टोंक : जिले की देवली-उनियारा सीट पर भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र गुर्जर ने निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को 41 हजार 121 वोटों के अंतर से पराजित किया. इसके साथ ही उन्होंने अपनी ही 2013 में मिली सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड तोड़ दिया. 2013 में उन्होंने 29 हजार 995 वोटों के अंतर चुनाव जीता था. इस उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी को कुल एक लाख 599 वोट मिले, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा को 59 हजार 478 वोट पड़े और वो दूसरे स्थान पर रहे. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी कस्तूर चंद मीणा को 31 हजार 385 वोट मिले.
राज्य की 7 सीटों पर हुए उपचुनावों में यह सीट खासा चर्चा में रही. देवली-उनियारा सीट पर जीत हासिल करने के बाद भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र गुर्जर ने अपनी इस जीत का श्रेय क्षेत्र की जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं को दिया. उन्होंने कहा कि उनका टिकट भी जनता के विश्वास और भरोसे पर था. ऐसे में अब वो इस जीत के बाद क्षेत्र की जनता के लिए पूरी तरह से समर्पित होकर काम करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश भाजपा नेतृत्व का उन पर विश्वास जताने के लिए आभार जताया.
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सामाजिक और राजनीतिक जीवन में संघर्ष का रहे पर्याय राजेंद्र गुर्जर : 1974 में टोंक में जन्मे राजेंद्र गुर्जर ग्रेजुएट हैं. सियासत में आने से पहले वो आरएसएस में सक्रिय रहे. साल 2000 से 2005 तक गुर्जर महासभा के जिलाध्यक्ष रहे. वहीं, 2006 में भाजपा युवा मोर्चा में प्रदेश कार्यसमिति के अध्यक्ष रहे और 2007 में युवा मोर्चा के टोंक जिलाध्यक्ष बनने के बाद 2012 से 2018 तक भगवान देवनारायण मंदिर जोधपुरिया ट्रस्ट के अध्यक्ष का कार्यभार संभाले. इसके बाद 2013 में भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें देवली-उनियारा से चुनाव में उतारा और वो 2013 के चुनाव में विजय हुए.
2018 में एक बार फिर पार्टी ने उन पर भरोसा जताया और मैदान में उतारा, लेकिन वो चुनाव हार गए. इससे पहले वो विधानसभा में 2014 से 2018 तक प्रश्न व संदर्भ समिति के सदस्य भी रहे. 1990 से 1994 तक उन्होंने विद्यार्थी परिषद में कार्य करने के साथ ही टोंक में गुर्जर आंदोलन के दौरान टोंक जिले में इस गुर्जर आंदोलन का नेतत्व किया. चाहे टोंक बनास नदी में डाले गए पड़ाव की बात हो या फिर निवाई आंदोलन राजेंद्र गुर्जर जिले में सबसे आगे रहे. इस बार उपचुनाव में फिर से पार्टी ने उन पर विश्वास जताया और वो 1 लाख 97 हजार 761 मतदाताओं को प्राप्त कर विजयी हुए.