रजाति के 50 हजार पेड़

जैसलमेर नगर परिषद के आयुक्त लजपाल सिंह ने बताया कि इसे पूर्व में डवलप किया गया था. चूंकि इसका मेंटिनेंस नहीं हो पाया. इसलिए इसकी हालत खराब है. अब इस प्रोजेक्ट को फिर से शुरू किया जाएगा. इसका नया इस्टीमेट बनवाया गया है. अब इसे सरकार की किसी योजना के तहत या नगर परिषद अपनी निजी आय से इस सिटी पार्क का जल्द ही पुनर्विकास किया जाएगा. शहरवासियों को उम्मीद है कि इस सिटी पार्क की सुध ली जाएगी व पार्क को नए सिरे से विकसित किया जाएगा.

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